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अमेरिका: एरिज़ोना कोर्ट के इस फैसले ने एक बड़ा कानूनी और राजनीतिक विवाद कर दिया पैदा

अमेरिका में इस वर्ष नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं इस बीच, चुनावी रूप से जरूरी राज्य एरिज़ोना में शीर्ष न्यायालय के एक निर्णय ने राजनीति को गर्म कर दिया है और मामला चुनावी रूप से जरूरी होता जा रहा है. एरिज़ोना की शीर्ष न्यायालय ने मंगलवार को गर्भपात पर 160 वर्ष पुराने पूर्ण प्रतिबंध को बरकरार रखा. गर्भपात प्रतिबंध के प्रावधानों के अनुसार, न्यायालय के आदेश के विरुद्ध गर्भपात करने वाले चिकित्सक को पांच वर्ष की कारावास की सजा हो सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने एरिज़ोना न्यायालय के निर्णय को क्रूर प्रतिबंध बताते हुए इसकी निंदा की. हालांकि, एरिजोना न्यायालय ने निर्णय में उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्ष 2022 में दिए गए निर्णय का भी हवाला दिया उच्चतम न्यायालय के उस निर्णय ने गर्भपात तक पहुंच की राष्ट्रव्यापी गारंटी को रद्द कर दिया. हालाँकि, एरिज़ोना न्यायालय के इस निर्णय ने एक बड़ा कानूनी और सियासी टकराव पैदा कर दिया है.

फैसले के क्रियान्वयन की अनुमति न दें: अटॉर्नी जनरल

अटॉर्नी जनरल क्रिस मेयस, एरिज़ोना के एक डेमोक्रेट, न्यायालय के निर्णय का विरोध करने वाले पहले आदमी थे. अटॉर्नी जनरल ने शपथ ली थी कि वह न्यायालय के इस निर्णय को लागू नहीं होने देंगे उन्होंने बोला कि यह निर्णय जड़वत और स्वत्तार का अपमान है उन्होंने बोला कि यह कानून 150 वर्ष पहले तैयार किया गया था जब एरिज़ोना एक अलग राज्य भी नहीं था. राष्ट्र में गृहयुद्ध चल रहा था और संयुक्त राज्य अमेरिका में स्त्रियों को वोट देने का भी अधिकार नहीं था. वह दौर अमेरिकी इतिहास के काले कानून जैसा था उन्होंने कहा, ‘जब तक मैं राज्य के अटॉर्नी जनरल के पद पर हूं, तब तक किसी भी स्त्री और किसी चिकित्सक के विरुद्ध इस कानून के अनुसार कोई मुद्दा नहीं चलाया जाएगा’ अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन ने निर्णय की निंदा करते हुए बोला कि रिपब्लिकन स्त्रियों के अधिकार छीन रहे हैं.

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