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आपको अंदर तक झकझोर कर रख देगी इस फिल्म की कहानी

कुछ फिल्मों का असर इतना बड़ा होता है कि वह लंबे समय तक आपके दिमाग पर रहता है और आपको अंदर तक झकझोर कर रख देता है अच्छाई बनाम बुराई की कहानी सदियों पुरानी है, लेकिन ‘दशमी’ में यह एक समकालीन मोड़ लेती है और कई जरूरी प्रश्न उठाती है जिन्हें अब हम आदतन सबसे सामान्य उपायों से नजरअंदाज कर देते हैं ‘दशमी’ समाज के लिए एक दर्पण की तरह है, जो अपना कुरूप चेहरा दिखाती है और परिवर्तन का आह्वान करती है


आजकल हमारे समाज में नाबालिगों से दुष्कर्म की खबरें इतनी आम हो गई हैं कि धीरे-धीरे एक समाज के रूप में हम ऐसे अपराधों के प्रति सुन्न और उदासीन होते जा रहे हैं जब कानून ऐसे अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ हो जाता है और आरोपी अपने अगले शिकार की तलाश में खुलेआम घूमते रहते हैं, तो इसका निवारण क्या है? यह फिल्म लोगों को अपने साहसी और नए उपायों से ऐसे ताकतवर दुष्कर्म आरोपियों को सबक सिखाने के लिए एक साथ आने के लिए प्रेरित करती है फिल्म को काफी ईमानदारी और मेहनत से बनाया गया है, जो स्क्रीन पर नजर आ रहा है

‘दशमी’ उन फिल्मों में से एक है जिसे आने वाले वर्षों तक याद किया जाएगा और जिसके बारे में बात की जाएगी फिल्म आपको ये पूछने पर विवश कर देगी कि हम अपने राष्ट्र में बलात्कार के इन मामलों को कब तक बर्दाश्त करते रहेंगे? हम पीड़ितों और उनके माता-पिता की पीड़ा को कब तक नजरअंदाज करते रहेंगे? और एक समाज के रूप में हम इसके बारे में कुछ क्यों नहीं कर पा रहे हैं? फिल्म की कास्टिंग बहुत बढ़िया है हर अभिनेता ने अपना भूमिका भली–भाँति निभाया है हर अभिनेता की मेहनत स्क्रीन पर साफ नजर आती है वर्धन पुरी, गौरव सरीन, अंकित खेड़ा, दलजीत कौर, राजेश जैस, चारुल मलिक, खुशी हजारे, मनोज सिंह टाइगर, संजय पांडे, राम नरेश दिवाकर, तीर्थ भानुशाली, ऐश्वर्या अनिष्का, स्वाति सेमवाल और शाबाज़ बदी सभी ने अपनी-अपनी भूमिकाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है

‘दशमी’ में छोटी-छोटी चीजों पर सावधानी से काम किया गया है चाहे वह लेखन हो, एक्टिंग हो, छायांकन हो, संपादन हो, संगीत हो या कहानी सुनाना हो, फिल्म दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है इस दिल दहला देने वाले नाटक के निर्देशक शांतनु अनंत तांबे ने बहुत बढ़िया काम किया है, वह लेखक भी हैं यह फिल्म उनकी क्षमता को दर्शाती है लोगों को यह विचारोत्तेजक फिल्म ‘दशमी’ जरूर देखनी चाहिए यह इन्साफ और नैतिकता से संचालित समाज के विचार का प्रचार करता है जिसे बड़े पर्दे पर अनुभव करने की आवश्यकता है

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