कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां एनबीएफसी-एमएफआई उच्च ब्याज मार्जिन की दे रही सूचना :RBI गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को बोला कि कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां-सूक्ष्म वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) उच्च ब्याज मार्जिन की सूचना दे रहे हैं। उन्होंने बोला कि संस्थानों को कर्जदारों से लिये जाने वाले ब्याज रेट को निर्धारित करने में जो लचीली प्रबंध मिली है, उसे वे विवेकपूर्ण ढंग से इस्तेमाल करें।
दास ने उद्योग मंडल फिक्की और भारतीय बैंक संघ के संयुक्त रूप से आयोजित सालाना एफआई-बीएसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बोला कि छोटी राशि के ऋण देने वाले संस्थान (एमएफआई) हाशिए पर खड़े ग्राहकों को सेवा देते हैं। यह क्षेत्र वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए एक जरूरी वित्तीय माध्यम के रूप में उभरा है।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि ब्याज दरों को नियमन के दायरे से मुक्त कर दिया गया है, लेकिन कुछ एनबीएफसी-एमएफआई अपेक्षाकृत उच्च सही ब्याज मार्जिन का फायदा उठा रहे हैं। यह वास्तव में माइक्रोफाइनेंस कर्जदाताओं के लिए स्वयं सुनिश्चित करना है कि ब्याज दरों को निर्धारित करने में उन्हें प्रदान किए गए लचीलेपन का इस्तेमाल विवेकपूर्ण ढंग से किया जाए।’
उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश में छोटी राशि के ऋण देने वाले संस्थानों में संकट के बाद रिजर्व बैंक ने अधिकतम ब्याज की सीमा तय कर दी थी। इसके अनुसार ऐसे कर्जदाता 24 फीसदी ब्याज ले सकते हैं। साल 2021 में ब्याज रेट प्रबंध को नियंत्रण मुक्त कर दिया गया, जिससे संस्थानों के लिये जितना चाहें उतना शुल्क लेना संभव हो गया। एमएफआई संकट के कारण एनबीएफसी-एमएफआई क्षेत्र का गठन हुआ था। दास ने स्वीकार किया कि ऐसी संस्थाओं को अपनी ब्याज रेट निर्धारित करते समय ऋण लेने वालों के सामर्थ्य और पुनर्भुगतान क्षमता को ध्यान में रखना होगा।