अंतर्राष्ट्रीय

दुनिया पर मंडराते परमाणु युद्ध के खतरे का करेंगे विश्लेषण

Israel Iran Clash: दुनिया पर मंडराते परमाणु युद्ध के खतरे का विश्लेषण करेंगे जिस तरह इजरायल और ईरान आपस में लड़ रहे हैं उससे तीसरे विश्वयुद्ध की आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं दोनों राष्ट्र एक दूसरे के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने की धमकी दे रहे हैं उससे ऐसे लगने लगा है कि दुनिया में तीसरा विश्वयुद्ध परमाणु हमले से प्रारम्भ होगा

वैसे, आपको पता होगा कि अगस्त 1945 में दुनिया में पहली बार किसी राष्ट्र पर परमाणु धावा हुआ था, तब अमेरिका ने 6 और 9 अगस्त को जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिराए थे इन दो परमाणु बमों से कितनी बड़ी तबाही हुई थी, वो दुनिया जानती है हालांकि, इस घटना को 78 साल से अधिक हो गए हैं इसके बाद से आजतक किसी राष्ट्र ने दूसरे राष्ट्र पर परमाणु धावा नहीं किया है

इसकी एक वजह ये रही कि परमाणु संपन्न राष्ट्रों का मानना है कि परमाणु बम युद्ध के लिए नहीं बल्कि युद्ध रोकने के लिए हैं लेकिन इजरायल और ईरान के बीच जारी संघर्ष से अब परमाणु युद्ध का खतरा पैदा हो गया है इसकी दो वजह हैं

– पहली वजह आज ईरान के इस्फहान शहर में हुए एक के बाद एक Attack है
– और दूसरी वजह ईरान के Nuclear Security Incharge की धमकी
– जिसमें ईरान के Nuclear Security Incharge अहमद हगतालाब ने इजरायल के परमाणु ठिकानों पर हमले की धमकी दी है जिनका बोलना है कि ईरान को पता है कि इजरायल के परमाणु अड्डे कहां-कहां हैं

इजरायल-ईरान के बीच तनाव अब Atomic War की धमकी तक पहुंच गया है, ईरान का इजरायल की Nuclear Site पर एक धावा परमाणु युद्ध की शुरूआत होगी | ऐसा क्यों बोला जा रहा है और इजरायल इसके लिए कितना तैयार है इसपर हमने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसे आपको जरूर देखना चाहिए

इजरायल-ईरान के बीच परमाणु हमले का खतरा केवल धमकियों तक सीमित नहीं है, बल्कि बात इससे आगे बढ़ चुकी है ईरान ने इजरायल को परमाणु सुविधा केंद्रों को निशाना बनाने की धमकी दी इस धमकी को 24 घंटे भी नहीं हुए थे, कि इजरायल ने अपनी तरफ से कार्रवाई कर दी

शुक्रवार की सुबह ख़बर आई कि ईरान के इस्फहान शहर में एक के बाद एक कई धमाकों की आवाज सुनी गई है ख़बर थी कि इजरायल ने ईरान पर धावा कर दिया है, लेकिन ना ईरान ने और ना ही इजरायल ने हमले की पुष्टि की ईरान ने दावा किया गया कि उसके हवाई क्षेत्र में घुसे तीन ड्रोन को तबाह कर दिया गया

इजरायल का ईरान के इस्फहान शहर को टारगेट करना कोई संयोग नहीं हो सकता, बल्कि ये परमाणु हमले का ट्रेलर जरूर रहा है क्योंकि इस्फहान कई मायनों में अहम है
– इस्फहान शहर में ही ईरान की सबसे बड़ी न्यूक्लियर फैसिलिटी है
– इस्फहान शहर में ही ईरान की मिसाइल प्रोडक्शन फैक्ट्री है
– इसके अतिरिक्त इस्फान में ईरान का एक सेना एयरबेस भी है
– जनवरी 2023 में भी इजरायल ने इसी तरह इस्फहान को निशाना बनाया था

