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आज बॉब क्रिस्टो की 13वीं डेथ एनिवर्सरी पर पढ़िए उनकी ट्रैजडी से भरपूर ये कहानी

हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध विदेशी विलेन बॉब क्रिस्टो. वो शख्सियत, जिसने मिस्टर इंडिया, कालिया, रूप की रानी चोरों का राजा, कुर्बानी जैसी करीब 200 फिल्मों में अपने एक्टिंग की गहरी छाप छोड़ी थी. फिल्मों में अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर जैसे प्रसिद्ध हीरों को पीटने वाले घातक बॉब अपने एक्टिंग से दर्शकों के दिल में नफरत पैदा कर दिया करते थे, लेकिन उनके फिल्मों में आने की असल कहानी बहुत फिल्मी है.

सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में पले-बढ़े बॉब एक रोड एक्सीडेंट में पत्नी को खोने के बाद मृत्यु को गले लगाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने सबसे सरल तरीका अपनाया, जो था जंग के माहौल के बीच वियतनाम सेना में भर्ती होना और माइंस में काम करना. एक दिन उनका ट्रक एक बम पर चढ़ा, जिससे तेज धमाका हो गया. हर किसी को लगा कि ट्रक ड्राइव कर रहे बॉब नहीं बचेंगे, लेकिन वो लपटों के बीच ट्रक से जिंदा निकल आए.

एक बार किस्मत ने उन्हें बचा लिया, तो फिर जान जोखिम में डालने के लिए उन्होंने मोरक्को के राजा का जहाज चुराने का प्लान बनाया. यह प्लान भी फेल हो गया और किस्मत उन्हें हिंदुस्तान ले आई. बॉब सिडनी से मस्कट के लिए रवाना हुए थे, लेकिन वर्क परमिट के प्रतीक्षा के बीच उनकी नजर एक मैगजीन कवर पर परवीन बाबी पर पड़ी. परवीन को एक नजर देखने के लिए बॉब हिंदुस्तान में ऐसे रुके कि फिर यहीं बस गए.

 

1938 में सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में जन्मे बॉब क्रिस्टो ग्रीक और जर्मन मूल के एक प्रोफेशनल सिविल इंजीनियर थे. जॉब के साथ-साथ बॉब शौकिया तौर पर सिनेमाघर का हिस्सा बने थे, जहां उनकी मुलाकात हेलगा नाम की लड़की से हुई. साथ समय बिताते हुए दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और फिर विवाह कर ली. इस विवाह से कपल को 3 बच्चे डॉरिस, मोनिक और निकोल थे.

 

बॉब खुशहाल शादीशुदा जीवन जी रहे थे कि एक दिन उन्हें लेने एयरपोर्ट आते हुए उनकी पत्नी का एक्सीडेंट हो गया. हेलगा ने एक्सीडेंट में दम तोड़ दिया, जिससे बॉब सदमे में चले गए. डिप्रेशन में बच्चों की परवरिश ठीक ढंग से न कर पाने पर उन्होंने एक दोस्त की सहायता ली और बच्चों को USA भेज दिया. उन्होंने एक ट्रस्ट प्रारम्भ किया, जो उनके बच्चों का खर्च उठाता था.

पत्नी हेलगा की मृत्यु के बाद बॉब ने मरने का इरादा कर लिया. वियतनाम में 1955 से साउथ-नॉर्थ वियतनाम के बीच जंग छिड़ी हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे जा रहे थे. इस बीच मृत्यु को गले लगाने के लिए बॉब भी वियतनाम सेना में भर्ती हो गए. वो इंजीनियरिंग यूनिट के इंचार्ज थे, जिन्हें घातक माइन में काम  करना होता था.

एक दिन बॉब ट्रक लेकर माइन से गुजर रहे थे, जिस दौरान उनके ट्रक के नीचे एक बम फट गया. हर किसी को लगा कि बॉब नहीं बचेंगे, लेकिन किस्मत ने उनका साथ दिया और वो बच निकले. बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद बॉब जंग का हिस्सा रहे, लेकिन 1975 में जंग समाप्त हो गई. सेना से निकलने के बाद बॉब की जॉब वियतनाम सिनेमा में सेट डिजाइनिंग यूनिट में लग गई.

