दोनों ही संगठन उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से जनता को राहत देने के लिए रियायती रेट पर टमाटर बेच रहे हैं। आरंभ में टमाटरों की सब्सिडी वाली मूल्य 90 रुपये प्रति किलो तय की गई थी, जिसे कीमतों में गिरावट के अनुरूप धीरे-धीरे कम किया गया।
इन दिनों राष्ट्र भर में टमाटरों की कीमतें रिकॉर्ड हाई स्तर पर पहुंची हुई थी, जिसको कम करने के लिए केंद्र गवर्नमेंट ने कदम उठाए है। टमाटर फिर से आम जनता की खाने की थाली में पहुंच सके इसके लिए केंद्र गवर्नमेंट अब सस्ते दामों पर टमाटर बेचेगी।
सरकार इसकी कीमतों को और कम करने के उद्देश्य से 20 अगस्त से टमाटर 40 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचेगी। टमाटर की थोक और खुदरा कीमतों में गिरावट के बीच सहकारी संस्थान भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और नैफेड इन टमाटरों को बेचेंगे।
पिछले महीने से, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नैफेड) ने टमाटरों की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए कदम उठाए है।
दोनों ही संगठन उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से जनता को राहत देने के लिए रियायती रेट पर टमाटर बेच रहे हैं। आरंभ में टमाटरों की सब्सिडी वाली मूल्य 90 रुपये प्रति किलो तय की गई थी, जिसे कीमतों में गिरावट के अनुरूप धीरे-धीरे कम किया गया। एक सरकारी बयान में शुक्रवार को बोला गया, ‘‘अंतिम बार खुदरा मूल्य में 15 अगस्त को 50 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया गया था। वही अब 20 अगस्त से इसकी मूल्य घटाकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम रह जायेगा।’’
दोनों एजेंसियों ने 15 लाख किलो से भी अधिक टमाटर खरीदे है। ये टमाटर दोनों कंपनियों ने 14 जुलाई से अब तक खरीदे है। राष्ट्र के प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों में ये टमाटर जनता को बेचे जा रहे है। एनसीसीएफ और नाफेड राष्ट्र के कई शहरों में दुकानों में सस्ते दामों पर टमाटर बेच रही है। इन स्थानों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-दिल्ली, राजस्थान (जयपुर, कोटा), यूपी (लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज) और बिहार (पटना, मुजफ्फरपुर, आरा, बक्सर) शामिल हैं। एनसीसीएफ और नाफेड आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों से टमाटर खरीद रहे हैं।
जुलाई में बढ़ी खुदरा महंगाई
जुलाई के महीने में कई खाद्य वस्तुओं की मूल्य बढ़ गई है। इस कारण कृषि और ग्रामीण कामगारों के लिए खुदरा महंगाई जुलाई में बढ़ गई है। ये महंगाई 7.43 फीसदी और 7.26 फीसदी हो गई है। वहीं जून के महीने में खुदरा महंगाई 6.31 फीसदी और ग्रामीण मजदूरों के लिए 6.16 फीसदी थी। श्रम मंत्रालय ने बोला कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक- कृषि मजदूरों और ग्रामीण रमिकों के लिए महंगाई रेट क्रमश: 7.43 फीसदी और 7.26 फीसदी रही। इससे पिछले महीने यह क्रमश: 6.31 फीसदी और 6.16 फीसदी थी जबकि जुलाई, 2022 में यह क्रमश: 6.60 फीसदी और 6.82 फीसदी रही थी।
बयान के अनुसार, जुलाई में खाद्य महंगाई रेट कृषि मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के लिए क्रमश: 8.88 फीसदी और 8.63 फीसदी रही, जबकि इससे पिछले महीने में यह क्रमश: 7.03 फीसदी और 6.70 फीसदी थी। वहीं जुलाई, 2022 में यह क्रमश: 5.38 फीसदी और 5.44 फीसदी रही थी। अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संख्या कृषि मजदूरों (सीपीआई-एएल) के लिये आलोच्य महीन में 19 अंक बढ़कर 1215 और ग्रामीण मजदूरों (सीपीआई-आरएल) के लिये 19 अंक बढ़कर 1,226 अंक रहा। इससे पिछले महीने जून में कृषि मजदूरों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 1,196 और ग्रामीण मजदूरों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 1,207 अंक था। महंगाई बढ़ने का प्रमुख कारण चावल, गेहूं आटा, दाल, दूध, टमाटर, प्याज जैसे खाने के सामान के मूल्य में तेजी है।