स्वास्थ्य

गंभीर सिरदर्द सबाराकनॉइड हैमरेज का बन सकता है कारण, जाने संकेत

हैदराबाद के अपोलो हॉस्पिटल के चिकित्सक ने एक्सकॉम पर पोस्ट में बोला कि सिरदर्द (Headache) आमतौर पर गंभीर नहीं होता है, और आमतौर पर ये माइग्रेन और टेंशन-टाइप सिरदर्द होते हैं. इनमें कोई गंभीर जटिलता नहीं होती है और इन्हें सरलता से और अक्सर कारगर ढंग से ठीक किया जा सकता है.

सुधीर ने कहा, हालांकि, सिरदर्द (Headache) के सभी कारण सौम्य नहीं होते हैं. सिरदर्द का कारण बनने वाली कुछ स्थितियां गंभीर होती हैं और यदि जल्द पहचान न ली जाए और समय पर उपचार न किया जाए तो इससे विकलांगता और यहां तक कि मौत भी हो सकती है.

डॉक्टर ने कहा कि सबसे गंभीर सिरदर्द (Headache) सबाराकनॉइड हैमरेज (Subarachnoid hemorrhage) के कारण होता है, जो मस्तिष्क में जानलेवा रक्तस्राव का कारण बनता है. यह गंभीर सिरदर्द (Headache) हाल ही में प्रेरक वक्ता जग्गी वासुदेव को हुआ था, जो इससे कई हफ्तों तक पीड़ित रहे. बाद में, उन्हें खोपड़ी में रक्तस्राव को कम करने के लिए इमरजेंसी सर्जरी करानी पड़ी.

“सिरदर्द (Headache) जो अक्सर किसी आदमी को नींद से जगा देता है, या सुबह उठने पर अधिक खराब हो जाता है, या जिसके कारण उल्टी, दोहरी दृष्टि आदि हो सकती है, वह ब्रेन ट्यूमर का संकेत हो सकता है.” सुधीर ने बोला कि बांह या पैर की कमजोरी के साथ आने वाला सिरदर्द “स्ट्रोक” के खतरे का संकेत दे सकता है.

इसके अलावा, जानकार ने बोला कि बुखार के साथ सिरदर्द (Headache) और Alertness कम होना “मेनिन्जाइटिस ( दिमागी बुखार)” हो सकता है, और जो बुखार और दौरे (फिट) के साथ आता है वह “एन्सेफलाइटिस (दिमागी बुखार)” का सुझाव देता है.

सुधीर ने कहा, 50 साल से अधिक उम्र के आदमी में नया सिरदर्द (Headache); 72 घंटे से अधिक समय तक चलने वाला सिरदर्द (Headache); सिरदर्द जो दर्द निवारक दवाओं का उत्तर नहीं दे रहा है,” ये भी “RED ALERT” हो सकते हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है.

हाल ही में सिरदर्द की आवृत्ति, गंभीरता या चरित्र में परिवर्तन भी एक जोखिम कारक हो सकता है जिसके लिए आगे की जांच पड़ताल (Further investigation) की जरूरत होती है. सुधीर ने कहा, यदि आप सिरदर्द (Headache) से जुड़े उपरोक्त किसी भी ‘रेड अलर्ट’ को देखते हैं, तो न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करना और अंतर्निहित कारण को निर्धारित करने के लिए ब्रेन स्कैन (CT या MRI) और/या अन्य जांच करवाना बेहतर है, ताकि मुनासिब इलाज प्रारम्भ किया जा सके.

उन्होंने कहा, “इन स्थितियों में शीघ्र पहचान और मुनासिब इलाज प्रारम्भ करना जीवन रक्षक हो सकता है.

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