स्वास्थ्य

अगर आप मधुमेह की बीमारी को हराना चाहते हैं, तो डेली करें ये काम

मधुमेह को जीवनशैली से जुड़ी रोग माना जाता है इसे उलटने का सबसे अच्छा तरीका तेज़ चलना है यहां आप जान सकते हैं कि आपकी गति कितनी होनी चाहिए यदि आप इंटरमिटेंट फास्टिंग प्रारम्भ करने की योजना बना रहे हैं तो देर न करें लंदन के एक अध्ययन में एक बार फिर इसके कई लाभ सामने आए हैं

तेजी से चलें मधुमेह को हराएं
एक नए शोध के अनुसार, नियमित रूप से तेज चलकर आप मधुमेह को मात दे सकते हैं ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित एक नए शोध के अनुसार, तेज चलने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा लगभग 40 फीसदी तक कम हो सकता है अपनी चलने की गति को थोड़ा बढ़ाकर आप मधुमेह के खतरे को 24 फीसदी तक कम कर सकते हैं शोध के अनुसार, हमारी चलने की गति आमतौर पर 3.2 किमी प्रति घंटा होती है

यह व्रत विशेष है
पिछले कुछ वर्षों में वजन घटाने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग का चलन बढ़ा है इसमें 12 से 14 घंटे तक उपवास रखा जाता है और बाकी 10 घंटों में नियमित अंतराल पर पोषक तत्वों से भरपूर खाना खाया जाता है किंग्स कॉलेज, लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक बड़े सामुदायिक अध्ययन में यह पाया गया है कि रुक-रुक कर उपवास करना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभ वाला है इसके फायदा मूड, ऊर्जा स्तर और भूख की अवधि में पाए गए हैं 37,545 लोगों पर किए गए इस शोध की रिपोर्ट यूरोपियन न्यूट्रिशन कॉन्फ्रेंस में पेश की गई है

स्नूज़ बटन दबाना नुकसानदायक नहीं है
क्या आप भी सुबह अलार्म बजते ही स्नूज़ बटन दबा देते हैं? यदि उत्तर हां है तो घबराएं नहीं ऐसा करने से कोई हानि नहीं है स्लीप रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, बार-बार स्नूज़ बटन दबाने से नींद या संज्ञानात्मक क्षमता (ध्यान, याददाश्त, भाषा और फैसला लेने की क्षमता आदि) पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता है जानकारों का मानना है कि स्नूज़ बटन को बार-बार दबाने से आदमी की सुबह उठने की प्रक्रिया नियमित और बेहतर हो जाती है शोधकर्ता दो अध्ययनों के विश्लेषण के आधार पर इस नतीजे पर पहुंचे हैं पहले शोध में 1,732 लोगों को शामिल किया गया वहीं, दूसरे शोध में एक हजार से अधिक लोग शामिल थे

बच्चे संगीत पहचान सकते हैं
एक नए शोध के अनुसार, बच्चे संगीत की धुनों को पहचान सकते हैं एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी और हंगरी के एक अध्ययन संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से किए गए इस शोध के अनुसार, बच्चों की संगीत की धुनों को पहचानने की क्षमता से पता चलता है कि बच्चों में जन्म से ही संगीत की समझ होती है यह कोई ऐसा कौशल नहीं है जो बच्चा धीरे-धीरे सीखता है यह निष्कर्ष 27 नवजात बच्चों पर किए गए एक प्रयोग के आधार पर निकाला गया है शोध की रिपोर्ट कॉग्निशन मीडिया में प्रकाशित हुई है

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