स्वास्थ्य

खाली पेट चाय या कॉफी पीने से तबाह हो सकती है आपकी सेहत

नई दिल्ली . हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति जीवन का सरल तरीका बताती है. आयुर्वेद मर्ज को नहीं बल्कि रोगी न बनें इसकी राय देता है. हर मौसम के लिए अलग रेसिपी, खान पान का सधा अंदाज स्वास्थ्य के लिए राहत का सबब बन सकता है.

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सावन अभी समाप्त नहीं हुआ है. इसके बाद भादो में भी बादल बरसेंगे. ऐसे में चाय पकौड़े की तलब होना लाजिमी है. डॉक्टर कहते हैं पकौड़े खाएं, तला भुना खाएं लेकिन संभल कर. ऑयल से अधिक देसी घी का इस्तेमाल शारीरिक दिक्कतों से आपका बचाव कर सकता है.

ऐसा ही कुछ चाय और कॉफी के साथ भी है. अक्सर सुबह उठ कर तलब होती है एक कप चाय या कॉफी की. लेकिन क्या आप जानते हैं आयुर्वेद इसे स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं मानता. वैद्य एसके राय (आयुर्वेदाचार्य) की राय है कि इसकी स्थान प्रकृत्ति प्रदत्त चीजों का इस्तेमाल किया जाए. मसलन फल खाया जाए या फिर मीठे से आरंभ की जाए.

मीठा भी बर्फी, लड्डू या गुलाब जामुन नहीं बल्कि शुद्ध देसी स्वाद वाला हो. वैद्य कहते हैं गुड़ और पेठा ठीक है. ये आपके शरीर में वात के संतुलन को बनाए रखता है. इससे आगे चलकर किसी भी तरह की शारीरिक कठिनाई नहीं होती.

ऐसा इसलिए भी क्योंकि सुबह सबसे पहले चाय या कॉफी पीने से पेट में एसिड का उत्पादन बढ़ सकता है, डायजेशन यानि पाचन संबंधी कठिनाई बढ़ सकती है, पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा उत्पन्न हो सकती है और ब्लड-शुगर लेवल बढ़ घट सकता है.

पेट संबंधी रोगों से ही नहीं न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों से बचा जा सकता है. अक्सर इस मौसम में शरीर में दर्द या बादी की कम्पलेन होती है (जो नसों से जुड़ा होता है) और आयुर्वेद के अनुसार कड़वे रस के गुण से परिपूर्ण चायपत्ती और कॉफी वात को बढ़ाने में मददगार साबित होती है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च यानि आईसीएमआर ने भी हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी. जिसमें हिंदुस्तानियों के लिए एक रिवाइस्ड डाइट गाइडलाइंस का जिक्र था. इसमें चाय कॉफी पीने को लेकर राय भी दी गई थी. गाइडलाइंस के अनुसार खाने से एक घंटे पहले और बाद में भी चाय कॉफी से तौबा कर लेनी चाहिए. उनके अनुसार यह आयरन को पचाने में कठिनाई खड़ी करता है और एनीमिया होने का खतरा पैदा करता है.

सभी जानते हैं कि चाय और कॉफी में कैफीन होता है, ये एक उत्तेजक पदार्थ है. जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है और मनोवैज्ञानिक निर्भरता को बढ़ाता भी है. हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति भी तो यही कहती है. स्वास्थ्य नेमत है इसलिए किसी भी तरह से आदी बनने की प्रवृत्ति का त्याग कर सुखी जीवन जिएं.

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