प्रेगनेंसी के दौरान सिर्फ खानपान नहीं, भावनात्मक सपोर्ट भी है जरूरी
ट्रुथ और डेयर जैसे गेम बच्चों पर कैसे बुरा असर डाल सकते हैं। बच्चों की छोटी-छोटी गलतियों को नजरअंदाज करना उनके भविष्य के लिए खतरा बन सकता है बच्चों के बदलते व्यवहार पर कैसे ध्यान दें और ठीक समय पर मार्गदर्शन करें। जानें क्यों बच्चों के बदलते व्यवहार पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है और कैसे ठीक मार्गदर्शन उन्हें गलत रास्ते पर जाने से रोक सकता हैcप्रेगनेंसी के दौरान केवल खानपान नहीं, भावनात्मक सपोर्ट भी है महत्वपूर्ण प्रेगनेंसी का यात्रा किसी भी स्त्री के लिए बहुत खास होने के साथ ही चुनौतीपूर्ण भी होता है।
इस दौरान शारीरिक परिवर्तन तो होते ही हैं, साथ ही स्त्री मानसिक और भावनात्मक रूप से भी एक अलग अनुभव से गुजरती रही होती है। ऐसे में केवल अच्छा खाना और पौष्टिक आहार देना ही काफी नहीं होता। परिवार का भावनात्मक सपोर्ट भी उतना ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह यात्रा अकेले तय करना आसान नहीं होता। परिवार का साथ और सपोर्ट ही उनकी को मजबूती बनता है। प्रेगनेंट वूमेन को यह विश्वास दिलाना बहुत महत्वपूर्ण है कि वह इस यात्रा में अकेली नहीं है। उनके साथ उसका परिवार है, जो उसकी हर कठिनाई और चुनौती का सामना करने में उसके साथ है। यही साथ और सपोर्ट उसे एक मजबूत और आत्मविश्वास से भरी मां बनने में सहायता करता है।
शारीरिक से अधिक मानसिक बदलाव
प्रेगनेंसी के दौरान स्त्री के शरीर में कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जिनसे निपटना महत्वपूर्ण है। पर इनसे भी अधिक अहम होता है भावनात्मक बदलाव। एक प्रेग्नेंट वूमेन के अंदर इस समय कई तरह की भावनाएं उठती हैं—खुशी, डर, चिंता, और अनिश्चितता का मिश्रण। परिवार का योगदान और प्यार ही इन भावनाओं को संभालने में सहायता करता है। स्त्री के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन के कारण कई बार उसे मूड स्विंग्स होते हैं। कभी-कभी वह बहुत खुश होती है, तो कभी-कभी बिना किसी कारण के उदास हो जाती है। ऐसे में परिवार, खासकर पति का सपोर्ट बहुत अर्थ रखता है। स्त्री को यह महसूस होना चाहिए कि वह अकेली नहीं है, बल्कि उसके साथ उसका परिवार खड़ा है।
सिर्फ शारीरिक देखभाल नहीं, मानसिक सहारा भी जरूरी
प्रेगनेंसी के दौरान लोग आमतौर पर स्त्री की शारीरिक देखभाल पर ध्यान देते हैं। उसे पौष्टिक खाना दिया जाता है, चिकित्सक की राय मानी जाती है, लेकिन मानसिक और भावनात्मक देखभाल की आवश्यकता अक्सर नजरअंदाज कर दी जाती है। जबकि प्रेगनेंसी के दौरान मानसिक रूप से स्वस्थ रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य। यदि मां बनने वाली वूमेन मानसिक रूप से तनाव में रहती है या उनके मन में किसी तरह की चिंता होती है, तो यह उनकी स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि परिवार का हर सदस्य स्त्री के साथ अच्छे से पेश आए, उनकी भावनाओं को समझे और जितना हो सके, उतना सपोर्ट दे.
बातचीत और समझदारी से करें मदद
गर्भावस्था के दौरान इस सबसे अधिक आवश्यकता होती है कि उनसे प्यार से बात की जाए। उनकी छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखा जाए। कई बार प्रेगनेंसी के दौरान स्त्री छोटी-छोटी बातों पर परेशान हो जाती है। ऐसे में उसे समझना और उसकी बातें सुनना बहुत महत्वपूर्ण होता है।पति का रोल भी इस समय बहुत अहम हो जाता है। पति को अपनी पत्नी के साथ अधिक से अधिक समय बिताना चाहिए और उसे यह महसूस कराना चाहिए कि वह उसकी हर आवश्यकता और भावना को समझते हैं। एक छोटी-सी हंसी, प्यार से की गई बातचीत, और थोड़ा सा समय, स्त्री को बहुत शाँति दे सकता है।
चिंता से दूर रखने की प्रयास करें।
महिला को प्रेगनेंसी के दौरान कई तरह की चिंताएं हो सकती हैं—बच्चे की सेहत, डिलीवरी, और भविष्य को लेकर। इन चिंताओं से निपटना आसान नहीं होता, लेकिन परिवार का प्यार और समर्थन उसे इन सब से दूर रखने में सहायता कर सकता है। इस समय उन्हें नकारात्मक बातें सुनने से बचाना चाहिए। कई बार आसपास के लोग या सम्बन्धी बिना सोचे-समझे स्त्री को डराने वाली बातें कह देते हैं, जिससे उनकी चिंता और बढ़ जाती है। परिवार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रेगनेंसी में हर समय सकारात्मक माहौल में रखा जाए। उसे इस बात का विश्वास दिलाना चाहिए कि सब कुछ ठीक होगा और वह एक खुशहाल जीवन की ओर बढ़ रही है।
छोटा-सा इशारा, बड़ा सहारा
कई बार छोटी-छोटी बातें भी बड़ा फर्क डालती हैं। जैसे कि यदि स्त्री को थकान हो रही है, तो उसके लिए थोड़ा आरामदायक माहौल बनाना, उसकी पसंद का खाना बनाना, या उसके लिए हल्की-फुल्की मसाज कर देना। यह सब बातें प्रेगनेंट वूमेन को न सिर्फ़ शारीरिक आराम देंगी, बल्कि उसे मानसिक रूप से भी शाँति मिलेगा, स्त्री के लिए यह महसूस करना बहुत महत्वपूर्ण है कि परिवार उसके साथ है और उसकी हर आवश्यकता का ख्याल रखा जा रहा है। यह केवल पति या परिवार के बड़े ही नहीं, बल्कि घर के हर सदस्य की जिम्मेदारी है कि वे प्रेगनेंट वूमेन का ध्यान रखें और उसे हर तरह से सपोर्ट करें।