आतंकियों के डर से कांप रही पाकिस्तानी पुलिस, बोली...

आतंकियों के डर से कांप रही पाकिस्तानी पुलिस, बोली...

पाकिस्तान में आतंक का खौफ इस कदर बढ़ चुका है कि अब पुलिस ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं. आतंकवादियों के डर से कांप रही पाकिस्तानी पुलिस ने चुनाव के दौरान सुरक्षा देने से साफ इनकार कर दिया है. पुलिस का बोलना है कि वह चुनाव के दौरान इस बात की कोई गारंटी नहीं दे सकती कि हिंसा नहीं होगी. जियो न्यूज ने बताया कि पाक के चुनाव आयोग (ईसीपी) के जानकारी देते हुए खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के मुख्य सचिव और पुलिस महानिरीक्षक ने बोला है कि वे क्षेत्र में आतंकवाद में वृद्धि के बीच शांति की गारंटी नहीं दे सकते हैं. पाक के खैबर पख्तूनख्वा में कानून प्रबंध दयनीय है. आर्थिक संकट से जूझ रहे पाक के कोने-कोने में लोग बेहाल हैं. 

आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि

खैबर पख्तूनख्वा में क्षेत्रीय चुनाव भी होने हैं. आनें वाले चुनावों के दौरान शुक्रवार को महानिरीक्षक ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा को विस्तार से जानकारी दी. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस प्रमुख ने बताया कि प्रांत में 2022 में कुल 495 आतंकवादी हमले हुए, जबकि इस वर्ष 118 घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 100 मौतें और 275 घायल हुए हैं. आतंकी गतिविधियों में वृद्धि के परिणामस्वरूप क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति के बारे में चिंता काफी बढ़ गई है. उन्होंने दावा किया कि उत्तरी वजीरिस्तान, लक्की मरवत, बन्नू, टैंक और डेरा इस्माइल खान उन दक्षिणी क्षेत्रों में से हैं जहां चुनाव के लिए कानून प्रबंध की स्थिति बहुत खराब है.

गंभीर वित्तीय कमी

उन्होंने बोला कि पूर्व संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (फाटा) के नए संयुक्त जिलों में चुनाव आयोजित करना भी कठिनाई है. जियो न्यूज ने बताया कि केपी के मुख्य सचिव इमदादुल्ला बोसल ने बोला कि प्रांतीय गवर्नमेंट 19 अरब पाकिस्तानी रुपये की गंभीर वित्तीय कमी से निपट रही है और प्रांतीय विधानसभा चुनाव कराने के लिए अतिरिक्त 1.6 अरब पाकिस्तानी रुपये की आवश्यकता होगी. बोसल ने आगे बोला कि ये खर्च पाक चुनाव निकाय द्वारा चुनावों पर किए गए किसी भी खर्च के अतिरिक्त होगा. 

ECP ने अब जोर देकर बोला कि समय पर निष्पक्ष चुनाव आयोजित करना एक संवैधानिक और कानूनी जरूरत है. चुनावी बोर्ड ने प्रांत गवर्नमेंट की कठिनाइयों को माना है किया लेकिन स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रदान करने के लिए अपने संवैधानिक कर्तव्य को बनाए रखने की जरूरत पर भी जोर दिया. 

134 लोगों की जान चली गई

तहरीक ए तालिबान पाक (टीटीपी) द्वारा पिछले वर्ष नवंबर में गवर्नमेंट के साथ अपने संघर्ष विराम को खत्म करने के बाद से राष्ट्र भर में, विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकी गतिविधियों में वृद्धि की घटनाएं सामने आई हैं. इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक पाक इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2023 जुलाई 2018 के बाद से सबसे खतरनाक महीनों में से एक रहा, क्योंकि कम से कम 44 आतंकी हमलों में 134 लोगों की जान चली गई और 254 घायल हो गए.