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जानिए, फूड पॉइजनिंग से बचने का तरीका

बरसात के दिनों में फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning) के मुद्दे काफी बढ़ जाते हैं छोटे बच्चे हो या बड़े किसी भी उम्र के लोगों को फूड पॉइजनिंग की परेशानी हो सकती है लेकिन कुछ एहतियात से हम इस रोग से बच सकते हैं बरसात में जीवाणु अधिक एक्टिव हो जाते हैं कटे हुए फल, सब्जियां, मिठाई या अन्य पदार्थ शीघ्र खराब हो जाते हैं मक्खी और मच्छर इसपर बैठते हैं और इसके जीवाणुओं को एक खाद्य पदार्थ से दूसरे खाद्य पदार्थ तक ले जाते हैं जब जीवाणुओं से संक्रमित खाद्य पदार्थ को कोई आदमी खाता है तो वह खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning) का शिकार हो जाता है अधिकतर खाद्य विषाक्तता तीन प्रमुख कारणों में से एक हो सकता है जिसमें बैक्टीरिया, परजीवी या वायरस शामिल है ये रोगज़नक़ मनुष्य द्वारा खाए जाने वाले लगभग सभी खाद्य पदार्थों में पाए जा सकते हैं

हालांकि खाना पकाने से निकलने वाली गर्मी भोजन पर उपस्थित रोगजनकों को मार देती है कच्चे खाए गए खाद्य पदार्थ फूड पॉइजनिंग के सामान्य साधन हैं पानी ऐसे जीवों से भी दूषित हो सकता है जो रोग का कारण बनते हैं फूड पॉइजनिंग का अब तक का सबसे आम कारण बैक्टीरिया हैं परजीवियों के कारण होने वाली खाद्य विषाक्तता बैक्टीरिया जितनी आम नहीं है, लेकिन भोजन के माध्यम से फैलने वाले परजीवी आपके पाचन तंत्र में रह सकते हैं और सालों तक उनका पता नहीं चल पाता है कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों और गर्भवती स्त्रियों को अधिक गंभीर दुष्प्रभावों का खतरा होता है | हेपेटाइटिस ए का कारण बनने वाला वायरस भोजन के माध्यम से भी फैल सकता है

फूड पॉइजनिंग के क्या हैं लक्षण

फूड पॉइजनिंग होने पर बीमार के पेट में ऐंठन, जी मिचलाना, डायरिया और कभी-कभी बुखार और ठंड जैसे लक्षण हो सकते हैं इसके अतिरिक्त उल्टी करना, भूख में कमी, कमज़ोरी और सिर दर्द होता है यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो चिकित्सक से संपर्क करें या तुरंत चिकित्सा इलाज लें यह लक्षण खाना खाने के 2 घंटे से लेकर कुछ दिनों तक प्रकट हो सकते हैं कभी-कभी तो फूड पॉइजनिंग और पेट के फ्लू वायरल संक्रमण में अंतर कर पाना कठिन होता है इसमें लक्षण लगभग एक जैसे ही दिखते हैं

कैसे करें फूड पॉइजनिंग का उपचार

  • फूड पॉइजनिंग होने पर बीमार को काफी कठिनाई होती है आमतौर पर आरंभ में उसकी हालत बहुत गंभीर नहीं होती ठीक समय पर चिकित्सक से राय लेकर इसे कंट्रोल किया जा सकता है
  • डॉक्टर की राय पर उसे उल्टी रोकने वाली दवा लेने, मुनासिब मात्रा में पेय पदार्थ लेने और आराम करने से बीमार की हालत में शीघ्र सुधार हो जाता है
  • कैफीन से बचें क्यूंकि इस समय यह पाचन तंत्र में जलन पैदा कर सकता है
  • मांस और अंडे को अच्छी तरह पकाएं
  • फलों और सब्जियों को परोसने से पहले हमेशा धोना सुनिश्चित करें
  • फूड पॉइजनिंग की जांच कराने के लिए स्टूल टेस्ट भी कराया जाता है परजीवी संक्रमण होने पर बीमार का उपचार अलग ढंग से किया जाता है कभी-कभी इसके लक्षण इन्फ्लेमेटरी बाउल सिंड्रोम गंभीर पाचन परेशानी के रूप में भी दिखने लगते हैं

फूड पॉइजनिंग से बचाव का क्या है बेहतर तरीका

  • फूड पॉइजनिंग से बचाव का सबसे बेहतर तरीका है कि किसी खाद्य पदार्थ को छूने से पहले आप अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें
  • बाथरूम से आने के बाद हाथों को एंटीबैक्टीरियल साबुन से साफ करना चाहिए
  • हमेशा ताजा भोजन करने पर बल दें, हमें जितनी आवश्यकता हो उतना ही भोजन बनाना चाहिए और यदि बच गया हो तो उसे ठीक तापक्रम पर रखना चाहिए
  • आमतौर पर लोग बची हुई चटनी और मसालों को फ्रिज में नहीं रखते जबकि जीवाणु इसमें तेजी से पैदा होते हैं
  • अधिक उम्र के लोगों और छोटे बच्चों की पाचन तंत्र की कार्य क्षमता कम होती है जिसके कारणफूड पॉइजनिंग होने पर उनकी हालत खराब हो जाती है

बच्चों में फूड पॉइजनिंग के लक्षण

  • बच्चों में फूड पॉइजनिंग होने में शरीर में बहुत शीघ्र पानी की कमी हो जाती है उनकी स्किन ढीली दिखने लगती है और आंखें थक जाती है
  • बच्चा काफी देर तक सोने वाली स्थिति में रहता है और उसकी चेतना कम हो जाती है
  • उसके शरीर में पेशाब का बनना भी कम हो जाता है और धीरे-धीरे वह शीघ्र गंभीर हालत में आ जाता है

बच्चों के उपचार के लिए आरंभिक हालत में उन्हें जीवन रक्षक घोल पिलाना काफी लाभदायक होता है यह हर स्थान सरलता से मौजूद होता है एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच का पाउडर मिलाकर घोल बना लेना चाहिए और उसको बार-बार पिलाना चाहिए जीवन रक्षक घोल घर पर भी आसानी से बनाया जा सकता है पानी में एक चम्मच चीनी, चुटकी भर नमक, आधा नींबू, चुटकी भर मीठा सोडा डालकर इसे सरलता से गोल बना जा सकता है इसके अतिरिक्त रोगी को नारियल का पानी, छाछ, पतली दाल, ठंडा तरल पदार्थ भी पिलाते रहना चाहिए, यदि बच्चे के शरीर में पानी की अधिक कमी हो गई हो और वह निंद्रा हालत में या बेहोश है उसकी सांस तेज चल रही है और पेशाब करना भी बंद कर दिया है तो उसे शीघ्र से निकट के हॉस्पिटल में ले जाना चाहिए फूड पॉइजनिंग के अधिकतर मुद्दे गंभीर नहीं होते हैं और अपने आप कम हो जाते हैं लेकिन लक्षणों में सुधार नहीं होता है तो जल्द से जल्द चिकित्सक को दिखाना चाहिए

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