इस टीके की 2 खुराक से डेंगू का इफेक्ट होगा 50% कम
Dengue Virus: बारिश के मौसम से लेकर सर्दी की आरंभ तक का वक्त डेंगू का सीजन माना जाता है। इस दौरान आस-पड़ोस में डेंगू का प्रकोप देखने को मिलता है। लेकिन अब डेंगू का मच्छर आपको ज्यादा परेशान नहीं कर सकेगा। दरअसल अध्ययन में सामने आया है कि डेंगू रोधी टीके ‘क्यूडेंगा’ ने इस रोग के मामलों को कम करने में 50 प्रतिशत से अधिक असर दिखाया है और इसका असर लंबे समय तक बना रहता है।
यह जानकारी 19 अध्ययनों की समीक्षा से मिली है। यह विश्व स्तर पर पहली व्यापक समीक्षा है जिसमें 20 हजार से अधिक लोगों को शामिल किया गया था। इसमें पाया गया है कि टीके की दो खुराक लगवाने के बाद 90 प्रतिशत से अधिक वयस्कों और बच्चों में डेंगू के सभी चारों प्रकार के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई। इन 19 अध्ययनों के विश्लेषण में से 13 में एशिया और दक्षिण अमेरिकी स्थानों के आंकड़े थे जहां डेंगू स्थानिक महामारी है। इस टीके को मई में डब्ल्यूएचओ ने पूर्व-स्वीकृत प्रदान की थी।
इटली में फेरारा यूनिवर्सिटी से जुड़ी और जर्नल ‘वैक्सीन’ में प्रकाशित शोध की मुख्य लेखिका मारिया एलेना फ्लैको ने बोला कि सुरक्षा, प्रतिरक्षा और प्रभावकारिता के संदर्भ में परिणामों को देखते हुए दो खुराक निस्संदेह डेंगू की रोकथाम के लिए एक जरूरी उपकरण हो सकती हैं।
जापान ने विकसित की वैक्सीन
जापान स्थित टेकेडा फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा विकसित ‘क्यूडेंगा’ टीके को टीएके-003 भी बोला जाता है। इसमें डीईएनवी वायरस (डेंगू) के चारों प्रकार के कमजोर संस्करण शामिल हैं। लेखकों ने यह भी पाया कि टीके की एक ही खुराक लगवाने वालों में से 70 फीसदी से अधिक वयस्कों और 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों और किशोरों में वायरल संक्रमण के विरुद्ध एंटीबॉडी विकसित हुई।
लेखकों ने बोला कि एक शोध में काफी बड़ा नमूना था जिसने साढ़े चार वर्ष तक अध्ययन किया तथा इसने टीएके-003 की दीर्घकालिक सुरक्षा (और प्रतिरक्षा) के मजबूत सबूत प्रदान किए।
भारत में अभी नहीं मिली मंजूरी
फरवरी में टेकेडा और हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई लिमिटेड ने ‘क्यूडेंगा’ टीके तक पहुंच बढ़ाने के लिए रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की। टीके को अब तक हिंदुस्तान में इस्तेमाल के लिए स्वीकृति नहीं मिली है। शोध के लेखकों ने बोला कि ‘क्यूडेंगा’ टीके ने आशाजनक रिज़ल्ट दिखाए हैं, लेकिन इसकी प्रभावशीलता और सुरक्षा का व्यापक अनुमान मौजूद नहीं है।