मोदी सरकार के इस कदम से और उबलेंगे चावल के भाव, जानें
भारत ने तुरन्त असर से उबले चावल के निर्यात पर 20 फीसद शुल्क लगा दिया है। हिंदुस्तान का यह कदम दुनिया में चावल की कीमतें बढ़ा सकता है। बता दें अभी अन्य राष्ट्रों में चावल 12 सालों में अपने उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गया है। विश्व चावल निर्यात में हिंदुस्तान की हिस्सेदारी 40% से अधिक है और अन्य निर्यातकों के पास कम भंडार का मतलब है कि शिपमेंट में किसी भी कटौती से पिछले वर्ष यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और अनियमित मौसम के कारण पहले से ही खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं। हिंदुस्तान के लोगों को राहत देने के लिए गवर्नमेंट ने यह कदम उठाया है।
पिछले वर्ष टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद पिछले महीने हिंदुस्तान ने व्यापक रूप से खपत होने वाले गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर खरीदारों को चौंकाया था। एक फॉरेन ट्रेड घराने के मुंबई स्थित डीलर ने बोला कि प्रतिबंध ने कुछ खरीदारों को उबले चावल की खरीद बढ़ाने के लिए प्रेरित किया और इसकी कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं।
थाईलैंड और पाक के बराबर हो जाएगा महंगा
डीलर ने कहा, “इस शुल्क के साथ भारतीय उबला हुआ चावल थाईलैंड और पाक से सप्लाई जितना महंगा हो जाएगा। अब खरीदारों के लिए शायद ही कोई विकल्प है।” हिंदुस्तान ने 2022 में 7.4 मिलियन टन उबले चावल का निर्यात किया। जुलाई में संयुक्त देश खाद्य एजेंसी का चावल मूल्य सूचकांक लगभग 12 सालों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि हिंदुस्तान द्वारा निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद प्रमुख निर्यातक राष्ट्रों में मजबूत मांग के कारण कीमतों में उछाल आया।
कीमतें फिर से बढ़ने के आसार
एक अंतरराष्ट्रीय व्यापार घराने के नयी दिल्ली स्थित डीलर ने बोला कि हिंदुस्तान ने अब सभी प्रकार के गैर-बासमती चावल पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसे आमतौर पर अफ्रीका और एशिया के गरीब उपभोक्ता पसंद करते हैं।
डीलर ने कहा, “पिछले महीने हिंदुस्तान के प्रतिबंधों के कारण 25 फीसद से अधिक की बढ़ोतरी के बाद पिछले कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय चावल की कीमतें कम होनी प्रारम्भ हो गई थीं। हालांकि, कीमतें फिर से बढ़ने की आशा है।”
चावल, गेहूं और चीनी निर्यात पर सख्ती: खाद्य वस्तुओं के निर्यात पर हालिया प्रतिबंध लगभग अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव से पहले खाद्य मुद्रास्फीति के प्रति पीएम मोदी की गवर्नमेंट की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है। गवर्नमेंट ने सितंबर 2022 में चावल के लदान पर रोक लगाने के बाद गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध बढ़ा दिया है। गन्ने की पैदावार में गिरावट के कारण इस वर्ष चीनी निर्यात पर भी रोक लगा दी गई है।