स्वास्थ्य

लो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए ये है आयुर्वेद का सबसे असरदार इलाज

निम्न रक्तचाप, जिसे हाइपोटेंशन भी बोला जाता है, तब होता है जब आपका रक्तचाप सामान्य सीमा से नीचे चला जाता है. हालांकि यह स्थिति उच्च रक्तचाप की तुलना में कम चिंताजनक लग सकती है, फिर भी यह चक्कर आना, बेहोशी, थकान और ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल जैसे लक्षण पैदा कर सकती है. गंभीर मामलों में, इससे सदमा भी लग सकता है.

पारंपरिक इलाज दृष्टिकोण

निम्न रक्तचाप के लिए पारंपरिक चिकित्सा इलाज अक्सर जीवनशैली में परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे नमक का सेवन बढ़ाना, हाइड्रेटेड रहना और परिसंचरण में सुधार के लिए संपीड़न मोज़ा पहनना. कुछ मामलों में, रक्तचाप बढ़ाने के लिए फ्लूड्रोकार्टिसोन या मिडोड्रिन जैसी दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं.

आयुर्वेदिक परिप्रेक्ष्य

आयुर्वेद, प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली, निम्न रक्तचाप के उपचार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है. आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार, निम्न रक्तचाप आमतौर पर वात गुनाह में असंतुलन से जुड़ा होता है, जो शरीर में गति और परिसंचरण को नियंत्रित करता है.

दोषों को संतुलित करना

निम्न रक्तचाप के लिए आयुर्वेदिक इलाज का उद्देश्य वात गुनाह को संतुलित करना और शरीर में संतुलन बहाल करना है. इसमें अक्सर आहार संबंधी संशोधन, जीवनशैली में बदलाव, हर्बल इलाज और विशिष्ट योग अभ्यास शामिल होते हैं.

आहार संबंधी सिफ़ारिशें

आयुर्वेद में, आहार समग्र स्वास्थ्य और संतुलन बनाए रखने में जरूरी किरदार निभाता है. निम्न रक्तचाप को संबोधित करने के लिए, आयुर्वेदिक डॉक्टर अनुशंसा कर सकते हैं:

  • गर्म और पौष्टिक खाद्य पदार्थ: गर्म, नम और पिसे हुए खाद्य पदार्थ वात गुनाह को शांत करने और स्वस्थ परिसंचरण का समर्थन करने में सहायता कर सकते हैं. इसमें पका हुआ अनाज, सूप, स्टू और जड़ वाली सब्जियाँ शामिल हैं.

  • स्वस्थ वसा: आहार में घी (स्पष्ट मक्खन), नारियल ऑयल और जैतून का ऑयल जैसे स्वस्थ वसा को शामिल करने से ऊतकों को पोषण और चिकनाई प्रदान की जा सकती है.

  • जलयोजन: पूरे दिन गर्म तरल पदार्थ पीना, जैसे हर्बल चाय या नींबू के साथ गर्म पानी, जलयोजन बनाए रखने और परिसंचरण का समर्थन करने में सहायता कर सकता है.

हर्बल उपचार

आयुर्वेद दिल स्वास्थ्य का समर्थन करने और दोषों को संतुलित करने के लिए विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों का इस्तेमाल करता है. कुछ जड़ी-बूटियाँ जो निम्न रक्तचाप के लिए लाभ वाला हो सकती हैं उनमें शामिल हैं:

  • अश्वगंधा: अपने एडाप्टोजेनिक गुणों के लिए जाना जाने वाला अश्वगंधा शरीर को तनाव के अनुकूल बनाने और समग्र जीवन शक्ति का समर्थन करने में सहायता कर सकता है.

  • लिकोरिस: लिकोरिस जड़ एक ताकतवर अधिवृक्क टॉनिक है जो स्वस्थ रक्तचाप के स्तर का समर्थन करने में सहायता कर सकता है.

  • ब्राह्मी: यह जड़ी बूटी संज्ञानात्मक कार्य को बढ़ाने और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देने की क्षमता के लिए मशहूर है, जो चक्कर आना और थकान जैसे निम्न रक्तचाप के लक्षणों का अनुभव करने वाले व्यक्तियों के लिए लाभ वाला हो सकती है.

योग और प्राणायाम

आहार और हर्बल हस्तक्षेपों के अलावा, विशिष्ट योग आसन (आसन) और श्वास तकनीक (प्राणायाम) परिसंचरण में सुधार, तनाव को कम करने और दोषों को संतुलित करने में सहायता कर सकते हैं. निम्न रक्तचाप वाले व्यक्तियों के लिए ताड़ासन (पर्वत मुद्रा), वृक्षासन (वृक्ष मुद्रा), और भस्त्रिका प्राणायाम (बेलोज़ ब्रीथ) जैसे अभ्यास विशेष रूप से लाभ वाला हो सकते हैं.

आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श

जबकि आयुर्वेद निम्न रक्तचाप के लिए प्राकृतिक उपचारों का खजाना प्रदान करता है, किसी भी नए इलाज को प्रारम्भ करने से पहले एक योग्य आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है. एक प्रशिक्षित डॉक्टर आपके अद्वितीय संविधान (प्रकृति) और असंतुलन (विकृति) का आकलन कर सकता है और आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक इलाज योजना तैयार कर सकता है. आयुर्वेद निम्न रक्तचाप के इलाज, शरीर में अंतर्निहित असंतुलन को दूर करने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है. आहार में संशोधन, हर्बल उपचार, योग अभ्यास और जीवनशैली में परिवर्तन को शामिल करके, आदमी निम्न रक्तचाप को कारगर ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं और बेहतर जीवन शक्ति और समग्र स्वास्थ्य का अनुभव कर सकते हैं.

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