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सिनेमा की शान ‘जोहरा जबीं’ आखिरी वक़्त क्यों गुजरा तंगहाली में…

हिंदी सिनेमा में कई ऐसे सितारे रहे हैं, जो दुनिया को अलविदा कहने के बाद भी यादगार बन गए. करियर में खूब शोहरत भी कमाई, लेकिन अंतिम समय तंगहाली में गुजरा. यहां तक कि उपचार कराने के लिए भी पाई- पाई को तरस गए. ऐसी ही एक अदाकारा हैं अचला सचदेव, जिन्होंने मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री में मां का भूमिका निभाने के लिए पहचान पाई.

इन फिल्मों में किया काम
1950 में अचला सचदेव को देव आनंद की फिल्म ‘दिलरुबा’ में काम करने का मौका मिला. मूवी में उन्होंने देव साहब की बहन का रोल अदा किया था. इसके बाद अचला सचदेव के लिए हिंदी सिनेमा के दरवाजे हमेशा के लिए खुल गए, क्योंकि फिल्म हिट साबित हुई थी. ‘दिलरुबा’ की कामयाबी के बाद अदाकारा ‘चांदनी’, ‘प्रेम पुजारी’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘हरे राम हरे कृष्ण’, ‘संगम’, ‘दिल एक मंदिर’ और ‘मिस मैरी’ समेत कई फिल्में में नजर आईं.

सिनेमा की जोहरा जबीं
अचला सचदेव सबसे अधिक मां का भूमिका निभाने के लिए फिल्म इंडस्ट्री में जानी गईं. वर्ष 1965 में आई फिल्म ‘वक्त’ में अदाकारा बलराज साहनी के साथ नजर आई थीं. फिल्म में उन्होंने अदाकार की पत्नी की किरदार निभाई थी. समय में बलराज साहनी और अचला सचदेव पर फिल्माया गया गाना ‘ऐ मेरी जोहरा जबीं’ खूब पॉपुलर हुआ था.

आखिरी समय में पहचानना हुआ मुश्किल
पुणे में अचला सचदेव अकेले रह रही थीं. इस दौरान वो आर्थिक रूप से भी कमजोर हो चुकी थीं. एक दिन वो फिसल कर अपने किचन में गिर गईं, जिससे उनके पैर की हड्डी टूट गई. इसके थोड़े समय बाद उन्हें लकवा मार गया. अपने आखिरी दिनों में अचला पहचान में नहीं आ रही थीं. 3 महीने तक हॉस्पिटल में संघर्ष करने के बाद 30 अप्रैल 2012 को उनका मृत्यु हो गया. अंतिम समय में अमेरिका में रह रहे अचला सचदेव के बेटे ने भी उनकी सुध नहीं ली.

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