इस बार अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने चीन को लेकर किया ऐसा दावा
चीन का जब भी जिक्र आता है, पूरी दुनिया संदेह की निगाह से देखने लगती है। लेकिन इस बार अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चीन को लेकर ऐसा दावा किया है कि पूरी दुनिया में हड़कंप मच गई है। नासा प्रमुख बिल नेल्सन का बोलना है कि चीन अंतरिक्ष में गुप्त सैन्य परियोजनाओं को छिपा रहा है, ताकि वह चंद्रमा पर अपना दावा कर सके। चीन हमेशा से यह कहता रहा है कि अंतरिक्ष में उसकी गतिविधियां पूरी तरह वैज्ञानिक हैं। उसका मकसद किसी भी तरह से कब्ज़ा करने का नहीं है। लेकिन बिल नेल्सन के दावे से पूरी दुनिया में सनसनी मच गई है।
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, नासा प्रमुख ने बोला कि चीन के इरादे कुछ और ही हैं। हमें लगता है कि वे अंतरिक्ष में एक सैन्य कार्यक्रम चला रहे हैं। इसकी जानकारी वे छुपा रहे हैं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में चीन ने असाधारण प्रगति की है, लेकिन उसके ज्यादातर कार्यक्रम सीक्रेट रहे हैं, जिसके बारे में वह दुनिया को नहीं बताता है। अमेरिका और चीन दोनों चंद्रमा पर स्थायी अड्डे बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी वर्ष मार्च में चीन के वैज्ञानिकों ने डिज्नीलैंड के आकार का चंद्र बेस बनाने का घोषणा किया था।जहां से धरती की गतिविधियां सरलता से देखी जा सकें।
चांद के कुछ हिस्सों पर ठोंक सकता है दावा
नेल्सन ने कहा, हम एक रेस में है। 2030 तक चांद पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। हम वहां जल्द पहुंचना चाहते हैं। आर्टेमिस III सितंबर 2026 में लॉन्च किया जाएगा। दरअसल, अमेरिका चांद को लेकर हमेशा चिंतित रहता है। वह चीन को अपना सबसे अहम प्रतिद्वंद्वी मानता है। लेकिन नेल्सन का दावा है कि अमेरिका चीन से काफी आगे है। उन्होंने बोला कि यदि चीन पहले वहां अपना आधार बनाना प्रारम्भ करता है तो वह चांद के कुछ हिस्सों पर दावा कर सकता है। नासा की ये चिंता इसलिए है, क्योंकि चीन अपना अंतरिक्ष स्टेशन 2022 में ही बना चुका है। अपने उपग्रहों की संख्या दोगुनी कर दी है। चार वर्ष में अरबों डालर इन्वेस्ट किए हैं। अमेरिकी स्पेस फोर्स के कमांडन ने चीन के ट्रैकिंग उपग्रहों को लेकर चेताया है, जिनका इस्तेमाल सैन्य अभियानों की निगरानी के लिए किया जा सकता है। चीन विशाल जासूसी गुब्बारे और हाइपरसोनिक मिसाइलें भी विकसित कर रहा है।
स्पेस समझौते का उल्लंघन होगा
नेल्सन ने पहले बोला था कि दक्षिण चीन सागर में जिस तरह चीन की गतिविधियां, उसका मनमाना व्यवहार है, उससे साबित होता है कि वह अंतरिक्ष में किस तरह का व्यवहार करेगा। यदि ऐसा हुआ तो यह 1967 आउटर स्पेस समझौते का उल्लंघन होगा। मेरी चिंता ये है कि कहीं चीन चांद पर पहुंचकर ये बोलना न प्रारम्भ कर दे कि ये हमारी स्थान है, आप इस क्षेत्र से बाहर रहें। जाहिर है कि अंतरिक्ष में भी कोई एक दूसरे के काम में दखल नहीं देगा, लेकिन यह घोषणा न करें कि यह पूरा क्षेत्र अचानक आपका हो गया है। अंतरिक्ष में आक्रामकता बहुत हानि पहुंचाएगी।
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