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Madhuri Dixit की बहन को बनना था एक्ट्रेस, लेकिन…

Madhuri Dixit Birthday: हीरोइनों की बात की जाए माधुरी दीक्षित वो आखिरी हीरोइन हैं जिन्हें ‘स्टार एक्ट्रेस’ बोला जा सकता है. उनके नाम पर टिकट बिकते थे और उस दौर में उनकी फीस सलमान खान से भी अधिक थी. हम आपके हैं कौन में माधुरी को सलमान से अधिक पैसे मिले थे. ऐसी कामयाबी बाद में किसी हीरोइन ने नहीं देखी. माधुरी का एक्टिंग की दुनिया में आना या हीरोइन बनना महज इत्तफाक था. वे तो हीरोइन बनना भी नहीं चाहती थी. स्वयं माधुरी के शब्दों में यह एक दुर्घटना था.

बहुत पहले उन्होंने एक किस्सा कहा था कि राजश्री प्रोडक्शन ने अपनी फिल्म ‘अबोध’ के लिए नए चेहरों को आमंत्रित किया था. बहन को हीरोइन बनना था. मजाक-मजाक में दोनों ने एप्लीकेशन ‍‍भिजवा दी. दोनों को साक्षात्कार के लिए बुला लिया गया. माधुरी नहीं जाना चाहती थी, लेकिन बहन की जिद के आगे झुकना पड़ा. साक्षात्कार देने के बाद दोनों इस बात को भूल गई.

अचानक एक दिन माधुरी को संदेश मिला कि वे चुन ली गईं. वे दंग थीं. उन्हें तो हीरोइन बनना ही नहीं था. वैसे चुन लिया गया था इसलिए उन्होंने ‘अबोध’ फिल्म साइन कर ली.

अबोध फिल्म पूरी हुई. कुछ शहरों में इसे रिलीज किया गया और यह बुरी तरह फ्लॉप रही. इन्दौर जैसे शहर में यह आलम था कि पहला शो दर्शकों के अभाव में कैंसल कर ‍दिया गया. उन दिनों किसी फिल्म का शो रद्द हो जाना बहुत ही आश्चर्य वाली बात हुआ करती थी.

अबोध के बाद माधुरी को लगा कि उनका करियर समाप्त हो गया. किसी ने उन्हें नोटिस नहीं ‍किया. फिल्म की तो बात ही छोड़िए, किसी को पता ही नहीं चला कि इस नाम की कोई फिल्म भी आई है.

इसी बीच सुभाष घई उत्तर दक्षिण नामक फिल्म के लिए हीरोइन ढूंढ रहे थे और उन्हें माधुरी में ‘बात’ नजर आई. उन्होंने माधुरी को साइन कर लिया. यह फिल्म भी नहीं चली, लेकिन अबोध जैसी फ्लॉप नहीं रही.

माधुरी को सुभाष घई ने एक और मौका दिया. राम लखन के लिए साइन किया. सुभाष घई उस समय बड़े नामी निर्देशक थे. उन्होंने माधुरी को दो फिल्म साइन किया तो दूसरे निर्माता-निर्देशकों को लगा कि जरूर इस नयी हीरोइन में दम होगा. एन चंद्रा ने भी यह देखते हुए ‘तेजाब’ के लिए माधुरी को चुन लिया.

तेजाब रिलीज होकर ब्लॉकबस्टर साबित हुई. तीन-चार महीने बाद राम लखन रिलीज हुई और इस फिल्म ने भी बॉक्स ऑफिस पर पैसों की बरसात कर दी. माधुरी को दर्शकों ने खूब पसंद किया. एक-दो-तीन-चार करते हुए वे कामयाबी के शिखर पर जा पहुंची और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

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