स्वास्थ्य

सर्वाइकल कैंसर की पहले चरण में पहचान है आसान

सर्वाइकल कैंसर, स्त्रियों में होने वाला दूसरा सबसे बड़ा कैंसर इस कैंसर से स्त्रियों स्त्रियों की मृत्यु का आंकड़ा काफी अधिक है लेकिन अब जल्द ही इसे सरलता से पहचाना और उसका उपचार किया जा सकेगा

दरअसल एम्स (AIIMS) ने एक स्वदेशी कोलोनोस्कोपी तकनीक विकसित की है जो स्वास्थ्य कर्मियों को सर्वाइकल इंट्राएपिथेलियल नियोप्लाजिया (सीआईएन) कैंसर का शुरुआती चरण का परफेक्ट पता लगाने और 40 सेकंड में थर्मल एब्लेशन द्वारा उसका उपचार करने में सक्षम बनाएगी

सर्वाइकल कैंसर का खतरा

सर्वाइकल कैंसर हिंदुस्तान में स्त्रियों में कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा प्रमुख कारण है हर वर्ष लगभग 95,000 महिलाएं इस रोग से पीड़ित होती हैं और 60,000 से अधिक स्त्रियों की मौत हो जाती है देर से पता चलने और सीमित इलाज विकल्पों के कारण यह आंकड़ा चिंताजनक है

स्वदेशी कोलोनोस्कोपी : एक वरदान

यह नयी तकनीक, पारंपरिक कोलोनोस्कोपी की तुलना में, जो महंगी और जटिल है, अधिक किफायती और इस्तेमाल में सरल है यह ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों और छोटे अस्पतालों में भी स्थापित किया जा सकता है, जिससे स्त्रियों को जरूरी स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच प्राप्त हो सकेगी

 

कैसे काम करता है

यह तकनीक AI का इस्तेमाल करके गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) के असामान्य ऊतकों की पहचान करती है यह स्वास्थ्य कर्मियों को सीआईएन घावों का परफेक्ट पता लगाने और उन्हें थर्मल एब्लेशन नामक एक प्रक्रिया द्वारा शीघ्र से हटाने में सक्षम बनाता है

थर्मल एब्लेशन

थर्मल एब्लेशन एक गैर-इनवेसिव प्रक्रिया है जिसमें रेडियो तरंगों का इस्तेमाल करके  सर्विक्स के असामान्य ऊतकों को जला दिया जाता है यह प्रक्रिया 40 सेकंड में पूरी की जा सकती है और इसमें दर्द कम होता है

दी जा रही  ट्रेनिंग 

एम्स वर्तमान में स्वास्थ्य कर्मियों को इस नयी तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है आने वाले महीनों में, इस तकनीक को राष्ट्र भर के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में स्थापित किया जाएगा

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