आयुर्वेद एक्सपर्ट से जाने दूब घास का महत्व, और किन बीमारियों में आता है काम
बलिया: कई घास फूस औषधीय गुणों से भरपूर होती है। ऐसी ही एक घास है दूब, जो हमें चलते फिरते सरलता से कहीं भी मिल जाती है। दूब जिसे दूर्वा के नाम से भी जानते हैं। पूजा – पाठ में इस घास का इस्तेमाल किया जाता है। इसे काफी पवित्र घास माना जाता है। लेकिन यह घास औषधीय गुणों से भी भरपूर होती है। इस घास का कई रोंगों को ठीक करने में प्रयोग किया जाता है। अनेक रोंगों को जड़ से समाप्त करने में यह साधारण घास किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। आइए जानते हैं आयुर्वेद एक्सपर्ट से इस घास के महत्व के बारे में।
राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल नगर बलिया की चिकित्साधिकारी डाक्टर प्रियंका सिंह के मुताबिक आयुर्वेद में दूब (दूर्वा) को बहुत गुणकारी औषधि कहा गया है। उन्होंने कहा कि यह साधारण तौर पर बहुत सरलता से हर स्थान मिलने वाली दूब नामक घास को आयुर्वेद में दूर्वा के नाम से जानते हैं। इसके आयुर्वेदिक में कई महत्व बताए गए हैं।
इन रोगों में है रामबाण
डॉ। प्रियंका ने कहा कि गर्मी में अक्सर नाक से खून आने लगता है, यदि इसके दो बूंद स्वरस को निकाल कर नाक में डाल दिया जाय, तो इस परेशानी से निजात मिलती है। यदि किसी को बहुत अधिक सिर दर्द रहता हो, तो इसको पीसकर लेप करें। आंख में लालिमा आने पर भी आंख के ऊपर इसको पीसकर रखने से राहत मिलती है। उल्टी या दस्त में इसको पीसकर चावल के माड के साथ मिलाकर पीने से यह रामबाण की तरह काम करता है। इसको पीसकर दही के साथ खाने से दस्त पूरी तरह से रुक जाता है। इसको घी में मिलाकर लेप करने से या दही में मिलाकर खाने से बवासीर में राहत मिलती है। स्त्रियों में पीरियड या माहवारी बहुत अधिक हो रही हो तो दूब के पतियों को पीसकर चंदन और मिश्री के साथ सेवन करने से फायदा मिलता है। किसी को पथरी और पेशाब की परेशानी है, तो इसको उबाल कर काढ़ा बनाकर मिश्री के साथ सेवन करें। काफी राहत मिलती है।
कोई साइड इफेक्ट्स नहीं लेकिन डॉक्टर से परामर्श जरूर लें
उन्होंने ने बोला कि इसका कोई साइड इफेक्ट भी रजिस्टर्ड नहीं है, लेकिन फिर भी औषधि के रूप में यदि फायदा के लिए सेवन कर रहे हैं, तो एक आयुर्वेद डॉक्टर से परामर्श लेकर ही करें। क्योंकि उम्र और रोग के हिसाब से ठीक मात्रा एक डॉक्टर ही तय कर सकता है।