2024 विश्व कैंसर दिवस की थीम, ‘देखभाल अंतर को बंद करें’
World Cancer Day 2024: पूरे विश्व में हर वर्ष 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस मनाने की आरंभ वर्ष 1933 में हुई थी। सबसे पहले विश्व कैंसर दिवस साल 1993 में जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल के द्वारा मनाया गया था। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कैंसर से बचाव और उसके प्रति जागरूकता पैदा करना है। 2024 विश्व कैंसर दिवस की थीम है ‘देखभाल अंतर को बंद करें’। अभियान का पहला साल पूरे विश्व में कैंसर देखभाल में असमानताओं को समझने और पहचानने के बारे में था।
दरअसल, अधिकांश लोग ऐसे हैं जो ये समझते हैं कि कैंसर की रोग छूने से फैलती है, जिसके चलते लोग कैंसर के रोगियों से ठीक व्यवहार नहीं करते हैं। यही वजह है कि कैंसर के संबंध में फैली गलत धारणाओं को कम करने और कैंसर रोगियों को मोटीवेट करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। वैसे तो कैंसर महिला-पुरुष किसी को भी हो सकता है, लेकिन स्त्रियों में 5 कैंसर अधिक खतरनाक माने जाते हैं। आइए विश्व कैंसर दिवस पर सरकार मेडिकल कॉलेज की गायनेकॉलोजिस्ट डाक्टर अमृता साहा से जानते हैं स्त्रियों में होने वाले 5 कैंसर के बारे में-
महिलाओं को होने वाले 5 जानलेवा कैंसर और रोग के कारण
ब्रेस्ट कैंसर (BREAST CANCER): डॉ। अमृता साहा बताती हैं कि, स्त्रियों के लिए स्तन कैंसर एक बड़ी परेशानी है। स्तन कैंसर के मुद्दे देर से पता लगने के कारण मौत रेट बढ़ रही है। ब्रेस्ट कैंसर में जीन में म्यूटेशन की वजह से स्तन के कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होती है। आमतौर पर लोब्यूल्स और दुग्ध नलिकाओं में घुसकर, वह स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं। कुछ मामलों में, स्तन कैंसर स्तन के अन्य ऊतकों को भी प्रभावित कर सकता है। यह रोग फैमिली हिस्ट्री यानी यदि आपके परिवार में किसी को पहले भी स्तन कैंसर होना या लंबे समय से ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेने से भी हो सकती है। इस रोग के मुख्य लक्षण कोई असामान्य गांठ, गांठ के आकार में बदलाव या दर्द आदि हो सकता है। ब्रेस्ट कैंसर होने पर मैमोग्राफी की जाती है, ताकि छोटे घावों का पता लगा सके। साथ ही एमआरआई से ब्रेस्ट कैंसर के स्टेज का पता लगाया जाता है।
सर्वाइकल कैंसर (CERVICAL CANCER): डॉक्टर के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर स्त्रियों में दूसरा सबसे अधिक होने वाला कैंसर है। हालांकि, सर्वाइकल कैंसर के लिए उत्तरदायी कारण काफी हद पता लगाए जा चुके हैं। यही वजह है कि इससे बचाव का रास्ता भी बाकी कैंसर की तुलना में सरल है। बता दें कि, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) का संक्रमण सर्वाइकल कैंसर का अहम कारण है। आमतौर पर शरीर इससे निपटने में सक्षम होता है, लेकिन कुछ मामलों में वायरस स्त्रियों की सर्वाइकल कोशिकाओं में रुका रह जाता है, जिसकी वजह से डीएनए में परिवर्तन होते हैं। यह रोग बहुत कम उम्र में संभोग करना (16 साल से कम), एक से अधिक सेक्सुअल पार्टनर का होना, धूम्रपान करना, मानव पेपिलोमावायरस संक्रमण (एचपीवी) और इम्यूनोसप्रेशन के कारण हो सकती है। इस रोग के मुख्य लक्षण असामान्य रक्तस्राव, संभोग के बाद रक्तस्राव और योनि स्राव आदि से हो सकती है। सर्वाइकल कैंसर होने पर एसिटिक एसिड (VIA) की जांच, आयोडीन (VILI) की जांच, एचपीवी-डीएनए परीक्षण और कोलपोस्कोपी के अनुसार बढ़े हुए कैंसर की जांच होती है।
