स्वास्थ्य

Auto-Brewery Syndrome: इस रोग में शरीर में ही बनने लगता है अल्कोहल, ऐसे करें इसकी पहचान

अल्कोहल स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक माना जाता है. इससे मेटाबॉलिज्म से लेकर कैंसर जैसी गंभीर रोंगों का खतरा रहता है. पर क्या हो यदि किसी के शरीर में स्वयं से ही अल्कोहल बनने लग जाए? हाल ही में बेल्जियम में ऐसा ही एक मुद्दा सामने आया है जिसमें आदमी में दुर्लभ ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम (एबीएस) का निदान किया है. इस विकार के कारण शरीर शुगर और स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों को अल्कोहल में बदलने लगता है. इससे ऐसे लक्षण पैदा हो सकते हैं जैसे कि आप नशे में हों, भले ही आपने शराब न पी हो.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पहले पुलिस ने इस आदमी को ड्रिंक एंड ड्राइव मुकदमा में अरैस्ट किया. हालांकि वकील ने न्यायालय में कहा कि उसे एबीएस की परेशानी है जिस कारण से उसमें नशे जैसे लक्षण दिख रहे थे. ये मुद्दा सोशल मीडिया पर छाया हुआ है.

ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम के बारे में जानिए

मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है. इसे कभी-कभी “ड्रंकनेस डिजीज” के रूप में भी जाना जाता है. यह दुर्लभ स्थिति आपको बिना शराब पिए नशे में धुत्त बना देती है. ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का निदान करना अक्सर कठिन हो सकता है. पिछले कई दशकों में इस सिंड्रोम के सिर्फ़ कुछ ही मुद्दे सामने आए हैं. जिन लोगों को पहले से ही ये परेशानी है और यदि वो थोड़ी मात्रा में भी शराब पी लेते हैं तो इसके लक्षण कहीं अधिक गंभीर हो सकते हैं.

क्या है इस सिंड्रोम का कारण?

ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम में आपका शरीर, कार्बोहाइड्रेट से अल्कोहल (इथेनॉल) बनाने लगता है. यह आंतों के अंदर होता है. कुछ जानकारों का मानना है कि आंत में बहुत अधिक यीस्ट होने के कारण इस विकार का खतरा हो सकता है.

स्वास्थ्य जानकारों ने कहा वयस्कों या बच्चों, किसी में भी ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम की परेशानी हो सकती है. कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि कुछ लोग जन्मजात ऐसी समस्याओं के साथ पैदा होते हैं जो इस सिंड्रोम को ट्रिगर करती है. वयस्कों में आंत में बहुत अधिक यीस्ट के कारण क्रोहन डिजीज हो सकता है जिसके कारण भी ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम की परेशानी ट्रिगर हो सकती है.

क्या है इस परेशानी की पहचान?

स्वास्थ्य जानकार कहते हैं, कुछ प्रकार के लक्षणों की सहायता से ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का पता किया जा सकता है हालांकि अक्सर इन मरीजों में ऐसा लगता है कि उन्होंने शराब पी हुई है इसलिए लक्षणों के आधार पर इसका ठीक निदान करना मुश्किल हो सकता है.

आमतौर इसमें नशे की तरह लक्षण दिखने के साथ-साथ चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी-निर्जलीकरण, थकान, याददाश्त-एकाग्रता की कमी और मनोदशा में परिवर्तन महसूस हो सकती है.

क्या है इसका इलाज?

विशेषज्ञों का बोलना है कि ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का पता लगाने के लिए कोई विशिष्ट टेस्ट नहीं है. इसके निदान के लिए चिकित्सक आंतों में ईस्ट की जांच की भी राय दे सकते हैं. जिन लोगों में इस सिंड्रोम का निदान किया जाता है उन्हें कोर्बोहाइड्रेट वाले ड्रिंक्स से परहेज करने की राय दी जाती है. कुछ प्रकार के एंटीफंगल दवाओं की सहायता से भी रोग के लक्षणों को सुधारने में सहायता मिल सकती है.

वैसे तो ये सिंड्रोम काफी दुर्लभ है पर कुछ स्थितियों में इसके कारण गंभीर और जानलेवा समस्याओं के विकसित होने का भी खतरा हो सकता है.

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है.

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, जानकारों और अकादमिक संस्थानों से वार्ता के आधार पर तैयार किए जाते हैं. लेख में उल्लेखित तथ्यों और सूचनाओं को मीडिया के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा और परखा गया है. इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है. संबंधित लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है. मीडिया लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है. उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित रोग के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श लें.

Related Articles

Back to top button