पंजाब नेशनल बैंक समेत इन 8 बैंकों पर सबसे ज्यादा एनपीए
कई बार आपने सुना होगा कि बैंकों NPA के चलते बड़ा हानि हुआ है।जिस बैंक पर जितना एनपीए, उसकी उनकी हालात खराब, लेकिन ये एनपीए होता है क्या ? जब लोन एनपीए बन जाता है और ऋण न चुकाने वाले का क्या होता है? इन सबके बारे में जानेंगे। साथ ही उन 8 बैंकों की लिस्ट भी, जो सबसे अधिक एनपीए के बोझ तले दबे हैं।
क्या है NPA
एनपीए यानि नॉन परफॉर्मिंग एसेट (Non Performing Asset)। यानी फंसा हुआ कर्ज। सीधे तौर पर कहे तो बैंक का डूबा हुआ लोन। जब कर्जदाता लोन लेने के बाद उसे नहीं चुका पाता है तो बैंकों की धनराशि फंस जाती है। बैंक इन ऋण को एनपीए घोषित कर देती है।
कब लोन बन जाता है NPA
अगर किसी बैंक लोन की किस्त 90 दिनों तक नहीं चुकाई जाती है तो बैंक उस लोन को एनपीए घोषित कर देता है। बैंक उस ऋण को फंसा हुआ ऋण मान लेते हैं। जिस बैंक का एनपीए जितना अधित उसकी स्वास्थ्य उतनी खराब मानी जाती है। बैंक एनपीए को तीन कैटेगरी में बांटता है। बैंक एनपीए को सबस्टैंडर्ड असेट्स, डाउटफुल असेट्स और लॉस असेट्स में बांट देती है। जब कोई लोन खाता एक वर्ष तक सबस्टैंडर्ड असेट्स खाते की श्रेणी में रहता है तो उसे डाउटफुल असेट्स मान लिया जाता है। यदि ऋण वसूली की आसार समाप्त हो जाती है, उसे लॉस असेट्स मान लिया जाता है।
क्या होता है लोन न चुकाने वालों का
कर्ज न चुकाने वाले ग्राहकों को सिबिल स्कोर खराब हो जाता है। सिबिल स्कोर खराब होने पर अगली बार किसी भी लोन में परेशानी आती है। यदि लोन मिलता भी है तो उसे अधिक ब्याज चुकाना होता है। बैंक कर्जधारक को लोन समाप्त करने के लिए टाइम देती है। डेडलाइन समाप्त होने के बाद बैंक संपत्ति की नीलामी कर सकती है।
इन 8 बैंकों पर सबसे ज्याद NPA
एनपीए के मुद्दे में सबसे खराब स्थिति वाले 8 बैंकों में 4 बैंक निजी क्षेत्र के हैं तो वहीं चार सरकारी बैंक हैं। सबसे खराब संपत्ति गुणवत्ता के मुद्दे में सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक का नाम शामिल है, जिसका नेट दूसरी तिमाही में एनपीए 1.46 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इण्डिया , सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया,केरल बेस्ड प्राइवेट बैंक साउथ भारतीय बैंक,पंजाब एंड सिंध बैंक, बंधन बैंक और सिटी यूनियन बैंक का नाम शामिल है।