इजरायल का मैसेज क्लियर था, कि उसकी पहुंच ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी तक है, टारगेट करके इजरायल न्यूक्लियर फैसिलिटी को निशाना बना सकता है ईरान से बदले के लिए इजरायल ने जो ब्लूप्रिंट तैयार किया है, उसमें ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी को टारगेट करना भी शामिल है क्योंकि, हमले की सूरत में ईरान ये नहीं कह पायेगा कि उसके परमाणु बमों को निशाना बनाया गया

ईरान अब तक यही कहता है कि न्यूक्लियर फैसिलिटी सेंटर पर वो बिजली उत्पादन कर रहा है साल 2019 में ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने बोला था
परमाणु बम बनाना और उनका भंडारण करना गलत है और इसका इस्तेमाल करना हराम

जबकि इजरायल और अमेरिका का मानना है कि बिजली संयंत्र की आड़ में ईरान परमाणु बम बना रहा है इसलिए इजरायल के टारगेट पर ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी हैं इजरायल के लोग ईरान के विरुद्ध कार्रवाई को सही मान रहे हैं, क्योंकि ईरान भी अब इजरायल के परमाणु अड्डों को निशाना बनाने की धमकी दे रहा है

मतलब ये कि दोनों तरफ से परमाणु अड्डों को निशाना बनाने की धमकी दी जा रही है, और इन्हीं हालात ने दुनिया में परमाणु युद्ध की आशंकाओं को बढ़ा दिया है इजरायल-ईरान के बीच युद्ध प्रारम्भ होता है और हालात परमाणु हमले तक पहुंचते हैं तो इससे ना केवल मिडिल ईस्ट प्रभावित होगा बल्कि इसका सीधा असर हिंदुस्तान पर भी पड़ेगा दोनों राष्ट्रों के युद्ध से हिंदुस्तान को आर्थिक मोर्चे पर भी हानि उठाना पड़ सकता है

ईरान कच्चे ऑयल का बड़ा उत्पादक राष्ट्र है, ईरान में रोजाना 3.2 मिलियन बैरल कच्चे ऑयल का उत्पादन होता है कच्चे ऑयल का 70 प्रतिशत हिस्सा एशिया में सप्लाई किया जाता है यदि इजरायल-ईरान युद्ध की तरफ बढ़ते हैं, तो इससे एशिया में कच्चे ऑयल के मूल्य बढ़ सकते हैं और इसका असर हिंदुस्तान पर भी पड़ेगा पहले से महंगे ऑयल से परेशान आम आदमी की मुश्किलें बढ़ सकती है दरअसल

हिंदुस्तान अपनी आवश्यकता का 85 प्रतिशत कच्चा ऑयल आयात करता है लिहाजा, ईरान-इजरायल के बीच जंग बढ़ी तो कच्चे ऑयल की मूल्य बढ़ जाएगी
हिंदुस्तान के ईरान और इजरायल से होने वाले आयात-निर्यात पर भी बुरा असर पड़ेगा
हिंदुस्तान ईरान से कच्चे ऑयल के अतिरिक्त कई सामान खरीदता करता है ईरान से सूखे मेवे, केमिकल और कांच के बर्तन हिंदुस्तान आते हैं इस आयात पर युद्ध का सीधा असर पडेगा
– वहीं हिंदुस्तान ईरान को बासमती चावल, चाय, कॉफी और चीनी का निर्यात करता है यदि युद्ध बढ़ा तो निर्यात पर भी असर पड़ेगा
– रक्षा क्षेत्र में इज़रायल के साथ कई समझौते हुए हैं हिंदुस्तान के MSME सेक्टर में स्टार्ट अप शुरु करने में इज़रायल ने काफी सहायता की है लेकिन, युद्ध और ज़्यादा बढ़ा, तो इससे MSME सेक्टर को हानि उठाना पड़ सकता है
– खाड़ी राष्ट्रों में 87 लाख से ज़्यादा भारतीय रहते हैं, जिनकी जान युद्ध की वजह से खतरे में पड़ सकती है और गवर्नमेंट को उन्हें बचाने की जद्दोजहद करनी पड़ेगी

