स्वास्थ्य

इस उम्र में किशोरियां हो रही मानसिक तनाव का शिकार

जवानी का दौर जीवन का वो रंगीन यात्रा है जब हर पल नया अनुभव और प्रत्येक दिन नयी उड़ान होती है लेकिन इस उम्र में कई किशोरियां मानसिक तनाव का शिकार हो रही हैं घर-परिवार का दखल, पढ़ाई का बोझ और करियर बनाने का तनाव, इन सबका असर उनके हार्मोन्स पर भी पड़ रहा है

कानपुर स्थित जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के महिला बीमारी विभाग की टीम द्वारा किए गए एक शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि 13 से 18 वर्ष की 40 फीसदी किशोरियां पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित हैं यह एक ऐसी रोग है जिसमें स्त्रियों में पुरुष हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है और अंडाशय में गांठें बन जाती हैं

हिन्दुस्तान अखबार में छपी एक समाचार के अनुसार, शोध में 500 किशोरियों को शामिल किया गया था दो वर्ष तक चले इस शोध में पाया गया कि 200 किशोरियां पीसीओएस से पीड़ित थीं इनमें से 50% किशोरियों में मानसिक तनाव पीसीओएस का मुख्य कारण था इसके अलावा, खराब लाइफस्टाइल और खानपान में ढिलाई भी इस रोग के लिए उत्तरदायी थे

पीसीओएस से कैसी समस्याएं?
पीसीओएस से पीड़ित किशोरियों में अनियमित पीरियड्स, मोटापा, चेहरे पर अत्यधिक बाल और मुंहासे जैसी समस्याएं देखी गईं शोध की प्रमुख प्रोफेसर डाक्टर सीमा द्विवेदी का बोलना है कि पीसीओएस का पूरी तरह से उपचार संभव नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है

मानसिक तनाव को कम करना जरूरी
डॉ द्विवेदी का बोलना है कि किशोरियों में बढ़ रहे पीसीओएस के मामलों को देखते हुए मानसिक तनाव को कम करना सबसे महत्वपूर्ण है इसके लिए माता-पिता को अपने बच्चों के साथ खुलकर वार्ता करनी चाहिए और उनकी समस्याओं को समझना चाहिए इसके अलावा, किशोरियों को भी अपनी दिनचर्या में परिवर्तन लाना चाहिए और स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए

 

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