कश्मीर घाटी में बागवानी उद्योग बढ़ावा के लिए सरकार अपना रही नई वैज्ञानिक तकनीक
Apple Farming: कश्मीर घाटी में सेब की फसल का मौसम प्रारम्भ हो चुका है। घाटी भर की फल मंडियां पूरे राष्ट्र के खरीदारों से भरी पड़ी हैं और सेब उत्पादकों का बोलना है कि इस वर्ष अब तक बाजार बहुत अच्छा रहा है। कश्मीर घाटी में बागवानी उद्योग को और बढ़ावा देने के लिए, गवर्नमेंट किसानों के लिए विश्वस्तरीय फल पैदा करने के लिए नयी वैज्ञानिक तकनीक और ढंग ला रही है।
मुख्य उद्योगों में से एक
दरअसल, बागवानी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में मुख्य उद्योगों में से एक है और जीडीपी में लगभग 8 फीसदी का सहयोग देता है। कश्मीरी सेब बागवानी उद्योग में सबसे बड़े शेयरधारकों में से एक है। बागवानी विभाग किसानों को नयी वैज्ञानिक तकनीकों के साथ-साथ उच्च घनत्व वाले सेब फार्मस्थापित करने में सहायता करने की पूरी प्रयास कर रहा है।
सबसे बड़े बगीचे सोपोर में
कश्मीर घाटी में सबसे बड़े सेब के बगीचे सोपोर शहर में हैं और कई किसान अब अपने पारंपरिक सेब खेतों को उच्च घनत्व वाले सेब खेतों में बदल रहे हैं। हिंदुस्तान और जम्मू और कश्मीर गवर्नमेंट किसानों पर अपने बागों को हाइब्रिड बागों में बदलने के लिए पूरा योगदान दे रही है और ऐसा करने वाले किसानों को भारी सब्सिडी भी दी जाती है।
सदियों से पारंपरिक सेब के पेड़
मालिक वेल्किन फर्म्स सोपोर के मालिक वसीम हाजिनी ने बोला कि मैं 6-7 वर्ष से सेब के कारोबार में हूं, हमारे पास सदियों से पारंपरिक सेब के पेड़ हैं लेकिन 2016 में मैंने पौधों को उखाड़ दिया और इटालियन हाइब्रिड वाले पौधे लगाए, यह एक बहुत बढ़िया परिवर्तन रहा है। सोपोर को सेब शहर के रूप में जाना जाता है और सोपोर से सेब के कारोबार से कुल लगभग 6000 करोड़ रुपये है। भविष्य हाइब्रिड खेती का है। गवर्नमेंट की ओर से भी भरपूर योगदान मिल रहा है। गवर्नमेंट सेब की खेती को बढ़ावा दे रही है और बेरोजगार युवाओं के लिए यह बड़ी सौगात है। यह एक अच्छा अवसर है जो गवर्नमेंट हमें प्रदान कर रही है और उन्हें इसका फायदा उठाना चाहिए। नयी आयात नीति से कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के लोगोंको सहायता मिलेगी।
अर्थव्यवस्था बागवानी पर निर्भर
किसान अब भूमि को उच्च हाइब्रिड बगीचों में परिवर्तित करके प्रति कनाल लगभग एक लाख रुपये कमा रहे हैं। यह क्षेत्र के अन्य लोगों को भी सेब उगाने के लिए प्रेरित कर रहा है। कश्मीर की मुख्य अर्थव्यवस्था बागवानी पर निर्भर करती है और अब गवर्नमेंट की सहायता से, अधिक से अधिक भूमि को न सिर्फ़ व्यवसाय बढ़ाने के लिए बल्कि पर्यावरण की सहायता के लिए बागों में परिवर्तित किया जा रहा है। कश्मीर घाटी में पिछले वर्ष सेब का भारी उत्पादन हुआ था लेकिन कई कारणों से बाजार उनके लिए अच्छा नहीं था। अब नयी आयात नीति लागू होने और गवर्नमेंट द्वारा सब कुछ ठीक दिशा में ले जाने से सेब व्यापारियों के लिए बाजार बहुत अच्छे दिख रहे हैं।
पिछले वर्ष उत्पादन बहुत था
सोपोर फल मंडी के महासचिव जहूर अहमद तांत्रे ने कहा कि पिछले वर्ष उत्पादन बहुत था जबकि इस वर्ष यह उतना नहीं है लेकिन बाजार बहुत अच्छा है। इस साल राष्ट्रीय राजमार्ग के संबंध में कोई परेशानी नहीं है और इस साल हमें किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। बाजार बहुत अच्छा है और इसे रेगुलेट किया जा रहा है और हम आशा कर रहे हैं कि बाजार इसी तरह बेहतर रहेगा। विश्वास है कि यह सेब व्यवसाय के लिए एक अच्छा साल होगा।
बता दें कि जम्मू कश्मीर का सेब उद्योग 1.45 लाख हेक्टेयर भूमि पर फैला हुआ है और 8,000 करोड़ रुपये का उद्योग है। यह जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। लगभग 35 लाख लोग सेब व्यापार पर निर्भर हैं, यह क्षेत्र जम्मू कश्मीर की जीडीपी में लगभग 8.2 फीसदी का सहयोग देता है।