इजरायल-ईरान के बीच युद्ध का असर चाबहार बंदरगाह पर भी पड़ेगा, चाबहार विदेश में हिंदुस्तान का पहला बंदरगाह है लंबे गतिरोध के बाद इस बंदरगाह को लेकर हिंदुस्तान और ईरान के बीच समझौता हो गया है चाबहार के रास्ते हिंदुस्तान यूरोपीय राष्ट्रों और मध्य एशिया तक अपने सामान को जल्द से जल्द पहुंचा सकता है लेकिन युद्ध की स्थिति में हिंदुस्तान को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है
– ईरान का चाबहार बंदरगाह सामरिक दृष्टि से बहुत अहम है इसे ग्वादर की तुलना में हिंदुस्तान के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर भी देखा जाता है
– चाबहार पोर्ट में हिंदुस्तान ने 250 मिलियन $ का निवेश किया है, जबकि इस पोर्ट के लिए ईरान को 500 मिलियन $ का अलग से Loan भी दिया है
– चाबहार पोर्ट से हिंदुस्तान को ना केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि सामरिक तौर पर भी लाभ मिलेगा लेकिन ईरान के साथ इजरायल का युद्ध सीधे तौर पर इसे प्रभावित करेगा और हानि हिंदुस्तान को उठाना पड़ा

इसके अतिरिक्त इजरायल-ईरान युद्ध से एक और तरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट खटाई में पड़ सकता है दरअसल, पिछले साल हिंदुस्तान में G20 सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ था, जिसकी सबसे बड़ी उपलब्धि ‘इंडिया-वेस्ट एशिया-यूरोप’ इकोनॉमिक कॉरिडोर पर सहमति बनना था इस इकोनॉमिक कॉरिडोर को आई2 यू2 यानी इंडिया-इजरायल-यूएस-यूएई नाम भी दिया गया था

– ये कॉरिडोर मुंबई से Sea Route से UAE जाएगा, इसके बाद Land Route से पहले सऊदी अरब सऊदी अरब से इजरायल और फिर ग्रीस तक जाना प्रस्तावित है
– इसे चीन के Belt and Road Initiative की सबसे बड़ी काट माना गया लेकिन इजरायल-ईरान का युद्ध आगे बढ़ने से जी20 के इस सबसे बड़े प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं
इण्डिया वेस्ट एशिया-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का सबसे अधिक लाभ हिंदुस्तान को मिलने वाला है
– ये प्रस्तावित इकोनॉमिक कॉरिडोर हिंदुस्तान को सीधे खाड़ी और पश्चिमी राष्ट्रों से जोड़ेगा

– इससे हिंदुस्तान के निर्यात को बढ़ाने में सहायता मिलेगी और हिंदुस्तान का प्राचीन मसाला रूट भी सक्रिय हो सकता है

लेकिन इजरायल-ईरान युद्ध की वजह से इस प्रोजेक्ट पर काम प्रारम्भ होने में देरी हो सकती है जिसका सीधा असर हिंदुस्तान पर पड़ेगा
((यानी इजरायल-ईरान युद्ध को लेकर हिंदुस्तान का रुख तटस्थ हो, लेकिन युद्ध आगे बढ़ने से इसका असर हिंदुस्तान पर पड़ना तय ))

इस समय आधिकारिक तौर पर ईरान के पास परमाणु बम नहीं है, लेकिन इजरायल और अमेरिका मानते हैं कि ईरान ने एटमी ताकत हासिल कर ली है ऐसे में यदि इजरायल की कोई मिसाइल ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी पर गिर जाती है तो भारी हानि हो सकता है वहीं माना जाता है कि इजरायल के पास 80 से अधिक परमाणु बम हैं परमाणु धावा कितना खतरनाक होगा और उससे कितना बड़ा हानि होगा, इसका अंदाजा लगाना कठिन नहीं है इसलिए दुनिया यही चाहेगी कि इजरायल-ईरान के बीच परमाणु हमले की नौबत ना आए

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