अमेरिका : छात्रों के विरोध प्रदर्शन में बाहरी लोग भी हुए शामिल
वाशिंगटन: हमास का आतंकवादी धावा और फिर इजराइल का पलटवार. अब इस जंग का असर अमेरिका में व्यापक तौर पर देखने को मिल रहा है. इजराइल-हमास युद्ध को लेकर कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इस महीने प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी के बाद से कई अन्य कॉलेज परिसरों में भी विद्यार्थियों ने प्रदर्शन प्रारम्भ कर दिए हैं. विद्यार्थी विश्वविद्यालयों से उन कंपनियों से अलग होने की मांग कर रहे हैं जो गाजा में इजराइल के सेना प्रयासों में सहायता कर रही हैं. न्यूयॉर्क पुलिस ने 18 अप्रैल को कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रदर्शनकारियों को अरैस्ट किया था जिसके बाद देशभर में अरैस्ट प्रदर्शनकारियों की संख्या 1,000 पहुंच गई है.
विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुए बाहरी लोग
कई कॉलेज परिसरों में विरोध प्रदर्शन विद्यार्थी गुटो द्वारा आयोजित किए गए हैं. कुछ विश्वविद्यालयों ने बोला कि विद्यार्थियों के प्रदर्शन में बाहरी लोग भी शामिल हो गए हैं और उन्होंने कठिनाई पैदा की है. ये प्रदर्शन कनाडा और यूरोप तक फैल गए हैं. फ्रांस की पुलिस ने सोरबोन यूनिवर्सिटी के मुख्य प्रांगण में फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों के कब्जा जमाने के बाद यूनिवर्सिटी से कई विद्यार्थियों को निकाला है. अधिकारी अकादमिक साल समाप्त होने के कारण प्रदर्शन खत्म करने की प्रयास कर रहे हैं लेकिन कई नामी विश्वविद्यालयों में विद्यार्थी बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे हैं. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता बेन चांग ने बोला कि यूनिवर्सिटी समयसीमा के बाद परिसर खाली करने की चेतावनी का उल्लंघन करने वाले विद्यार्थी प्रदर्शनकारियों को निलंबित करने की कार्रवाई प्रारम्भ कर रहा है.
भारतीय छात्रा गिरफ्तार
इस बीच यहां यह भी बता दें कि हाल ही में अमेरिका के प्रतिष्ठित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली एक भारतीय मूल की छात्रा अचिंत्य शिवलिंगम को कॉलेज के परिसर में फिलस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन के दौरान अरैस्ट किया गया था. शिवलिंगम को प्रदर्शन करने और परिसर में तंबू लगाने के चलते अरैस्ट किया गया था. अचिंत्य शिवलिंगम के साथ एक अन्य छात्र, हसन सईद की भी गिरफ्तारी हुई थी.
बढ़ता जा रहा है विरोध
गौरतलब है कि, अमेरिका में हजारों विद्यार्थी इजराइली सेना अभियान के कारण गाजा में हुई मौतों के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं. यह विरोध प्रदर्शन, न्यूयॉर्क में कोलंबिया यूनिवर्सिटी से प्रारम्भ हुआ था, जो अब राष्ट्र भर के कॉलेजों तक पहुंच गया है. प्रदर्शनकारी अपने विश्वविद्यालयों से गाजा युद्ध से फायदा कमाने वाली कंपनियों से अलग होने और तुरन्त युद्धविराम की वकालत करने की मांग कर रहे हैं.