नवंबर में रिटेल महंगाई बढ़कर हुई 5.55%
खाने-पीने के सामानों के दामों में बढ़ोतरी के बीच नवंबर में हिंदुस्तान की थोक महंगाई रेट बढ़कर 0.26% पर पहुंच गई है। इससे पहले अक्टूबर महीने में ये -0.52% पर थी। 7 महीने बाद है जब थोक महंगाई शून्य के ऊपर रही है। इससे पहले सितंबर में थोक महंगाई -0.26% थी। वहीं अगस्त में यह -0.52% थी।
नवंबर में रिटेल महंगाई बढ़कर 5.55% हुई
इससे पहले गवर्नमेंट ने 12 दिसंबर को रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए थे। इनके मुताबिक हिंदुस्तान की रिटेल महंगाई तीन महीने की गिरावट के बाद नवंबर में बढ़कर 5.55% पर पहुंच गई है। इसका कारण सब्जियों और फलों की ऊंची कीमतें हैं। अक्टूबर में रिटेल महंगाई 4.87% रही थी। वहीं सितंबर में ये 5.02% रही थी।
डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में प्याज की कीमतें महीने रेट महीने (MoM) 58% बढ़ीं, जबकि टमाटर की कीमतें 35% बढ़ीं। इसके अतिरिक्त आलू की कीमतों में भी नवंबर में 2% की बढ़ोतरी देखी गई। पूरी समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
WPI का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। यदि थोक मूल्य बहुत अधिक समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। गवर्नमेंट सिर्फ़ टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।
जैसे कच्चे ऑयल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में गवर्नमेंट ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, गवर्नमेंट टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में अधिक वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।
महंगाई कैसे मापी जाती है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई रेट आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक व्यवसायी दूसरे व्यवसायी से वसूलता है।
महंगाई मापने के लिए भिन्न-भिन्न आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।
भारत में WPI तो अमेरिका में PPI से मापते हैं महंगाई
WPI का इस्तेमाल हिंदुस्तान में महंगाई को मापने के लिए किया जाता है। WPI में परिवर्तन से फिस्कल और मॉनेटरी पॉलिसी चेंज बहुत अधिक प्रभावित होते हैं। वहीं अमेरिका में प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) का इस्तेमाल महंगाई को मापने के लिए किया जाता है।