अंतर्राष्ट्रीय

 अमेरिका हर साल केवल सात फीसदी भारतीयों को देता है ग्रीन कार्ड

अमेरिका में आईटी समेत हर क्षेत्र में हिंदुस्तानियों की संख्या बढ़ रही है हिंदुस्तानियों के बढ़ते प्रभुत्व के बीच अमेरिकी राज्य पेंसिल्वेनिया से संसद सदस्य मैट कार्टराईट ने साफ बोला है कि अमेरिका में भारतीय पेशेवरों की कठोर आवश्यकता है और इसके लिए हिंदुस्तानियों को ग्रीन कार्ड देने के लिए सात प्रतिशत कोटा तय किया गया है हटाया जाना चाहिए

एक भारतीय समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में अमेरिकी राजदूत ने बोला कि अमेरिका को उत्कृष्ट गुणवत्ता, उच्च कुशल और बुद्धिमान लोगों की आवश्यकता है और इसलिए महत्वपूर्ण है कि जॉब की तलाश कर रहे भारतीय अमेरिका में आकर रहें

गौरतलब है कि अमेरिका हर वर्ष सिर्फ़ सात प्रतिशत हिंदुस्तानियों को ग्रीन कार्ड देता है मैट कार्टराइट लंबे समय से इस कोटा को हटाने की मांग कर रहे हैं उन्होंने बोला कि अमेरिका ने प्रत्येक राष्ट्र के सिर्फ़ सात प्रतिशत नागरिकों को ही ग्रीन कार्ड देने का निर्णय किया है इससे हिंदुस्तान जैसे लोकतंत्र और मित्र राष्ट्र अमेरिका को हानि हो रहा है भारत में बड़ी संख्या में उच्च शिक्षित लोग हैं लेकिन अमेरिका की कोटा प्रणाली के कारण उन्हें अमेरिका में मौका नहीं मिल रहा है और अमेरिका उन्हें मौका न देकर उन्हें बेवकूफ बना रहा है

उन्होंने आगे बोला कि अमेरिका ने अपने राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए हमेशा अत्यधिक बुद्धिमान और अत्यधिक कुशल लोगों का स्वागत किया है और यह नीति सैकड़ों सालों से चली आ रही है, इसलिए सात फीसदी कोटा लागू करने का फैसला गलत है भारत और अमेरिका के बीच तरराष्ट्रीय व्यापार भी बहुत जरूरी है और इसके लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि हिंदुस्तान से अधिक से अधिक संख्या में लोग अमेरिका आएं

गौरतलब है कि मैट कार्टराईट जिस कोटा का विरोध कर रहे हैं वह ग्रीन कार्ड पर लागू होता है जो लोग अमेरिका आते हैं और ग्रीन कार्ड प्राप्त कर लेते हैं उन्हें अमेरिका में हमेशा के लिए रहने का अधिकार मिल जाता है अमेरिका ने प्रत्येक राष्ट्र के लोगों को ग्रीन कार्ड जारी करने की सीमा तय कर दी है

एक अनुमान के अनुसार अमेरिका में एशियाई मूल के 23.5 लाख लोग रहते हैं जिसमें सबसे अधिक 52 लाख लोग चीनी मूल के हैं और दूसरे नंबर पर 48 लाख लोग भारतीय मूल के हैं

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