अरामको ने एशिया के लिए अपने प्रमुख अरब लाइट कच्चे तेल की कम कर दी कीमतें
सऊदी अरब की सबसे बड़ी ऑयल कंपनी अरामको ने एशिया के लिए अपने प्रमुख अरब लाइट कच्चे ऑयल की कीमतें कम कर दी हैं। सऊदी अरब ने पिछले महीने अरब लाइट कच्चे ऑयल की मूल्य घटाकर 27 महीने के निचले स्तर पर ला दी, जिसका सबसे अधिक लाभ हिंदुस्तान को होगा। सऊदी अरब के इन कदमों से हिंदुस्तान समेत एशियाई राष्ट्रों को अब सस्ता कच्चा ऑयल मिलेगा और कच्चे ऑयल के निर्यात की लागत भी कम हो जाएगी।
अरामको ने फरवरी के लिए अपने कच्चे ऑयल के शिपमेंट में 2 $ प्रति बैरल की कटौती की है। इससे पहले दिसंबर में, अरामको ने जनवरी शिपमेंट के लिए 1.5 $ प्रति बैरल की कटौती की घोषणा की थी। दुनिया के सबसे बड़े ऑयल निर्यातक सऊदी अरब ने उत्तरी अमेरिका, एशिया और उत्तर-पश्चिम यूरोपीय राष्ट्रों के लिए अपने ऑयल की कीमतें कम कर दी हैं।
सऊदी ने अचानक क्यों घटाए ऑयल के दाम?
तेल की कीमतों को बढ़ावा देने के लिए ओपेक प्लस राष्ट्रों के साथ सऊदी अरब लगातार ऑयल उत्पादन में कटौती कर रहा है लेकिन कई प्रयासों के बावजूद ऑयल की कीमतों में गौरतलब वृद्धि नहीं हुई है। अमेरिका ने बार-बार सऊदी अरब से ऑयल उत्पादन बढ़ाने के लिए बोला है लेकिन सऊदी ने ऐसा नहीं किया है। फिर अमेरिका ने अपना ऑयल उत्पादन काफी हद तक बढ़ा दिया।
अमेरिका के साथ-साथ गैर-ओपेक राष्ट्रों ब्राजील और मैक्सिको ने भी अपना ऑयल उत्पादन बढ़ा दिया, जिससे ऑयल बाजार में ऑयल की पर्याप्त आपूर्ति हो गई और ऑयल की कीमतें फिर से गिरने लगीं। सऊदी अरब के लिए एशिया सबसे बड़ा ऑयल बाज़ार है। दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता चीन और हिंदुस्तान सऊदी अरब से सबसे अधिक ऑयल खरीदते हैं। ऐसे में सऊदी अरब को ऑयल बाजार में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए ऑयल के मूल्य कम करने होंगे। सऊदी नहीं चाहता कि अमेरिका और ब्राजील जैसे राष्ट्र अपने हिस्से का ऑयल बेचकर कमाई करें।
रूस भी एक बड़ा फैक्टर है
यूक्रेन के साथ युद्ध प्रारम्भ होने के बाद पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनजर रूस ने हिंदुस्तान और चीन को रियायती दरों पर ऑयल की पेशकश की है। भारत युद्ध पहले से ही रूस से 1% से भी कम ऑयल खरीद रहा था। लेकिन रूस द्वारा ऑयल की मूल्य कम करने की पेशकश के बाद हिंदुस्तान ने अचानक इसे खरीदना प्रारम्भ कर दिया।
वर्तमान में, रूस सऊदी अरब को पछाड़कर हिंदुस्तान का शीर्ष ऑयल आयातक राष्ट्र बन गया है। चीन रूस से भी बड़ी मात्रा में ऑयल खरीदता है। इसे देखते हुए सऊदी अरब अपने ऑयल की कीमतें कम कर रहा है ताकि हिंदुस्तान और चीन सऊदी अरब से अधिक ऑयल खरीदें।