इस फूल का नाम सुना है आपने, खुशबू के साथ-साथ दवा के लिए भी है कमाल
अगर एक वाक्य में कहें तो यह फूल नहीं स्वास्थ्य का पूरा खजाना है। इस फूल का नाम है इचिनेशिया। कई लोग इसकी बागवानी करते हैं। यह देखने में जितना सुंदर है उतना ही यह स्वास्थ्य के लिए कमाल का काम करता है। इचिनेशिया डेजी कुल का प्लांट है जो लिली की तरह दिखता है। इसका रंग पिंक और पर्पल की तरह होता है। इसे कोनफ्लावर भी कहते हैं। परंपरागत रूप से इस फूल का कई रोंगों में इस्तेमाल किया जाता है। इचिनेशिया के फूल, जड़ और तना सबका इस्तेमाल दवाइयों और टिंचर में किया जाता है। इसकी चाय भी बनाई जाती है।
इचिनेशिया में गुण
रिपोर्ट के अनुसार इचिनेशिया फूल में बहुत हाई अमांउट में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स का मतलब है कि यह शरीर को कोशिकाओं से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बाहर करता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण कई बीमारियां होती है। डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर सहित कई रोंगों की जड़ में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस ही है। इसमें फ्लेवेनोएड, सिकोरिक एसिड और रोजमेरिनिक एसिड होता है जो कई रोंगों के लिए काल है।
इचिनेशिया के फायदे
सबसे बड़ी बात यह है कि इचिनेशिया इम्यून सिस्टम को बहुत मजबूत कर देता है। शोध में भी यह साबित हो चुका है कि इचिनेशिया इंफेक्शन और वायरस से लड़ने में शरीर के लिए ढाल बन जाता है। इचिनेशिया के सेवन से बीमारियां तेजी से ठीक होने लगती है। इचिनेशिया सामान्य सर्दी-खांसी के लिए बहुत असरदार है। यदि इसकी चाय बनाकर पी जाए तो तेजी से सर्दी-खांसी, इंफेक्शन सहित कई रोंगों का खात्मा होने लगता है। गले की खराश में भी इचिनेशिया बहुत लाभ वाला है।
शुगर भी कम करता
अध्ययन में यह भी पाया गया है कि इचिनेशिया से टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में ब्लड शुगर कम हो गया। एक टेस्ट ट्यूब शोध में पाया गया कि इचिनेशिया कंपाउड कार्बोहाइड्रैट को पचाने वाले एंजाइम को आगे बढ़ने से रोक देता है। इचिनेशिया इंसुलिन सेंसिटिविटी को भी बढ़ा देता है।
एंग्जाइटी में रामबाण
अगर इचिनेशिया की चाय पी जाए तो इससे एंग्जाइटी की परेशानी का निवारण निकल सकता है। इसमें उपस्थित प्लांट कंपाउड, अल्कामाइड्स, रोजमेरिनिक एसिड और कैफिक एसिड एंग्जाइटी के लक्षण को कम करने के लिए लाभ वाला है। इचिनेशिया में एंटी-कैंसर गुण भी पाया गया है। यह स्किन कैंसर कोशिका को बढ़ने से रोकने में बहुत लाभ वाला है।