लंबे समय से होम लोन, कार लोन समेत दूसरे लोन की ईएमआई घटने का इंतजार हुआ खत्म
लंबे समय से होम लोन, कार लोन समेत दूसरे लोन की ईएमआई घटने का प्रतीक्षा कर रहे लोगों के लिए अच्छी समाचार है. आने वाले दिनों में उनकी EMI कम होने का रास्ता साफ हो गया है. दरअसल, अमेरिका में खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में तीन वर्ष से अधिक समय के निचले स्तर 2.9 फीसदी पर आ गई. इसके बाद फेडरल रिजर्व सितंबर में नीतिगत ब्याज रेट में कटौती पर विचार कर सकता है. हिंदुस्तान में भी जुलाई में खुदरा महंगाई की रेट घटकर 3.54 फीसदी पर आ गई है जो 59 महीने का निचला स्तर है. इससे साफ हो गया है कि सितंबर में होने वाली मौद्रिक पॉलिसी की बैठक में आरबीआई (RBI) ब्याज दरों में कटौती का निर्णय कर सकता है. इससे लोन की ईएमआई घटेगी.
फेड के निर्णय का असर हिंदुस्तान में भी होगा
अमेरिका में खुदरा महंगाई जुलाई में तीन वर्ष से अधिक समय के निचले स्तर 2.9 फीसदी पर आ गई. इसके बाद फेडरल रिजर्व सितंबर में नीतिगत ब्याज रेट में कटौती पर विचार कर सकता है. श्रम विभाग ने बुधवार को खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी करते हुए बोला कि उपभोक्ता कीमतें जून के मुकाबले जुलाई में महज 0.2 फीसदी बढ़ीं. वहीं एक वर्ष पहले की तुलना में जुलाई में कीमतें 2.9 फीसदी बढ़ीं, जबकि जून में मुद्रास्फीति रेट तीन फीसदी थी. यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मार्च, 2021 के बाद से खुदरा मुद्रास्फीति में सालाना आधार पर सबसे कम बढ़ोतरी है. महंगाई में आई इस नरमी से नीतिगत रेट में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं. फेडरल रिजर्व सितंबर में ब्याज दरों के बारे में कोई निर्णय कर सकता है.
अमेरिकी चुनाव में ही अहम मुद्दा
मुद्रास्फीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था के साथ राष्ट्रपति चुनाव में भी एक अहम मामला बन गई है. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मूल्य वृद्धि के लिए बाइडन प्रशासन की ऊर्जा नीतियों को गुनेहगार ठहराया है. उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बोला कि वह जल्द ही ‘लागत कम करने और समग्र रूप से अर्थव्यवस्था को मजबूत करने’ के लिए नए प्रस्ताव पेश करेंगी. गवर्नमेंट ने बोला कि मासिक मुद्रास्फीति के आंकड़ों में लगभग सभी वृद्धि उच्च किराये की कीमतों और अन्य आवास लागत को दर्शाती है, एक प्रवृत्ति जो असली समय के आंकड़ों के मुताबिक कम हो रही है.
भारत में भी घटेगी ब्याज दरें
महंगाई रेट में गिरावट केंद्र गवर्नमेंट के लिए राहत भरी समाचार है. गवर्नमेंट ने रिजर्व बैंक को औसत खुदरा महंगाई रेट को मध्यम अवधि में चार प्रतिशत के आसपास रखने का लक्ष्य दिया है. लंबे समय से यह इससे ऊपर बनी हुई थी. अब जब महंगाई काबू में आ गई है तो रेपो दर में कट की आशा बढ़ गई है. इससे तमाम तरह के लोन पर ब्याज की रेट कम होगी. इसका लाभ करोड़ों लोन लेने वाले कंज़्यूमरों को होगा.