शहबाज शरीफ को PM की कुर्सी के साथ मिला कर्ज के जंजाल में फंसा पाकिस्तान
Pakistan Economkic Crisis: भारी उटापटक और लंबे प्रतीक्षा के बाद आखिरकार पाक में गवर्नमेंट बन ही गई। सोमवार को शहबाज शरीफ ने आधिकारिक तौर पर दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली। पाक की कुर्सी शहबाज शरीफ के लिए फूलों का ताज नहीं है। कु्र्सी के साथ उन्हें भारी भरकम ऋण का बोझ, गरीबी की मार झेल रही जनता, खस्ताहाल इकोनॉमी का तोहफा मिला है। शहबाज शरीफ ने पीएम बनने ही पाक की आवाम को कई सपने दिखाए। जर्जर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, वर्ष 2030 तक जी-20 की सदस्यता दिलाने का टारगेट रखा। शहबाद ने वादे तो बड़े-बड़े कर लिए, लेकिन इन्हें पूरा करना सरल नहीं है।
दिवालिया होने के कगार पर पाकिस्तान
पाकिस्तान की इकोनॉमी खस्ताहाल हो चुकी है। उसपर ऋण का बोझ बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2011 में पाक पर 66.4 बिलियन $ का ऋण था जो वर्ष 2023 में 124.6 बिलियन $ पर पहुंच गया।
पाकिस्तान के थिंक टैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान पर करीब 1,03,38,14,29,90,000 का विदेशी ऋण है। ऋण के बढ़ते बोझ ने पाक की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है। चीन के जाल में फंसे पाक पर दिवालिया होने की स्थिति बनती जा रही है। जो हालात दिख रहे हैं, उसमें तो कठिन ही लग रहा है कि पाक इस ऋण को सरलता से चुका सकता है।
कर्ज के जंजाल में फंसा पाकिस्तान
अगर ऋण नहीं चुकाया तो उसकी कठिन और बढ़ जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी के साथ-साथ वो ऋण के जाल में फंसता चला जाएगा। चीन जैसे राष्ट्र ऋण नहीं चुकाने पर पाक की संपत्ति में अपना अधिकार ले सकते हैं। ऋण का ये संकट पाक की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ उसकी सियासी और कानूनी संकट को भी जन्म दे सकती है। पाक का ऋण उसकी जीडीपी की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। बीते 13 वर्षों में पाक का ऋण दोगुने से अधिक हो चुका है। रिपोर्ट के अनुसार वित्त साल 2024 में पाक को अनुमानित 49.5 अरब $ का ऋण मैन्चोर होना है, जिसे उसे चुकाना होगा। इस ऋण में 30 फीसदी तो केवल ब्याज है। पाक के ऋण लेने की आदत अब उनकी अर्थव्यवस्था के लिए जानलेवा होने लगी है।
पाकिस्तान की जानलेवा महंगाई
पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की सबसे अधिक मार आम जनता पर पड़ रहा है। पाक में महंगाई चरम पर है। पाक में महंगाई के आंकड़े 25 से 30 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। महंगाई ही नहीं बढ़ती बेरोजगार लोगों का जीना मुहाल कर रही है। पाक का इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट काफी स्लो है। आतंकवाद को बढ़ावा देते-देते पाक ने अपने निवेश पर कैंची चला दी। निवेश नीचले स्तर पर पहुंच गया है। लोगों के पार न तो खाना है, न रहने के लिए घर। पाक की जीवन आईएमएफ के बेलआउट पैकेज पर चल रही है।