परमाणु हथियार प्रतिबंध, इसलिए लिया गया ये बड़ा फैसला!

नई दिल्ली। परमाणु हथियारों के निषेध पर संयुक्त राष्ट्र संधि 22 जनवरी 2021 यानी आज से लागू हो गया है। इसके तहत परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लागू किया जाएगा। परमाणु हथियारों को खत्म करने के अंतरराष्ट्रीय अभियान (आईसीएएन) ने घोषणा करते हुए 25 अक्टूबर को कहा गया था कि 50 देशों ने परमाणु हथियार निषेध कानून पर संधि करने की पुष्टि है जिसके बाद यह कानून अगले वर्ष जनवरी में लागू किया जाएगा। इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाला होंडुरास 50वां देश था।
परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि दरअसल परमाणु हथियारों के किसी भी उपयोग से होने वाले भयावह मानवीय परिणामों को लेकर ध्यान आकर्षित करने के लिए दुनिया भर में चलाये जा रहे आंदोलन की एक परिणति है। जो कि परमाणु हथियारों के संपूर्ण उन्मूलन के लिए एक सार्थक प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जोकि संयुक्त राष्ट्र की भी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
आइए जानें क्या है संधि की अहमियत
संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस ऐतिहासिक समझौते को अपनाने से निम्नलिखित कारणों से इस संधि का वैश्विक स्तर पर बहुत अधिक महत्व है.
जिन देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किया और उसकी पुष्टि की है, उन्हें संधि के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। उल्लंघन के मामले में अपराध करने वाले देशों को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित किया जायेगा।
संयुक्त राष्ट्र संधि परमाणु हथियारों के निषेध पर वैश्विक निशस्त्रीकरण की दिशा में एक आदर्श बदलाव को रेखांकित करती है। संधि ने परमाणु हथियारों के एक दूसरे से खतरों के खिलाफ राज्यों द्वारा निवारक के रखरखाव पर संकीर्ण फोकस के कारण परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के सार्वभौमिक लक्ष्य को अलग कर दिया है।
संधि में व्यापक रूप से विकास, परीक्षण, उत्पादन, भंडारण, स्टेशनिंग, स्थानांतरण, उपयोग और परमाणु हथियारों से संबंधित उपयोग के खतरे आदि को शामिल किया गया है। पहले के प्रस्तावित समझौते जैसे गैर परमाणु हथियार संधि (एनपीटी) और व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) में इन सभी पहलुओं को शामिल नहीं किया गया था।
खास बात संधि के अनुच्छेद 1 के तहत यह परिकल्पना की गई है कि भूमिगत विस्फोटों के संचालन के परीक्षणों का पता लगाना कहीं अधिक मुश्किल है। संधि का सबसे मुख्य प्रावधान है- अनुच्छेद 1 (डी) जो कि सभी परिस्थितियों में परमाणु हथियारों के उपयोग या उसके प्रभाव के खतरे को स्पष्ट रूप से निषिद्ध करता है।
इस प्रावधान को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के सलाहकार की राय के आधार पर संधि में शामिल किया गया था, जिसमें कहा गया है कि घातक हथियारों का उपयोग, या यहां तक कि उपयोग करने की धमकी आम तौर पर अवैध थी।
यह संधि पिछले संधियों के विपरीत परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के नैतिक आयाम तक ही सीमित नहीं है। इसका लक्ष्य इस ग्रह पर मानव जीवन को संरक्षित करना है। संधि के प्रावधान सभ्यता के अस्तित्व को समाप्त करने वाले प्रलय की तरह संभावित खतरे वाली घटना पर आधारित हैं।
अंत में सबसे खास बात जैविक और रासायनिक हथियारों के निषेध के बाद सामूहिक विनाश के सभी प्रकार के हथियारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध को लागू करने के लिए यह संधि एक प्रक्रिया के पूरा होने का संकेत देती है। जैविक हथियार सम्मेलन 1975 में लागू हुआ था। रासायनिक हथियार सम्मेलन 1997 में लागू हुआ था।