फिल्ममेकिंग के दौरान बॉब की दोस्ती पैट कैली नाम के शख्स से हुई. एक दिन पैट ने उन्हें कहा कि वो मोरक्को के राजा किंग हसन के कब्जे में रखा हुआ CIA स्पाई जहाज चुराने का प्लान बना रहे हैं. यदि ये प्लान सफल रहा तो दोनों एक झटके में अमीर हो सकते हैं. सिनेमाजी की रिपोर्ट के अनुसार, ये प्लान सुनते ही बॉब भी इसका हिस्सा बन गए.

दोनों ने जहाज चुराने के लिए रेकी करनी प्रारम्भ कर दी. दोनों ठीक मौके की तलाश में थे, लेकिन इससे पहले ही पैट कैली की एक प्लेन क्रैश में मृत्यु हो गई. पैट कैली की मृत्यु के बाद बॉब ने वह जॉब छोड़ दी और साउथ अफ्रीका के रोडेशियन (अब जिम्बाब्वे) के तत्कालीन प्राइम मिनिस्टर आईएन रोडेशियन की सेना का हिस्सा बन गए.

 

सेना से जुड़कर बॉब कई घातक मिशन का हिस्सा रहे. कभी उन्होंने अंडरवाटर मिशन के दौरान दुश्मनों के जहाज को समाप्त किया, तो कभी रशियन शिप पर कब्जा किया. ये वो दौर भी था, जब रंगभेद चरम पर था. एक दिन बॉब ने देखा कि उनकी सेना के 3 जवानों ने एक सिविल ब्लैक आदमी का हत्या कर दिया. रंगभेद की इस जंग ने बॉब को अंदर से तोड़कर रख दिया और उन्होंने तुरंत सेना की नौकरी छोड़ दी.

सेना की जॉब छोड़ने के बाद बॉब क्रिस्टो को बतौर इंजीनियर मस्कट, ओमान में जॉब मिल गई. इसी बीच उनकी नजर टाइम मैगजीन पर पड़ी, जिसके कवर पर उस जमाने की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेसेस में गिनी जाने वालीं परवीन बाबी की तस्वीर थी. परवीन बाबी पहली भारतीय अदाकारा थीं जिन्हें अमेरिकन टाइम मैगजीन के कवर पर स्थान मिली थी.

उस एक तस्वीर को देखते ही बॉब ने परवीन से मिलने का निर्णय कर लिया. बॉब को वर्क परमिट मिलने में देरी लगने वाली थी, तो उन्होंने सोचा कि क्यों न तब तक हिंदुस्तान जाकर परवीन बॉबी से मुलाकात कर ली जाए. बॉब का परवीन बाबी से मिलने का जुनून ऐसा था कि बिना किसी पहचान और पते के वो उन्हें ढूंढने बॉम्बे जैसे भीड़-भाड़ वाले शहर आ पहुंचे.

परवीन बाबी पहली भारतीय अदाकारा हैं, जिन्हें अमेरिकन टाइम मैगजीन के कवर पेज पर स्थान मिली थी.

मुंबई पहुंचकर एक दिन बॉब ने देखा कि चर्चगेट पर किसी फिल्म की शूटिंग चल रही है. बॉब पहुंचे तो उनकी मुलाकात डॉक्यूमेंट्री डायरेक्टर प्रेम कपूर से हुई. जब बॉब ने उनसे बोला कि वो परवीन बाबी से मिलने हिंदुस्तान आए हैं, तो उन्होंने दिलासा देते हुए कहा, एक दिन जरूर मिलवाएंगे.

एक दिन बॉब वीर नरीमन रोड के टी-हाउस में बैठे थे कि उनकी नजर यूनिट कैमरामैन जुबैर खान पर पड़ी. वो किसी से कह रहा था कि अगले दिन फिल्म बर्निंग ट्रेन का मुहूर्त है, जिसकी हीरोइन परवीन बाबी हैं. बॉब ने उनसे बात की और बात बन गई.

