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विश्व की सबसे प्रसिद्ध लोकगायिका पद्म भूषण शारदा सिन्हा ने गाया है जिन गीतों को, उसे लिखा है इस संगीतकार ने

उधव कृष्ण, पटना शारदा सिन्हा को भला बिहार में कौन नहीं जानता है छठ के गीत भले ही आपको कई गायक और गायिकाओं की आवाज में सुनाई दे, जो आनंद शारदा सिन्हा की गायिकी में है, वह किसी और में नहीं वे गीत केवल एक गीत ही नहीं, बल्कि इमोशन बन गए हैं जैसे ठेकुआ, पिरुकिया और खीर आदि पकवान के बिना छठ का कोई मतलब नहीं है ठीक वैसे ही, छठ पर्व में लोक गीत ही इस महापर्व की आत्मा है यदि आप छठ पूजा के साक्षी रहे हैं, तो कानों से सुनते हुए आपका मस्तिष्क स्वत: इसके अर्थ को खोज सकता है लेकिन, क्या आप जानते हैं कि विश्व की सबसे मशहूर लोकगायिका पद्म भूषण शारदा सिन्हा ने जिन गीतों को गाया है, उसे दिल नारायण झा ने लिखा है

<img class="alignnone wp-image-255809" src="https://www.newsexpress24.com/wp-content/uploads/2023/11/newsexpress24.com-sharda-sinha-lmnu-had-withheld-bihar-kokilas-pension-for-6-years-patna-high-court-jpeg” alt=”” width=”965″ height=”542″ />

कौन हैं शब्दों के ये जादूगर ?
हृदय नारायण झा मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले के निवासी हैं प्रारम्भ से ही इनकी रुचि लेखन में रही है संस्कृत अकादमी से सेवानिवृत्त दिल नारायण झा बताते हैं कि वे कई गीतों की रचना कर चुके हैं वे कहते हैं कि मैंने शारदा सिन्हा द्वारा गए जाने वाले कई छठ गीतों को लिखा है प्रत्येक गीत के शब्दों का चयन बड़ी सावधानी और खोजबीन के साथ की है इसके अतिरिक्त गायिका और गीतकार ने भी उस रेट को समझते हुए इन्साफ किया है शायद यही कारण है कि आज विश्व पटल पर छठ के गीत इतने मशहूर हैं

भोजपुरी शब्द मैथिली धुन क्यों?
कई भाषाओं के पुरोधा ह्रदय नारायण झा कहते हैं कि गीत लिखने से पहले उसके धुन के बारे में सोचता हूं मिथिला का हूं, इसलिए मैथिली खून में बसी है हालांकि, भोजपुरी में भी दिल नारायण ने कई गीत लिखे हैं वे आगे कहते हैं कि मैथिली धुन के साथ भोजपुरी शब्द इसलिए चुना, क्योंकि यह महापर्व पूरे बिहार का अगुवाई करता है

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