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यह थी विदेश में शूट होने वाली पहली बॉलीवुड फिल्म

फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को सफल बनाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं यह देखना आम बात है कि फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों की शूटिंग के लिए विदेश तक पहुंच जाते हैं, जिसका लक्ष्य दर्शकों को खूबसूरत सीन्स दिखाना होता है, ताकि फिल्म को और भी खूबसूरत बनाया जा सके दिलचस्प बात यह है कि 1964 में पहली बार हिंदी फिल्म ‘संगम’ (Sangam) में इस विचार को अपनाया गया था यानी यह मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री की पहली फिल्म थी, जिसकी शूटिंग विदेश में की गई थी बता दें कि 1940 के दशक में हीरेंद्र कुमार बसु ने ‘अफ्रीका में हिंद’ फिल्म बनाई थी इसे पूरी तरह से अफ्रीका में ही शूट किया गया था, लेकिन यह मुख्यधारा की फिल्म नहीं थी जबकि ‘संगम’ एक बड़े बजट की मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री रोमांस थी ऐसे में ‘संगम’ को ही विदेश में शूट होने वाली पहली मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री फिल्म माना जाता है

राज कपूर (Raj Kapoor) और वैयजंतीमाला (Vyjayanthimala) स्टारर इस फिल्म की शूटिंग स्विट्जरलैंड और पेरिस में की गई थी, जिसने इसकी कामयाबी में सहयोग भी दिया फिल्म के कलाकारों ने भी दर्शकों को लुभाने में जरूरी किरदार निभाई, जिससे इस फिल्म को भारी कामयाबी मिली भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में बदलते रुझानों का इतिहास रहा है, जिसमें कहानी की प्राथमिकताओं से लेकर फैशन और शूटिंग स्थानों तक सब कुछ शामिल हैं फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को इन रुझानों के मुताबिक ही शूट करते हैं

राजकपूर की फिल्म हुई थी पहली बार विदेश में शूट
आजकल विदेशों की खूबसूरत लोकेशंस पर फिल्म को शूट करना आम बात हो गई है, लेकिन 1960 के दशक के दौरान फिल्म का बजट आज के मानकों की तुलना में काफी कम था हालांकि, 1964 में राज कपूर (Raj Kapoor) ने एक फिल्म में भारी निवेश करके इस परंपरा को तोड़ दिया यह फिल्म विदेश में, विशेष रूप से स्विट्जरलैंड और पेरिस में शूट की गई थी

वेनिस, पेरिस और स्विट्जरलैंड में हुई थी शूटिंग
राज कपूर और वैजयंतीमाला अभिनीत 1964 की फिल्म ‘संगम’ ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की और अपने समय की सुपरहिट फिल्म के रूप में याद की जाती है फिल्म के रोमांटिक दृश्यों को तीन भिन्न-भिन्न राष्ट्रों में फिल्माया गया: वेनिस, पेरिस और स्विट्जरलैंड राज कपूर ने इस फिल्म के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी शूटिंग पर पानी की तरह पैसा बहाया

फिल्म ने खर्च किए गए बजट से चार गुना अधिक कमाई 
1960 के दशक के दौरान इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जरूरी असर डाला, जिससे राज कपूर को बहुत खुशी हुई क्योंकि इसने खर्च किए गए बजट से चार गुना अधिक कमाई की इस फिल्म से मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री में विदेशों में फिल्मों की शूटिंग की आरंभ हुई इसके बाद ‘लव इन टोक्यो’, ‘प्रेम पुजारी’ और यश चोपड़ा की ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ जैसी फिल्मों को भी स्विट्जरलैंड और यूरोप में फिल्माया गया वर्तमान समय में भी फिल्मों का एक बड़ा हिस्सा विदेशों में फिल्माया जाता है, जिससे राष्ट्र के बाहर फिल्मांकन का चलन अब भी बरकरार है

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