अंतर्राष्ट्रीय

2024 में भी 2004 वाला इंडिया शाइनिंग दोहरा रहा है? भारत के चुनाव और नरेंद्र मोदी पर विदेशी मीडिया ने क्या कह दिया?

18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए व्यापक कवायद 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर चुनाव के साथ प्रारम्भ हो गई. पहले चरण के दौरान लगभग 60.03% लोगों ने मतदान किया. मणिपुर और बंगाल से छिटपुट अत्याचार की खबरें आईं. तमिलनाडु उन दुर्लभ राज्यों में से एक है जहां एक ही दिन में चुनाव हुआ. तमिलनाडु में 67.2 फीसदी वोटिंग हुई. ये संख्या 2019 में 72.4 फीसदी से कम है. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस पार्टी और बीजेपी कार्यकर्ता कूच बिहार में भिड़ गए और एक दूसरे पर हिंसा, मतदाताओं को डराने और चुनाव एजेंटों पर धावा करने का इल्जाम लगाया. पुलिस ने किसी भी तरह की अत्याचार होने से इनकार किया है. मणिपुर में बिष्णुपुर के एक मतदान केंद्र पर गोलीबारी की सूचना मिली. इंफाल पूर्वी जिले में एक मतदान केंद्र में तोड़फोड़ की गई. चुनाव राष्ट्र में हो रहे हैं लेकिन विदेशी मीडिया भी हिंदुस्तान में हो रहे चुनाव पर नजर बना रखी है. भिन्न भिन्न राष्ट्रों के अखबारों ने पहले चरण के मतदान लर क्या छापा है एक नजर उसपर डालते हैं.

पहले चरण के प्रत्याशियों को जानिए

1625 में से 251 उम्मीदवारों पर अपराधी मुकदमा दर्ज हैं भाजपा के 28, कांग्रेस पार्टी के 19, DMK और AIADMK के 13-13 और BSP के 11 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुद्दे दर्ज हैं 450 उम्मीदवार करोड़पति हैं. सबसे अधिक 202 प्रत्याशी तमिलनाडु से हैं. जो करोड़पति हैं. सबसे अमीर कैंडिडेट नुकलनाथ हैं. छिंदवाड़ा से कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी हैं 717 करोड़ की संपत्ति है.

द गार्डियन ने लिखा

‘नरेंद्र मोदी की बीजेपी को भरोसा है कि इन चुनावों में उसका प्रदर्शन पहले से और बेहतर होने जा रहा है. बीजेपी पर इल्जाम लग रहे हैं कि इसके 10 वर्ष पहले सत्ता में आने के बाद से राष्ट्र में लोकतंत्र कमजोर हुआ है. लेकिन चुनावी विश्लेषक कह रहे हैं कि दशकों बाद हिंदुस्तान में ऐसा चुनाव हो रहा है, जिसके परिणामों का अंदाजा सबको है. अनुमान है कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार सत्ता हासिल करने जा रहे हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा

बीजेपी इस चुनाव में अपने हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे के साथ चुनाव में उतरी है और साथ ही साथ वो अपनी कल्याणकारी योजनाओं का बल शोर से प्रचार कर रही है. भाजपा के समर्थक उससे काफी खुश हैं, वहीं जो लोग अब भी दुविधा में हैं उन्हें भी भाजपा की चुनावी रणनीति आकर्षित कर रही है. लगातार दो बार सत्ता में रहने के बाद भी मोदी लोकप्रिय बने हुए हैं. जो लोग आर्थिक तंगी, बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहे हैं वो भी पीएम मोदी पर भरोसा जता रहे हैं.

वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा

आमतौर यह ट्रेंड होता है कि महिलाएं और युवा कम रूढ़िवादी होते हैं, लेकिन हिंदुस्तान में इस बार आम चुनावों में ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है. व्यापक बेरोजगारी और आर्थिक परेशानियों के बाद भी पीएम मोदी की पार्टी ने इस तरह का माहौल बनाया है कि महिलाएं और युवा उनकी पार्टी को वोट करते हुए दिख रहे.

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