बॉब, कैमरामैन जुबैर खान के साथ अगले दिन फिल्म बर्निंग ट्रेन के मुहूर्त में पहुंचे. सेट पर सब परवीन का प्रतीक्षा कर रहे थे. जैसे ही परवीन आईं, तो सेट पर हलचल मच गई, लेकिन जैसे ही बॉब क्रिस्टो ने उन्हें देखा तो चौंक गए. दरअसल, ज्यादातर फिल्म स्टार्स सेट पर बिना मेकअप के ही आते हैं और फिर सीन के अनुसार सेट पर मेकअप करवाते हैं.

ऐसे ही जब पहली बार बॉब ने परवीन को देखा तो वो बिना मेकअप के थीं. बॉब ये बात समझ नहीं सके. वो तुरंत परवीन के पास गए, उन्हें रोका और अपने बैग से मैगजीन निकालकर फिर एक बार शक्ल मिलाने की प्रयास की. बॉब को तब परवीन को पहचानने में परेशानी हो रही थी. ऐसे में उन्होंने मैगजीन की तरफ इशारा कर परवीन बाबी से कहा, ये लड़की ये लड़की परवीन है, आप नहीं.

बॉब की बात सुनकर परवीन हंस पड़ीं. उन्होंने बॉब को समझाते हुए कहा, मैगजीन के कवर में मैं मेकअप में हूं और पूरी तरह गेटअप में हूं. जब मैं शूटिंग नहीं करती तो मैं बिना मेकअप के होती हूं. अब मुहूर्त से पहले मुझे मेकअप के लिए जाना पड़ेगा.

पहली मुलाकात की आरंभ भले ही अटपटी थी, लेकिन इसी दौरान दोनों की दोस्ती हो गई. दोस्ती होने पर परवीन ने बॉब को फिल्मों में काम दिलवाया. 1978 की फिल्म अजीब दास्तान से बॉब फिल्मों में आए. संजय खान ने इनका टैलेंट पहचानकर 1980 की फिल्म अब्दुल्ला में इन्हें विलेन का रोल दिया. इन्हें विलेन के रूप में पहचान मिली और करीब 200 फिल्में कीं.

इनमें सुपरहिट फिल्में कुर्बानी (1980), कालिया (1981), नास्तिक (1983), मर्द (1985), मिस्टर इण्डिया (1987), रूप की रानी चोरों का राजा (1993), गुमराह (1993) शामिल हैं.

 

फिल्मों में काम करते हुए बॉब क्रिस्टो की संजय खान से गहरी दोस्ती हो गई. एक दिन संजय खान ने अपने घर पार्टी रखी, जिसमें बॉब क्रिस्टो भी पहुंचे थे. उस पार्टी में प्रेम चोपड़ा, शत्रुघ्न सिन्हा, सुभाष घई भी आए हुए थे. पार्टी में शराब के नशे में संजय खान और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच झगड़ा हो गया.

दोनों के बीच झगड़ा इतना बढ़ गया कि शत्रुघ्न के सपोर्ट में एक शख्स संजय को मारने के लिए किचन से चाकू ले आया. बॉब ने बीच-बचाव कर उस शख्स से चाकू छीन लिया. पार्टी यहीं समाप्त हो गई और बॉब, संजय के साथ रंजीत को घर छोड़ने निकल गए और फिर अपने घर लौट गए.

अगले दिन सुबह 5 बजे संजय खान ने उन्हें कॉल कर कहा, गन लेकर मेरे घर आ जाओ. बॉब बिना प्रश्न किए संजय के घर पहुंचे तो देखा कि पड़ोस में रहने वाले रंजीत के घर से संजय के घर की तरफ गोलियां चल रही थीं.

कुछ देर बाद कुछ हमलावरों ने उनके गार्ड से हाथापाई की और गेट से ही घर में गोलियां चलाईं. बॉब और संजय छिप गए और मौका पाते ही पुलिस बुलाई. अगले दिन इस मुद्दे में सुभाष घई को कारावास जाना पड़ा था, जो गोली चलाने वालों में शामिल थे. बाद में दिलीप कुमार के घर एक मीटिंग हुई, जिससे मुद्दा रफा-दफा किया गया. ये किस्सा बॉब क्रिस्टो ने अपनी ऑटोबायोग्राफी फ्लैशबैकः माय लाइफ एंड टाइम्स इन मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री एंड बियॉन्ड में लिखा था.

