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Belated ITR Submission: करदाताओं के लिए आयकर विभाग ने जारी की चेतावनी

वित्तीय साल 2022-23 (financial year 2022-23) के लिए अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की 31 जुलाई की समय सीमा से चूक गए करदाताओं के लिए इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) ने चेतावनी जारी की है. इसके लिए विभाग ने सोशल मीडिया का सहारा भी लिया है. बता दें, इनकम टैक्स विभाग के नियमों ने मूल्यांकन साल 2020-21 (assessment year 2020-2021) से प्रत्येक आदमी के लिए आय का रिटर्न दाखिल करना जरूरी कर दिया है. जिन लोगों को आयकर देना होगा, उनके लिए इसमें तीन मुख्य शर्तें भी रखी गई हैं, जिनके बारे में आप नीचे पढ़ सकते हैं. इसके अलावा, यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि कोई करदाता विलंबित आईटीआर भी दाखिल करने में विफल रहता है, तो उसे कुछ “प्रतिकूल परिणाम” का सामना करना पड़ सकता है.

आयकर विभाग ने X (पहले Twitter) पर एक पोस्ट में लोगों को संशोधित और विलंबित आईटीआर के बीच अंतर समझाते हुए उनसे तुरंत अपना ITR दाखिल करने का आदेश दिया है. अपने पोस्ट में विभाग ने लिखा है, “करदाता कृपया ध्यान दें, 31 दिसंबर, 2023 निर्धारण साल 2023-2024 के लिए विलंबित/संशोधित आईटीआर दाखिल करने का आपका अंतिम मौका है. शीघ्र करें! नियत तारीख से पहले अपना आईटीआर दाखिल करें.

विभाग ने अपनी वेबसाइट का एक लिंक भी शेयर किया है, जहां यूजर्स ITR दाखिल करने के बारे में सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं.

जैसा कि हमने बताया, इनकम टैक्स विभाग के नियमों ने मूल्यांकन साल 2020-21 से प्रत्येक आदमी के लिए आय का रिटर्न दाखिल करना जरूरी कर दिया है. जिन लोगों को आयकर देना होगा, उनके लिए इसमें तीन मुख्य शर्तें भी रखी गई हैं. शर्त में “यदि प्रति आदमी ने एक या अधिक चालू खाते में 1 करोड़ रुपये या अधिक जमा किया है, अपने लिए या किसी अन्य आदमी के लिए विदेश यात्रा के लिए 2 लाख से अधिक का कुल खर्चा किया है और बिजली बिल के भुगतान के लिए 1 लाख रुपये से अधिक का कुल खर्च किया है.” शामिल हैं.

विभाग ने यह भी बोला है कि जो लोग निर्धारित समय सीमा के भीतर इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने में विफल रहते हैं, उनके लिए इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 139 (4) के अनुसार विलंबित रिटर्न दाखिल किया जा सकता है. विलंबित आईटीआर के लिए कोई अलग फॉर्म नहीं है, एक निर्धारिती को एक विशेष मूल्यांकन साल के लिए अधिसूचित फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा.

यदि कोई करदाता विलंबित ITR भी दाखिल करने में विफल रहता है, तो उसे कुछ “प्रतिकूल परिणाम” का सामना करना पड़ सकता है. इनकम टैक्स विभाग के अनुसार, हानि (गृह संपत्ति से आय के अलावा) को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है, धारा 234ए के अनुसार ब्याज और धारा 234एफ के अनुसार शुल्क लगाया जाएगा, करदाता धारा 10ए और 10बी के अनुसार छूट का भी हकदार नहीं होगा, और चैप्टर VI-ए के भाग-सी के अनुसार कटौती मौजूद नहीं होगी. धारा 234F में 5,000 रुपये या छोटे करदाताओं के लिए 1,000 रुपये का जुर्माना जरूरी है और लंबित इनकम टैक्स भुगतान पर धारा 234A के अनुसार 1 फीसदी प्रति माह दंडात्मक ब्याज लागू है.<!–

 

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