चीन-भूटान सीमा वार्ता में शामिल होने के लिए बीजिंग पहुंचे भूटान के विदेश मंत्री
नई दिल्ली। चीन जहां अब हिंदुस्तान (Indo-China Relations) के लिए पूरी तरह से सरदर्द बन चूका है, वहीं अब चीन भूटान (Bhutan) पर स्वयं के साथ राजनयिक संबंध कायम करने और सीमा संबंधी मुद्दों को “जितनी शीघ्र हो सके” सुलझाने का भी बड़ा दबाव बना रहा है, ताकि दोनों पड़ोसी राष्ट्रों के बीच रिश्तों को “कानूनी रूप” दिया जा सके। इधर चीन-भूटान सीमा वार्ता में शामिल होने के लिए बीजिंग पहुंचे भूटान के विदेश मंत्री डॉ। टांडी दोर्जी ने बीते मंगलवार को चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी मुलाकात की थी।
चीन का बयान
इस मामले में चीनी उपराष्ट्रपति झेंग ने बोला कि दोनों पक्ष सीमा सीमांकन प्रक्रिया में तेजी लाने और दोनों राष्ट्रों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित करने पर सहमत हुए हैं। उपराष्ट्रपति ने बोला कि चीन और भूटान तो मित्रवत पड़ोसी हैं, हालांकि दोनों राष्ट्रों ने अभी तक राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किए हैं। भूटान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने पर बल देते हुए उन्होंने कहा, “चीन हमेशा भूटान की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है, और सभी स्तरों और क्षेत्रों में आदान-प्रदान को मजबूत करने के लिए भी वह तैयार है।”
वहीं चीन ने बोला कि, भूटान के साथ मिलकर दोनों राष्ट्रों और दोनों लोगों को अधिक फायदा पहुंचाया जाएगा। इस मामले में चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्री वांग ने दोर्जी से बोला कि राजनयिक संबंधों की बहाली दोनों राष्ट्रों के दीर्घकालिक हितों को भी समग्रता से पूरा करेगी।
बढ़ी हिंदुस्तान की टेंशन
देखा जाए तो चीन हमेशा से दूसरे राष्ट्रों की सीमाओं पर बुरी नजर रखता रहा है। वहीं अपनी रणनीति के मुताबिक वह छोटे राष्ट्रों के साथ द्विपक्षीय समझौता खराब नहीं करना चाहता, वो भी तब जब हिंदुस्तान के साथ उसका पुराना सीमा टकराव चल रहा हो। हालांकि यही चीन कुछ वर्षों पहले तक तक भूटान को स्वतंत्र राष्ट्र भी नहीं मानता था। दरअसल उसकी टेढ़ी नजर में भूटान तिब्बत की फाइव फिंगर्स में से एक था, बाकी फिंगर्स में उसने लद्दाख, नेपाल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश को रखा। साथ ही उसकी लालची नजर हमेशा से डोकलाम पर है क्योंकि डोकलाम के तीनों छोर भारत, भूटान और चीन से मिलते हैं।
चीन और भूटान के बीच राजनयिक संबंध नहीं
हालांकि अब तक चीन और भूटान के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन दोनों राष्ट्रों के अधिकारी समय-समय पर अपने दौरों के जरिये एक द्विपक्षीय संवाद बनाए रखते हैं। चीन ने अपने 12 अन्य पड़ोसी राष्ट्रों के साथ सीमा टकराव तो सुलझा चूका है। लेकिन हिंदुस्तान और भूटान दो ऐसे राष्ट्र हैं, जिन्होंने बीजिंग के साथ सीमा समझौतों पर अभी हस्ताक्षर नहीं किए हैं। ऐसे में अब क्या चीन भूटान को लुभाने कि जुगत में लगा है, यही सोच-सोच कर हिंदुस्तान थोडा चिंतित है।