यूट्रस कैंसर (UTERUS CANCER): यूट्रस के कैंसर को एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा के रूप में भी जाना जाता है, यह गर्भाशय में प्रारम्भ होता है जिसे एंडोमेट्रियम बोला जाता है। गर्भाशय का कैंसर स्त्रियों में तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह रोग काफी घातक साबित होती है। आंकड़ों के मुताबिक, हर 70 स्त्रियों में से एक को गर्भाशय कैंसर होता है। यूट्रस के अंदर एंडोमेट्रियम नाम की एक परत होता है। एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं जब यूट्रस में असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तो कैंसर हो सकता है। इसके कारण न केवल स्त्रियों को मां बनने में परेशानी आती है बल्कि उन्हें जान का खतरा भी रहता है। यह रोग एस्ट्रोजन पर निर्भर कैंसर, पॉलिसिस्टिक अंडाशय, पीरियड्स की आरंभ और देर से रजोनिवृत्ति (50 साल की उम्र के बाद), कैंसर गर्भाशय स्तन, अंडाशय और कोलन की फैमिली हिस्ट्री, मोटापा, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज होने पर हो सकती है। इस रोग के मुख्य लक्षण पीरियड्स में अनियमितता, रक्तस्राव, रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव और सेक्सुअल कॉन्टेक्ट हो सकते हैं। यूट्रस कैंसर होने पर एंडोमेट्रियल के मोटापे या अनियमितता को जानने के लिए ट्रांसवेजिनल सोनोग्राफी (टीवीएस) और पेल्विस की अधिक जानकारी के लिए एमआरआई किया जाता है।
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अंडाशय का कैंसर (OVARIAN CANCER): ओवेरियन कैंसर अंडाशय से प्रारम्भ होता है। अंडाशय स्त्रियों में पाई जाने वाली प्रजनन ग्रंथियां हैं। अंडाशय प्रजनन के लिए अंडों का उत्पादन करता है। अंडे फैलोपियन ट्यूब्स से गर्भाशय में जाते हैं, जहां निषेचित अंडा प्रवेश करता है और भ्रूण विकसित होता है। अंडाशय स्त्रियों में हॉर्मोंस एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का मुख्य स्त्रोत है। बढ़ती उम्र के साथ स्त्रियों में अंडाशय का कैंसर एक आम परेशानी बनता जा रहा है। स्त्रियों में होने वाले अन्य सभी कैंसर में ओवरी में कैंसर कोशिकाओं का विकास होने की आसार लगभग 4 फीसदी है। इस रोग का कोई रिस्क फैक्टर नहीं है, लेकिन जब तक यह पता चल पाता है तब तक ये कैंसर अपने पहले चरण में पहुंच चुका होता है। इस रोग के मुख्य लक्षण पेट दर्द, अपच, पीठदर्द इस कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। अंडाशय का कैंसर होने पर CA125 जैसा रक्त परीक्षण और कैंसर के फैलाव को जानने के लिए सीटी स्कैन / एमआरआई की जाती है।
कोलोरेक्टल कैंसर (COLORECTAL CANCER): कोलोरेक्टल कैंसर कोलन या मलाशय में होता है। इसे कोलन कैंसर या रेक्टल कैंसर भी बोला जा सकता है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर प्रारम्भ कहां से हो रहा है। कोलन कैंसर और रेक्टल कैंसर को अक्सर एक साथ रखा जाता है, क्योंकि उनमें कई विशेषताएं एक जैसी होती हैं। कोलन बड़ी आंत या बड़ी बोवेल है। मलाशय वह मार्ग है जो कोलन को गुदा (एनस) से जोड़ता है। कोलन और मलाशय मिलकर बड़ी आंत बनाते हैं, जो पाचन तंत्र का हिस्सा है, जिसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) सिस्टम भी बोला जाता है। बड़ी आंत का अधिकतर भाग कोलन से बना होता है। अधिकतर कोलोरेक्टल कैंसर कोलन या मलाशय की आंतरिक परत पर वृद्धि से प्रारम्भ होते हैं। इस वृद्धि को पॉलीप्स बोला जाता है। कुछ प्रकार के पॉलीप्स समय के साथ कैंसर में बदल सकते हैं, लेकिन सभी पॉलीप्स कैंसर नहीं बनते हैं। पॉलीप के कैंसर में बदलने की आसार उस पॉलीप के प्रकार पर निर्भर करती है। इस रोग का मुख्य कारण पुराना कब्ज, कोलोरेक्टल कैंसर की फैमिली हिस्ट्री, धूम्रपान या फैट युक्त डाइट हो सकते हैं। कोलोरेक्टल कैंसर होने पर मल डीएनए परीक्षण और सीटी स्कैन की जाती है।