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Irrfan Khan Death Anniversary :इरफान खान बचपन में बनना चाहते थे क्रिकेटर

Irrfan Khan Death Anniversary: बॉलीवुड में इरफान खान को ऐसे दमदार अदाकार के तौर पर याद किया जाता है, जिनकी आंखें भी एक्टिंग करती थीं. गहरी नशीली आंखे, ठहरी आवाज, वह मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री के हीरो की तरह नहीं था लेकिन उसके चुंबकीय चरित्र में कुछ ऐसा था जो लोगों को बरबस जोड़ लेता सम्मोहित कर लेता.

इरफान खान का नाम जेहन में आते ही सबसे पहले उनकी आंखें याद आती हैं. वह एक ऐसे अदाकार थे, जो बड़ी ही संजीदगी से अपनी आंखों से एक्टिंग करते थे. इरफान के पिता भी कहते थे कि ‘ये आंखें हैं या प्याला हैं’. राजस्थान के जयपुर में इरफान खान का जन्म एक मुसलमान पठान परिवार में 7 जनवरी 1967 को हुआ था.

इरफान खान बचपन में क्रिकेटर बनना चाह रहे थे. इस बात का खुलासा उन्होंने स्वयं ही एक साक्षात्कार के दौरान किया था. अभिनेता ने बोला था, एक समय था जब मैं क्रिकेट खेलता था. मेरा सेलेक्शन सीके नायडू टूर्नामेंट के लिए हुआ था. उसमें मेरे 26 साथी चुने गए थे जिन्हें एक कैंप में जाना था, लेकिन मैं नहीं जा पाया, क्योंकि कैंप में जाने के लिए मैं पैसे का व्यवस्था नहीं कर पाया. मैंने डिसीजन लिया कि क्रिकेट छोड़ देना चाहिए, क्योंकि इसमें किसी न किसी के योगदान की आवश्यकता होगी.

इसके बाद इरफान खान ने अदाकार बनने की तरफ रुख किया. इरफान खान ने नेशनल स्‍कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला ले लिया था. उन्हीं दिनों पिता की मौत हो गई. जिसके बाद घर से पैसे मिलने बंद हो गए. विद्यालय में पढ़ाई के लिए उनकी स्कॉलरशिप का आवेदन को स्वीकार कर लिया था. इरफान खान अपनी अभिनय की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह मुंबई चले गए.

मुंबई में आकर इरफान खान ने काफी स्ट्रगल किया. वह अभिनय से पहले इलेक्ट्रिशियन का काम करते थे. इरफान को एक बार राजेश खन्ना के घर पर एसी ठीक करने का काम मिला था. जब वह राजेश खन्ना के घर एसी ठीक करने गए, तो राजेश खन्ना की दाई ने दरवाजा खोला था. उस समय इरफान ने पहली बार राजेश खन्ना को देखा था और उन्हें देखकर बहुत खुश हुए थे.

मुंबई में इरफान खान ने फिल्मों के लिए ऑडिशन देना प्रारम्भ कर दिया. हालांकि इरफान के शुरुआती दिन काफी संघर्ष भरे रहे. इरफान को फिल्मों के बजाय टीवी सीरियल में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे थे. इरफान खान ने अपने अभिनय करियर की आरंभ साल 1987 में दूरदर्शन के सीरियल ‘श्रीकांत’ से की. इसके अतिरिक्त उन्होंने हिंदुस्तान एक खोज, चाणक्य, चंद्रकांता, सारा जहां हमारा, बनेगी अपनी बात और संजय खान के धारावाहिक जय हनुमान में काम किया.

टेलीविजन में करियर बनाने के दौरान ही मीरा नायर ने इरफान खान को साल 1988 में प्रदर्शित फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ में कैमियो रोल दिया था, लेकिन फिल्म में उनका सीन कट गया था. इसके बाद इरफान ने साल 1990 में प्रदर्शित फिल्म ‘एक चिकित्सक की मौत’ में काम किया. इस फिल्म में पंकज कपूर और शबाना आजमी की लीड किरदार थी. इसमें इरफान ने एक बेबाक रिपोर्टर की किरदार निभाई थी.

सलाम बॉम्बे में रोल कटने के बाद मीरा नायर ने इरफान से वादा किया था कि किसी अन्य फिल्म में लीड रोल देंगी. उन्होंने साल 2006 में रिलीज फिल्म ‘द नेमसेक’ में उन्हें लीड रोल दिया. साल 2001 में ‘द वारियर’ फिल्म से इरफान की जीवन बदल गई. इस फिल्म के बाद से इरफान को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा. साल 2004 में ‘हासिल’ फिल्म में इरफान को एक नेगेटिव भूमिका में देखा गया था. इस भूमिका के लिए इरफान को खूब प्रशंसा मिली थी.

इरफान खान को बतौर लीड रोल अपनी पहली फिल्म साल 2005 में मिली थी. इस फिल्म का नाम बीमारी था. जिसमें इरफान ने एक पुलिस ऑफिसर की किरदार में थे. हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थी. लेकिन इस फिल्म में इरफान की अभिनय ने सभी का दिल जीत लिया था. इसी फिल्म से इराफान की खूबसूरत आखों को नोटिस किया गया. बोला जाता था कि इरफान की आंखें दमदार एक्टिंग करती हैं.

बॉलीवुड में हिट होने के साथ ही इरफान की एंट्री हुई हॉलीवुड में जहां उन्होंने स्पाइडर मैन, जुरासिक वर्ल्ड और इन्फर्नो जैसी फिल्मों में एक्टिंग किया. हॉलीवुड अभिनेता टॉम हैंक्स ने इरफान खान की सराहना करते हुए बोला था कि- इरफान की आंखें भी एक्टिंग करती हैं.

बीहड़ में तो बागी होते हैं, डकैत मिलते हैं पार्लियामेंट में’ इरफान की फिल्म पान सिंह तोमर का ये डायलॉग आज भी लोगों की जुबां पर रहता है. इरफान खान जब भी अपनी फिल्मों में डायलॉग बोलते थे तो उनके अंदाज ए बयां के लोग प्रशंसक हो जाते थे. इरफान खान एक ऐसे अदाकार थे, जो फिल्मों के बजट और अदाकारा से कहीं अधिक फिल्म की कहानी और अपने भूमिका को महत्व देते थे.

इरफान खान ने अपने करियर के दौरान मकबूल, लंच बॉक्स, हासिल, लाइफ ऑफ पाइ, हिंदी मीडियम, हैदर,पीकू जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया. ‘अंग्रेजी मीडियम’ इरफान खान की अंतिम फिल्म थी,जो 2017 में आई उनकी सुपरहिट फिल्म हिंदी मीडियम का सीक्वल थी. इरफान खान को हिंदी मीडियम और अंग्रेजी मीडियम के लिए सर्वश्रेष्ठ अदाकार का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला.

इरफान खान ने अपने सिने करियर में ऐसी कई फिल्में की हैं, जो मील का पत्थर साबित हुई. तिग्मांशु धूलिया की फिल्म ‘हासिल’ के लिए उन्हें ‘बेस्ट विलेन’ का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था. इरफान खान को फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. साल 2011 में हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था. मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री के कद्दावर अदाकार इरफान खान 29 अप्रैल को इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए.

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