मछली पालन के लिए बेस्ट है यह तकनीक
रामपुर। बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन एक आधुनिक और कुशल तरीका है। खासकर यह तकनीक ग्रामीण क्षेत्र की स्त्रियों को आत्मनिर्भर बना रहा है। यह तकनीक पानी में सूक्ष्मजीवों का इस्तेमाल करती है जो मछलियों के उत्सर्जन और अन्य अपशिष्ट को पौष्टिक भोजन में बदल देती है। इस तकनीक से पानी की गुणवत्ता को बरकरार रखा जा सकता है। इससे मछलियों की वृद्धि तेज होती है और पारंपरिक उपायों की तुलना में उत्पादन में वृद्धि होती है।
मछली पालन के लिए बेस्ट है यह तकनीक
रामपुर में महिलाएं इस तकनीक का इस्तेमाल कर छोटे-छोटे तालाबों या कंटेनरों में मछली पालन कर रही है। जिससे कम स्थान में अधिक उत्पादन संभव हो पा रहा है। यह तकनीक स्त्रियों को ना सिर्फ़ आर्थिक रूप से स्वतंत्र बना रहा है बल्कि उनके परिवारों की आय में भी सहयोग दे रहा है। बायोफ्लॉक प्रणाली में कम खर्च और कम संसाधनों की जरूरत होती है। स्त्रियों के लिए यह खासकर एक सुन्दर व्यवसायिक विकल्प बन गया है।
पानी की कमी वाले जगहों के लिए बेस्ट है यह तकनीक
सहायक निदेशक मत्स्य डाक्टर अनीता ने कहा कि बायोफ्लॉक तकनीक से पारंपरिक मछली पालन की तुलना में अधिक उत्पादन संभव होता है क्योंकि पानी की गुणवत्ता और मछलियों की वृद्धि रेट में सुधार होता है। इस तकनीक में पानी का पुन: इस्तेमाल होता है, जिससे पानी की खपत कम हो जाती है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए फायदेमंद है, जहां पानी की कमी है। बायोफ्लॉक में कम खर्च में मछलियों को पोषण मिलता है। इसमें मछलियों के उत्सर्जन और अपशिष्ट को पुन: चक्रित कर उनके भोजन में बदल दिया जाता है। इससे बाहरी आहार की जरूरत कम होती है। छोटे तालाबों या कंटेनरों में भी अधिक मात्रा में मछली पालन संभव है, जिससे सीमित स्थान का अधिकतम इस्तेमाल किया जा सकता है।