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इस एक्ट्रेस ने अपने युग की सबसे अधिक भुगतान पाने वाली एक्ट्रेस होने का गौरव किया हासिल

Bollywood Retro: एक्ट्रेस माला सिन्हा (Mala Sinh) ने हिंदी, बंगाली और नेपाली सिनेमा में अपने एक्टिंग से खास पहचान बनाई है उन्होंने अपने युग की सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अदाकारा होने का गौरव हासिल किया है उन्होंने 1960 से 1970 के दशक तक कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों में एक्टिंग किया यूं तो माला सिन्हा से जुड़े कई किस्से हैं, लेकिन किस्सा उनकी बायोपिक में दर्ज है इस किस्से के मुताबिक, माला सिन्हा ने एक बार फिल्म के डायरेक्टर को कई घंटों तक केवल एक सेब के लिए इतंजार करवाया था

रामानंद सागर (Ramanand Sagar) द्वारा निर्देशित और निर्मित 1970 की फिल्म ‘गीत’ (Geet) के सेट यह घटना घटी थी इस फिल्म की शूटिंग के दौरान माला सिन्हा एक छोटी सी बात पर नाराज हो गई थीं, जिसके वजह से काफी अशांति भी फैल गई थी आपको यह जानकर आश्चर्य होगी कि माला सिन्हा ने यह सब केवल एक सेब के लिए किया था दरअसल, माला सिन्हा ने शूटिंग से पहले एक सेब की डिमांड की थी, लेकिन जब उन्हें यह नहीं मिला तो उन्होंने शूटिंग रोक दी

एक सेब के लिए माला सिन्हा ने रोक दी थी शूटिंग
माला सिन्हा (Mala Sinh) को हर सुबह सेब खाने की आदत थी ऐसे में उन्होंने फिल्म की शूटिंग के दौरान भी सेब मांगा था आमतौर पर रामानंद सागर की फिल्म ‘गीत’ के सेट पर उनकी यह डिमांड पूरी की जाती थी, लेकिन एक दिन ऐसा नहीं हो सका  इसकी वजह से माला सिन्हा ने पूरा दिन अपने मेकअप रूम में बितायाऔर शूटिंग के  लिए बाहर आने से इनकार कर दिया

सभी को करना पड़ा था सुबह से शाम तक इंतजार
माला सिन्हा के अपने मेकअप रूम में रहने के निर्णय के कारण निर्देशक के साथ-साथ सभी अभिनेताओं को सुबह से शाम तक प्रतीक्षा करना पड़ा जब रामानंद सागर ने स्थिति के बारे में जानने के लिए उनसे संपर्क किया, तो वह वजह जानकर दंग रह गए थे

चार दशकों तक किया मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री पर राज
बॉलीवुड में माला सिन्हा ने तकरीबन चार दशकों तक राज किया और आइकन के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई उनका असर इतना अधिक था कि वह हर फिल्म के लिए अपनी शर्तें तय करती थीं यदि माला सिन्हा की शर्तें पूरी नहीं होती थीं, तो उन्हें सेट पर पहुंचने के बाद भी शूटिंग रोकने का अधिकार था

बाल कलाकार के तौर पर की थी अभिनय की शुरुआत
माला सिन्हा ने 1946 में बंगाली फिल्म ‘जय वैष्णो देवी’ से एक बाल कलाकार के रूप में अपना यात्रा प्रारम्भ किया उन्होंने 1954 में फिल्म ‘हेमलेट’ से हिंदी सिनेमा में कदम रखा फिल्मी दुनिया में अपने चार दशक के प्रभुत्व के बावजूद वह अब फिल्मी पर्दे से पूरी तरह से दूर हैं

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