1980 की फिल्म अब्दुल्ला में साथ काम करने से संजय खान और बॉब की गहरी दोस्ती हो गई. एक बार संजय खान को स्विट्जरलैंड से 50 हजार $ मंगवाने थे, लेकिन वो बिजी होने पर जा नहीं सके. संजय को बॉब पर इतना भरोसा था कि उन्हें ही जाने को कहा. बॉब भी दोस्त की खातिर अकेले ही निकल गए. जब संजय ने ये बाद दोस्त विधु विनोद चोपड़ा को बताई तो वो काफी नाराज हुए. उन्होंने कहा, इतनी बड़ी धनराशि के लिए ऐसे ही किसी को भेज दिया है. देख लेना पैसे मिलते ही वो फरार हो जाएगा.

फिल्म मर्द के एक सीन में बॉब क्रिस्टो को मारते हुए अमिताभ बच्चन.

विधु ने संजय से 100 पाउंड की शर्त लगाई और बोला वो नहीं लौटेगा. संजय को ऐसा भरोसा था कि उन्होंने भी 500 पाउंड की शर्त लगाई और कहा- बॉब जरूर आएंगे. जब बॉब लौटने वाले थे तो उन्होंने लंदन एयरपोर्ट से संजय को कॉल किया. संजय ने उन्हें बता दिया कि उनके आने या ना आने पर 500 पाउंड की शर्त है.

संजय ने बॉब से बोला कि जब फ्लाइट लैंड करे तो तुम लॉबी में बहुत देर बाद आना. इससे विधु को लगेगा कि वो शर्त जीत गए, लेकिन फिर उन्हें सच्चाई पता चलेगी. बॉब ने ऐसा ही किया. जब बॉब, विधु के सामने आए तो वो शॉक हो गए थे.

लल्लनटॉप की रिपोर्ट के मुताबिक, एक बा  र बॉब तमिल फिल्म की शूटिंग करने स्टूडियो गए थे. स्टूडियो खाली नहीं था तो बॉब अपने सीन का प्रतीक्षा करने बाहर ही खड़े रहे. जैसे ही उनकी बारी आई तो डायरेक्टर ने अपने असिस्टेंट से बोला जाओ बॉब क्रिस्टो को ले आओ. कान का कच्चा असिस्टेंट बाहर आकर बाबू कृष्णा, बाबू कृष्णा चिल्लाने लगा.

बॉब वहीं पास में खड़े थे, लेकिन वो समझ नहीं पाए कि बाबू कृष्णा नाम चिल्लाने वाला आदमी उनकी ही तलाश कर रहा है. जब उसने चिल्लाना बंद नहीं किया तो बॉब गए और उन्होंने पूछा किसे बुला रहे हो. तब बात समझ आई कि वो दरअसल बॉब क्रिस्टो को ही बाबू कृष्णा पुकार रहा था. उसने सफाई भी दी कि तमिल में बॉब को भी बाबू ही कहेंगे. जब ये बात डायरेक्टर को पता चली तो वो भी खूब हंसे.

फिल्म गुमराह के सेट पर संजय दत्त और श्रीदेवी के साथ बॉब क्रिस्टो.

200 फिल्मों के अतिरिक्त बॉब क्रिस्टो ने द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान और द ग्रेट मराठा जैसे टीवी शो में भी एक्टिंग किया है. अहमद शाह अब्दाली के रूप में उन्हें खूब पसंद किया गया था. वर्ष 2000 में बॉब क्रिस्टो मुंबई छोड़कर बैंगलौर जाकर बस गए, जहां वो एक योगा इंस्ट्रक्टर बनकर गुजारा करते थे. समय के साथ लोग बॉब को भूल गए और उन्होंने भी इंडस्ट्री से दूसरी बना ली.

बैंगलोर में ही 20 मार्च 2011 को 72 वर्ष की उम्र में उनका मृत्यु हो गया. बॉब अपने पीछे दूसरी पत्नी नरगिस और बेटे सुनील को छोड़ गए. 2 दशकों तक इंडस्ट्री का हिस्सा रहे बॉब को कभी एक्टिंग के लिए कोई अवॉर्ड नहीं दिया गया.

 

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