स्वास्थ्य

2 साल के बच्चों की भी फूल रही सांसें, डॉक्टर बोले…

जांजगीर बढ़ती उम्र में होने वाली सांस की रोग अब कम उम्र वालों को भी होने लगी है. फेफड़ा भी कमजोर हो रहा है. अस्थमा इसकी बड़ी वजह है. चौंकाने वाली बात यह है कि 1-2 वर्ष के बच्चों को भी अस्थमा हो रहा है. डॉक्टर्स के अनुसार इसकी सबसे प्रमुख वजह वंशानुगत परेशानी है. अस्थमा के सबसे प्रमुख कारणों में चिकित्सक वंशानुगत कारण, बदलती जीवनशैली और खानपान के साथ धूल, धुएं से बढ़ते प्रदूषण को इसकी वजह मान रहे हैं. जिला हॉस्पिटल के मेडिसिन जानकार डाक्टर आलोक मंगलम के मुताबिक अस्थमा के अधिकतर मुद्दे आनुवांशिक होते हैं.

जिला हॉस्पिटल सहित अन्य अस्पतालों में प्रत्येक दिन 100 से अधिक रोगी पहुंच रहे हैं. हर वर्ष मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य अस्थमा के प्रति लोगों को सतर्क करना होता है. अब ज्यादातर लोगों में अस्थमा की रोग सामने आने लगी है. वहीं अधिक से अधिक लोगों की जांच कर उन्हें बेहतर इलाज दिया जा रहा है. अस्पतालों में ऐसे लोग भी पहुंच रहे हैं, जिनकी सांस फूल रही है. चिकित्सक जब जांच करते हैं तो अस्थमा की जानकारी मिल रही है. डॉक्टरों के मुताबिक सांस फूलने पर उपचार में देरी का असर फेफड़े पर पड़ता है. ओपीडी में औसतन चार दमा के रोगी रोज आते हैं: डाक्टर आलोक मंगलम ^जिला हॉस्पिटल के डाक्टर आलोक मंगलम का बोलना है कि अस्थमा के ज्यादातर मुद्दे अनुवांशिक होते हैं. जांच का दायरा बढ़ने से रोगी भी सामने आ रहे हैं. डाक्टर आलोक मंगलम ने बोला कि उनकी ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 4 अस्थमा के रोगी आते हैं. इनमें 2-4 वर्ष के बच्चे भी शामिल हैं. ऐसे लोगों को समय से जांच कराने के साथ ही घर में यदि कोई अस्थमा का रोगी है तो चिकित्सक के संपर्क में बने रहने की राय दी जाती है. युवाओं में दमा का एक कारण धूम्रपान का शौक भी विश्व अस्थमा दिवस इस बार सात मई को मनाया गया. इसका उद्देश्य अस्थमा के प्रति लोगों को सतर्क करना है. डॉक्टर्स के मुताबिक वायु प्रदूषण, धूम्रपान का शौक और मिलावटी खानपान से 40 प्रतिशत लोगों को अस्थमा हो रहा है. युवाओं में दमा की प्रमुख वजह धूम्रपान भी है. हालांकि जानकारों के मुताबिक दमा का आयुवर्ग से कुछ विशेष लेना-देना नहीं होता. मार्च से अप्रैल और अक्तूबर से नवंबर के बीच अस्थमा रोगियों की बढ़ोतरी होती है. क्योंकि इस गर्मी के दौरान वातावरण में धूल-गुबार और नुकसानदायक कण मिले रहते हैं. अस्थमा से बचने सावधानी बरतनी महत्वपूर्ण डाक्टर मंगलम ने कहा यह अधिकतर तौर पर अनुवांशिक कारणों से होता है. इसलिए अस्थमा से सावधान रहने कोई तरीका ऐसा नहीं है जिसपर अमल कर भविष्य में इसके न होने का दावा किया जा सके. यदि किसी को सांस लेने में परेशानी या सांस फूलने की कठिनाई है तो जल्द जांच कराएं. जांच में अस्थमा होने की पुष्टि होती है तो उसे प्रदूषण और एलर्जिक चीजों से सावधानी बरतनी चाहिए.

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