अंतर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के अहमदिया समुदाय के लोग आज भी अपनी पहचान को लेकर है चिंतित

नई दिल्ली: 1947 में हिंदुस्तान को दो हिस्सों में बांटने का निर्णय लिया गया, जिसमें पहला राष्ट्र हिंदुस्तान रहा और पाक के आधार पर मुसलमानों के लिए पाक बन गया दरअसल, पाक का निर्माण इस सोच के साथ किया गया था कि यहां मुसलमान धर्म के लोग रहेंगे

हालाँकि, इसके बाद भी मुसलमान समुदाय के कुछ लोग इसे बहुत बुरा मानते हैं अपने ही राष्ट्र में उसे अनेक प्रकार के अपमान और अत्याचार सहने पड़ेंगे आज भी कई लोग यहां की नागरिकता को लेकर भी चिंतित हैं और काफी जद्दोजहद के बाद भी कोई खास नतीजा नहीं निकल पाया है

मुसलमान अहमदिया समुदाय को नहीं पहचानते

पाकिस्तान एक मुसलमान बहुल राष्ट्र है, जहां विभिन्न वर्गों और समुदायों के लोग रहते हैं वहीं, इस बीच एक शख्स ऐसा भी है जो आज भी स्वयं को मुसलमान कहता है, लेकिन पाक में उसे अल्पसंख्यक माना जाता है और उसे मुसलमान नहीं माना जाता है पाक के अहमदिया समुदाय के लोग आज भी अपनी पहचान को लेकर चिंतित हैं, लेकिन कोई उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है

प्रार्थना स्थलों और कब्रिस्तानों का विनाश

अहमदिया मुस्लिम वहां पीड़ित हैं, उनके साथ वहां दुर्व्यवहार किया जाता है यहां तक ​​कि उनके प्रार्थना स्थल और कब्रिस्तान भी तोड़ दिए जाते हैं अहमदिया लोगों का बोलना है कि वे भी इस्लाम को मानते हैं और कुरान को मानते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें इस पर समान अधिकार नहीं है, लेकिन वे उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं

यदि बुरे आचरण और कष्ट से भी मन नहीं भरता तो ऐसे लोगों को ईशनिंदा के मुद्दे में लपेट कर कड़ी सजा दी जाती है ऐसे व्यवहार से परेशान होकर अहमदिया मुसलमान समुदाय के लोग पाक छोड़कर दूसरे राष्ट्रों में रहते हैं

संविधान में गैर मुस्लिमों का जिक्र

पाकिस्तान के संविधान में अहमदिया मुसलमानों को मुस्लिम नहीं माना जाता है, लेकिन वे स्वयं को मुस्लिम मानते हैं उन्हें अल्पसंख्यक गैर-मुस्लिम धार्मिक समुदाय का दर्जा दिया गया है और एक कानूनी संशोधन के माध्यम से पाक ने उन्हें गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया है यहां तक ​​कि उन्हें मस्जिदों में जाने की भी मनाही है भले ही वे अपने आराधनालयों पर टावर नहीं बना सकते, लेकिन पाक में अहमदिया समुदाय के लगभग 5 लाख लोग रहते हैं

अहमदिया

अहमदिया मुसलमान समुदाय की आरंभ 1889 में हिंदुस्तान के लुधियाना में अहमदी आंदोलन के साथ हुई मिर्ज़ा गुलाम अहमद इस समुदाय के संस्थापक थे, जिन्होंने बोला था कि उन्होंने ब्लेंटी-अमन, ब्लड-माइंड को रोकने के लिए पैगंबर मुहम्मद और अल्लाह को देवदुत के रूप में चुना था

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