स्वास्थ्य

शरीर में इन 3 चीजों का असंतुलन बन सकता है, कई प्रकार की बीमारियों का कारण, ऐसे करें बचाव

आयुर्वेद के मुताबिक शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वात,पित्त और कफ इन तीन प्रकार के दोषों का संतुलित रहना बहुत ही महत्वपूर्ण है, वात,पित्त और कफ के असंतुलित होने पर स्वास्थ्य संबंधी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है आयुर्वेद में वर्णित है ‘यत पिंडे तत ब्रह्मांडे’ यानि जो भी कुछ मनुष्य के पिण्ड यानी शरीर में है, एकदम वैसा ही सब कुछ इस ब्रह्मांड में है संपूर्ण ब्रह्मांड द्रव्य एवं ऊर्जा का संगम है जिस तरह से ब्रह्मांड को सूर्य चंद्रमा, वायु नियंत्रित करती है उसी प्रकार शरीर रूपी ब्रह्मांड को वात, पित्त, कफ कंट्रोल करते हैं

जिला आयुर्वेदिक डाक्टर सुनील रतूड़ी बताते हैं कि हमारा शरीर पांच तत्वों (जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु) से मिलकर बना है वहीं शरीर का स्वास्थ्य वात यानि वायु, पित्त यानि अग्नि और कफ या जल एवं अन्य धातु, इन तीनों में संतुलन बनाता है ये तीनों यदि शरीर में संतुलित हैं तो आप स्वस्थ हैं, यदि इनमें से किसी का भी संतुलन बिगड़ा तो बीमारी उत्पन्न होने लगते हैं यही कारण है कि आयुर्वेदिक पद्धति में उपचार के दौरान डॉक्टर केवल बीमारी के लक्षणों को ही नहीं देखते बल्कि आपके मन, प्रकृति, दोषों (वात-पित्त-कफ) और धातुओं की स्थिति को भी ध्यान में रखते हैं

कैसे करें त्रिदोष को सही?
डॉ सुनील रतूड़ी बताते हैं कि आयुर्वेद के मुताबिक वात, पित्त और कफ को त्रिदोष कहते हैं इनके असतुंलित होने से ‘क्रॉनिक डिजीज’ की समस्याएं हो जाती हैं आयुर्वेद के मुताबिक कफ गुनाह में 28 रोग, पित्त बीमारी में 40 बीमारी और वात गुनाह में 80 प्रकार के बीमारी होते हैं जहां कफ की परेशानी चेस्ट के ऊपरी हिस्से में होती है तो वहीं पित्त की परेशानी चेस्ट के नीचे और कमर में होती है इसके अतिरिक्त वात की परेशानी कमर के नीचे हिस्से और हाथों में होती है इस त्रिदोष की परेशानी को योगासन, प्राणायाम और घरेलू तरीकों से ठीक किया जा सकता है

संतुलित आहार और योग कारगर!
सुनील रतूड़ी बताते हैं कि सिर्फ़ अपनी जीवन शैली में सुधार लाकर, संतुलित आहार लेने और नियमित योग एवं सरल करने मात्र से वात,पित्त और कफ को संतुलित किया जा सकता है यानि सीधे रोंगों की जड़ पर प्रहार किया जा सकता है

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