रूस और यूक्रेन युद्ध करीब 15 महीने बाद भी नहीं निकला कोई हल

रूस और यूक्रेन में युद्ध के करीब 15 महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकल पाया है. दोनों राष्ट्रों ने जान-माल का युद्ध में भारी हानि उठाया है, मगर कोई भी राष्ट्र एक दूसरे से झुकने को तैयार नहीं है. राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के प्रेसिडेंट जेलेंस्की भी चीन और हिंदुस्तान जैसे राष्ट्रों के कहने के बावजूद शांति वार्ता पर आगे नहीं बढ़ सके हैं. हालांकि आपको जानकर आश्चर्य होगी कि जो पुतिन यूक्रेन युद्ध में खून की नदियों बहा रहे हैं, वही अब अर्मेनिया और अजरबैजान में लंबे समय से हो रहे खूनी संघर्ष को समाप्त करवाने में सफल रहे हैं. पुतिन के साथ अर्मेनिया और अजरबैजान के नेताओं ने वार्ता के बाद शांति पथ पर बढ़ने का दावा किया है.
बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बृहस्पतिवार को बोला कि एक विवादित क्षेत्र को लेकर लड़ रहे पड़ोसी राष्ट्र अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच मुख्य विवादों में से एक को हल करने में ‘‘केवल तकनीकी’’ बाधाएं हैं. बाकी मामले हल कर लिए गए हैं. पुतिन ने मॉस्को में अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव और अर्मेनिया के पीएम निकोल पाशिनयान से मुलाकात की और उनसे लाचिन गलियारे को लेकर टकराव पर चर्चा की. यह अर्मेनिया और विवादित क्षेत्र नगोर्नो-काराबाख के बीच इकलौता अधिकृत संपर्क क्षेत्र है तथा क्षेत्र के करीब 1,20,000 लोगों को सामान की आपूर्ति के लिए जीवनरेखा है. मॉस्को में पुतिन की मेजबानी में एक क्षेत्रीय शिखर सम्मेलन में अलियेव और पाशिनयान ने इस गलियारे को लेकर एक-दूसरे पर भड़ास निकाली. इसके बाद पुतिन ने बोला कि ‘‘प्रमुख मुद्दों पर एक समझौता है’’ और बाद में उन्होंने बोला कि ‘‘तकनीकी मुद्दों’’ पर टकराव हैं.
अर्मेनिया और अजरबैजान में अब नहीं होगी जंग
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ के अनुसार पाशिनयान ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘मैं इस बात की पुष्टि करना चाहता हूं कि अर्मेनिया और अजरबैजान एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता को परस्पर मान्यता देने पर सहमत हो गए हैं और इस आधार पर हम कह सकते हैं कि हम अपने संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा की ओर बढ़ रहे हैं.’’ उल्लेखनीय है कि अर्मेनिया और अजरबैजान ने 2020 में नगोर्नो-काराबाख को लेकर लड़ाई लड़ी थी जिसमें 6,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गयी थी. रूस की मध्यस्थता में यह लड़ाई समाप्त हुई थी. नगोर्नो-काराबाख अजरबैजान की सीमा में आता है लेकिन अर्मेनिया द्वारा समर्थित जातीय अर्मेनियाई बलों ने 1994 से इस क्षेत्र तथा इसके आसपास के क्षेत्रों पर अतिक्रमण जमा रखा है. अजरबैजान लगातार आरोप लगाता है कि अर्मेनिया ने नगोर्नो-काराबाख में हथियारों तथा गोला बारुद पहुंचाने के लिए लाचिन गलियारे का उपयोग किया है.