स्वास्थ्य

इंसुलिन प्रतिरोध से इन गंभीर रोगों का बढ़ जाता है खतरा

डायबिटीज मरीजों में अक्सर आपने इंसुलिन रेजिस्टेंस या इंसुलिन प्रतिरोध की परेशानी के बारे में सुना होगा? पर क्या आप जानते हैं कि असल में ये परेशानी है क्या?

इंसुलिन हार्मोन, रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायता करता है. इंसुलिन प्रतिरोध तब होता है जब, शरीर की कोशिकाएं इस हार्मोन के प्रति सामान्य रूप से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं. इससे ग्लूकोज कोशिकाओं में सरलता से प्रवेश नहीं कर पाता और इसकी मात्रा खून में बढ़ने लगती है. यही कारण है कि इससे टाइप-2 डायबिटीज बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है.

पर क्या आप जानते हैं कि इंसुलिन रेजिस्टेंस केवल ब्लड शुगर बढ़ने और डायबिटीज के लिए ही समस्याकारक नहीं है, यह स्थिति शरीर में कई अन्य प्रकार की गंभीर रोंगों को भी बढ़ाने वाली हो सकती हैं. डायबिटीज मरीजों में कई प्रकार की रोंगों के बढ़ने का यही कारण होता है.

कई प्रकार की रोंगों का जोखिम

जब हमारे शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति बहुत अधिक प्रतिरोधी हो जाती हैं, तो इससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, जिसे हाइपरग्लेसेमिया बोला जाता है. डायबिटीज मरीजों में यह काफी आम है. पर यदि इसे कंट्रोल न किया जाए तो इसके कारण शरीर में और भी कई प्रकार की दिक्कतें बढ़ने लग जाती हैं.

ऐसे मरीजों में मोटापा, दिल से संबंधित रोग, नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज ( एनएएफएलडी), मेटाबॉलिज्म से संबंधित परेशानी और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी रोंगों के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है.

बढ़ने लगती हैं मेटाबॉलिज्म की दिक्कतें

इंसुलिन प्रतिरोध की परेशानी का सबसे बड़ा जोखिम मेटाबॉलिक सिंड्रोम के रूप में देखा जाता है, इसके कारण आपके पाचन गड़बड़ हो सकता है, कमर के आसपास अतिरिक्त फैट जमा होने-वजन बढ़ने की परेशानी के अतिरिक्त यह दिल रोग-स्ट्रोक के जोखिम को भी बढ़ा देती है.

स्वास्थ्य जानकारों ने पाया कि  मेटाबोलिक सिंड्रोम की परेशानी वाले लोगों में दिल रोगों के गंभीर रूप लेने का जोखिम अधिक हो सकता है.

महिलाओं की स्वास्थ्य पर असर

इंसुलिन प्रतिरोध की परेशानी स्त्रियों में कई प्रकार की दिक्कतों को बढ़ाने वाली मानी जाती है. ऐसे स्त्रियों में मुंहासे, पीसीओएस और बांझपन का खतरा भी हो सकता है.

जॉन्स हॉपकिंस मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के कारण प्रजनन और स्वस्थ बच्चे को जन्म देने में समस्याएं हो सकती हैं. यह परेशानी मेनोपॉज की जटिलताओं और गर्भधारण में कई दिक्कतों का कारण बनती है.

इंसुलिन रेजिस्टेंस को कैसे ठीक किया जा सकता है?

डॉक्टर कहते हैं, इंसुलिन प्रतिरोध की परेशानी को ठीक नहीं किया जा सकता है, जिन डायबिटीक लोगों में दवाओं से भी ये कंट्रोल नहीं हो पाता है उन्हें इंसुलिन इंजेक्शन की परेशानी हो सकती है. हालांकि जीवनशैली में कुछ परिवर्तन करके इसे कंट्रोल करने के कोशिश जरूर किए जा सकते हैं.

  • प्रतिदिन कम से कम 45 मिनट तक व्यायाम करें.
  • अच्छी नींद लें और तनाव मुक्त रहें.
  • वजन कंट्रोल रखें और पौष्टिक आहार लें.
  • लाइफस्टाइल को ठीक रखकर इंसुलिन की गतिविधियों को कंट्रोल किया जा सकता है, पर फिर भी यदि ये कंट्रोल न हो तो चिकित्सक की राय जरूर लें.

 

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