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बैंकों में डिपॉजिट बढ़ाने के लिए सरकार एक्शन मोड में…

बैंकों में डिपॉजिट बढ़ाने के लिए गवर्नमेंट एक्शन मोड में है. बीते दिनों रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों को डिपॉजिट बढ़ाने की राय दी. अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से अपने मुख्य कामकाज पर ध्यान देने और जमा आकर्षित करने के लिए नयी और सुन्दर योजनाएं लाने को बोला है. उन्होंने बोला कि घरेलू बचत तेजी से अन्य निवेश उत्पादों में जा रही हैं, ऐसे में इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

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क्या बोला निर्मला सीतारमण ने

भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की बैठक को संबोधित करने के बाद सीतारमण ने कहा-आरबीआई और सरकार, दोनों बैंकों से अपनी मुख्य व्यवसायी गतिविधियों पर ध्यान देने को कह रहे हैं. उन्हें आक्रामक रूप से जमा प्राप्त करने और फिर ऋण देने पर ध्यान देना चाहिए. यह बैंकों का मुख्य व्यवसायी गतिविधियां हैं. उन्होंने बोला कि ऋण और जमा वृद्धि में अंतर है, ऐसे में बैंकों को जमा प्राप्त करने पर ध्यान देना चाहिए.

स्वतंत्रता का इस्तेमाल करें

निर्मला सीतारमण ने कहा- आरबीआई ने उन्हें ब्याज रेट के प्रबंधन में कुछ स्वतंत्रता दी है. उस स्वतंत्रता का इस्तेमाल करते हुए, जमा को सुन्दर बनाना चाहिए. नये-नये उत्पाद लाने चाहिए और जमा जुटाना चाहिए. उन्होंने बैंक ऑफिसरों से बड़े या थोक जमा के बजाय छोटे बचतकर्ताओं पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया.

शक्तिकांत दास ने क्या कहा

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने भी बोला कि हम जमा और ऋण वृद्धि के बीच लगभग तीन से चार फीसदी का अंतर देख रहे हैं. इसमें जमा कम है. उन्होंने बोला कि ऋण अब डिजिटल रूप से दिया जा रहा है, जबकि जमा के साथ ऐसा नहीं है और यह एक जरूरी परिवर्तन है. इसीलिए बैंकों को जमा प्राप्त करने के लिए यूनिक उत्पाद पर ध्यान देना चाहिए. शक्तिकांत दास ने बोला कि ऋण और जमा का अनुपात बढ़ा है. कासा (चालू खाता और बचत खाता) जमा, कुल जमा का घटकर 39 फीसदी पर आ गया है जो एक वर्ष पहले 43 फीसदी था. दूसरी तरफ ऋण बढ़ा है.

उन्होंने यह भी बोला कि फिलहाल परेशानी जैसी काई बात नहीं है. लेकिन इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है और नहीं दिया गया तो नकदी प्रबंधन की परेशानी हो सकती है. दास ने बोला कि बैंकों को नये उपायों और उत्पादों के माध्यम से जमा जुटाने के लिए अपने विशाल शाखा नेटवर्क का फायदा उठाना चाहिए. उन्होंने यह भी बोला कि ब्याज दरें नियंत्रण मुक्त हैं और बैंक पैसा जुटाने के लिए जमा दरें बढ़ाते हैं.

 

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