अंतर्राष्ट्रीय

चीन के बाद अब दूसरे देशों में भी बढ़ रहे है बच्चों में निमोनिया

 चीन के बाद डेनमार्क और नीदरलैंड जैसे देश भी अब बच्चों में निमोनिया के प्रकोप की रिपोर्ट करने वाले नए राष्ट्रों में शामिल हो गए हैं. संक्रामक रोंगों के बारे में जानकारी देने वाले ब्लॉग एवियन फ्लू डायरी पर एक पोस्ट से पता चला है कि माइकोप्लाज्मा निमोनिया संक्रमण महामारी स्तर तक पहुंच गया है. इसके मामलों में बढ़ोत्तरी गर्मियों में प्रारम्भ हुई लेकिन पिछले 5 हफ्तों में यह काफी बढ़ गई है. डेनमार्क के स्टेटेंस सीरम इंस्टीट्यूट के मुताबिक, ‘यह संख्या अब इतनी अधिक है कि इसे महामारी कह सकते हैं.

हर चौथे वर्ष आती है ऐसी महामारी

स्टेटेंस सीरम इंस्टीट्यूट की सीनियर रिसर्चर हेने-डोर्थे एम्बॉर्ग ने कहा, ‘पिछले 5 हफ्तों में नए मामलों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, और अब हम सामान्य से काफी अधिक मुद्दे देख रहे हैं, और पूरे राष्ट्र में व्यापक संक्रमण है.’ 47वें सप्ताह में माइकोप्लाज्मा निमोनिया संक्रमण के 541 नए मुद्दे सामने आए, जो कि वर्ष के 42वें सप्ताह में पाए गए 168 मामलों के 3 गुने से भी अधिक है. मामलों की असली संख्या शायद बहुत अधिक है, क्योंकि हल्के लक्षणों वाले हर आदमी का परीक्षण नहीं किया जाता है. एम्बॉर्ग ने हालांकि बोला कि ये मुद्दे डेनमार्क के लिए ‘असामान्य नहीं’ हैं और राष्ट्र लगभग हर 4 वर्ष पर इस तरह की महामारी का सामना करता है.

क्या हैं इस निमोनिया के लक्षण

सीनियर रिसर्चर ने बोला कि यह घटना आमतौर पर शरद ऋतु और शुरुआती सर्दियों में सबसे अधिक होती है. एम्बॉर्ग ने कहा, ‘पिछले 4 वर्षों से माइकोप्लाज्मा संक्रमणों की संख्या बहुत कम रही है, और इसलिए महामारी की दस्तक असमान्य नहीं है. Covid-19 महामारी के बाद राष्ट्र में लॉकडाउन लगाने के बाद हम वास्तव में इसका प्रतीक्षा कर रहे थे.’ यह बीमारी अक्सर हल्के फ्लू जैसे लक्षणों के साथ थकान, सिरदर्द, गले में खराश और लंबे समय तक सूखी खांसी, विशेष रूप से रात में होने वाली खांसी के रूप में आता है. ज्यादातर लोगों को इसमें बुखार होता है लेकिन इसमें अक्सर इन्फ्लूएंजा और बाकी के निमोनिया जितना तेज बुखार नहीं होता है.

युवाओं से जुड़े मामलों में भी बढ़ोत्तरी

पोस्ट में बोला गया है कि इसने इसे ‘कोल्ड निमोनिया’ या ‘एटिपिकल निमोनिया’ उपनाम दिया है, क्योंकि नियमित पेनिसिलिन का भी संक्रमण पर कोई असर नहीं पड़ता है. रिपोर्ट्स के मुातबिक, पिछले हफ्ते नीदरलैंड ने अगस्त के बाद से बच्चों और युवाओं में निमोनिया के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी दर्ज की है. नीदरलैंड इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ सर्विसेज रिसर्च (NIVEL) के अनुसार, पिछले हफ्ते 5 से 14 साल की उम्र के प्रत्येक एक लाख बच्चों में से 103 को निमोनिया का सामना करना पड़ा. NIVEL के आंकड़ों से पता चलता है कि यह पिछले 7 दिन में दर्ज किए गए 83 से 24 फीसदी अधिक था.

चीन में अचानक आया था मामलों में उछाल

बता दें कि चीन में बच्चो के अस्पतालों में निमोनिया के बढ़ते मामलों के बाद इन राष्ट्रों में इतने मुकदमा आना चौंकाने वाला है. चीन में श्वसन संक्रमण में वृद्धि ने यह संभावना पैदा कर दी कि कहीं इस रोग के पीछे कोई नया वायरस तो नहीं है, हालांकि उसके ऑफिसरों ने ऐसी किसी भी बात को खारिज कर दिया था. चीनी ऑफिसरों ने डब्ल्यूएचओ को सूचित किया था कि इन मामलों में किसी नए वायरस का पता नहीं चला है और ये बीमारियां फ्लू और आरएसवी जैसे ज्ञात मौसमी वायरस के साथ-साथ बैक्टीरिया माइकोप्लाज्मा निमोनिया के कारण हुईं हैं.

भारत में रखी जा रही करीबी से नजर

वहीं, चीन में बच्चों में सांस से जुड़ी रोंगों में वृद्धि के संकेत संबंधी हाल की रिपोर्टों के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को तुरंत सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा करने की राय दी है. मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में बोला कि उसने अत्यधिक सतर्कता बरतते हुए श्वसन संबंधी रोंगों से निपटने के लिए प्रारंभिक तरीकों की एक्टिव रूप से समीक्षा करने का फैसला लिया है. इसमें बोला गया है,‘मौजूदा इन्फ्लूएंजा और सर्दी के मौसम के मद्देनजर इसे जरूरी बताया जा रहा है, जिसके कारण श्वसन संबंधी रोग के मामलों में वृद्धि हो रही है. हिंदुस्तान गवर्नमेंट स्थिति पर करीब से नजर रख रही है और संकेत दिया है कि किसी भी तरह की चेतावनी की आवश्यकता नहीं है.

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