Manoj Bajpayee Birthday: जब पहले ही शॉट के बाद मनोज ने सुना गेट आउट…
Manoj Bajpayee Birthday: मनोज बाजपेयी को आज फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बहुत बढ़िया अभिनेताओं में से एक माना जाता है। मनोज बाजपेयी ने 1994 में ‘बेंडिट क्वीन’ के साथ अपना मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री डेब्यू किया था। अपने तीन दशकों से अधिक समय के करियर में मनोज बाजपेयी ने कई बहुत बढ़िया और यादगार भूमिका निभाए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने पहले ही शॉट के बाद मनोज बाजपेयी को डायरेक्टर ने गेट आउट कह दिया था?
मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने मीडिया को दिए साक्षात्कार में बोला था, ”यह यात्रा सरल नहीं रहा। मैंने कई उतार-चढ़ाव देखें। यह एक रोलर-कोस्टर राइड की तरह था। मैं नहीं चाहता कि कोई भी उस चीज का सामना करे, जिसका सामना मैंने किया, क्योंकि 25 वर्ष तो केवल फिल्में और अच्छे रोल पाने के संघर्ष में बीते हैं।”
9 वर्ष की उम्र में कर लिया था अभिनेता बनने का फैसला
ह्युमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए साक्षात्कार में मनोज बाजपेयी ने अपने संघर्ष के दिनों के बारे में खुलकर बात की थी। उन्होंने कहा था, ”मैं एक किसान का बेटा हूं। बिहार के गांव में पला-बढ़ा हूं। छप्पर वाले विद्यालय में 5 भाई-बहनों के साथ गया। मैं बच्चन का बहुत बड़ा फैन रहा और उनके जैसे बनना चाहता था। 9 वर्ष की उम्र में मैं जानता था कि अभिनय ही मेरी किस्मत है। 17 वर्ष की उम्र में दिल्ली आ गया। मेरे परिवार को मेरे थियेटर के बारे में कुछ नहीं पता था। पिताजी को एक खत लिखा और बताया, लेकिन वह गुस्सा नहीं हुए और 200 रुपये मुझे भेज दिए।
3 बार हुए NSD से रिजेक्ट
मनोज बाजपेयी ने कहा था कि मैंने एनएसडी में लागू किया था, लेकिन तीन बार रिजेक्ट कर दिया गया। मैं खुदकुशी करने के करीब था। मेरे दोस्त मेरे साथ सोते थे और मुझे कभी भी अकेला नहीं छोड़ते थे। वह तब तक मेरे साथ रहे, जब तक मुझे एडमिशन नहीं मिल गया।
जब पहले शॉट के बाद डायरेक्टर ने बोला था- गेट आउट
मनोज बाजपेयी ने बैंडिट क्वीन में कास्टिंग के बारे में बात करते हुए बोला था, ”उस वर्ष में एक चाय की दुकान पर बैठा हुआ था और तिग्मांशु धूलिया अपने खटारा स्कूटर पर आए। उन्होंने कहा कि शेखर कपूर मुझे बैडिंट क्वीन में कास्ट करना चाहते हैं। मैं मुंबई चला गया। आरंभ काफी कठिन थी। मैं काम की तलाश में था, लेकिन कोई रोल नहीं मिल रहा था। एक बार एक असिस्टेंड डायरेक्टर ने मेरी फोटो फाड़ दी थी। मैंने एक ही दिन में 3 प्रोजेक्ट गंवाए थे। अपने पहले ही शॉट के बाद मुझे डायरेक्टर ने गेट आउट बोल दिया था। यात्रा काफी कठिन था, लेकिन मनोज बाजपेयी ने हार नहीं मानी।
जीते 3 नेशनल अवॉर्ड
1998 में आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म सत्या से उन्हें पहचान मिली। इस फिल्म के लिए मनोज को बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेता के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला। इसके बाद 2004 में पिंजर के लिए उन्होंने स्पेशल जूरी अवॉर्ड जीता। 2021 में आई फिल्म भोंसले के लिए मनोज बाजपेयी ने बेस्ट अभिनेता का नेशनल अवॉर्ड जीता। मनोज बाजपेयी ने शूल, फिजा, जुबैदा, अक्स, वीर-जारा, राजनीति, आरक्षण, गैंग्स ऑफ वासेपुर, स्पेशल 26, तांडव, अलीगढ़, बुधिया सिंह, गली गुलियां, भोंसले, सोन चिरैया, केवल एक बंदा काफी है, जोरम जैसी बहुत बढ़िया फिल्मों में दमदार एक्टिंग से सबका दिल जीता है।