Google के Play Store से कुछ ऐप्स को हटाने के फैसले पर केंद्र सरकार ने दी कड़ी प्रतिक्रिया, कहा…
अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी Google के Play Store से कुछ ऐप्स को हटाने के निर्णय पर केंद्र गवर्नमेंट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्टर, Ashwini Vaishnaw ने शनिवार को बोला है कि गूगल को इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। गूगल ने शुक्रवार को अपने प्ले स्टोर से कुछ ऐप्स को हटा दिया था। इसका बोलना था कि इन ऐप्स ने फीस का भुगतान नहीं किया है।
इस बारे में अश्विनी ने कहा कि उन्होंने गूगल के साथ वार्ता की है और वह उन स्टार्टअप्स से भी मीटिंग करेंगे जिन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है। अश्विनी ने एक बयान में कहा, “इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। इस तरह की डी-लिस्टिंग की अनुमति नहीं मिल सकती।” गूगल ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है।
गूगल का दावा है कि इन ऐप डिवेलपर्स ने उसकी सर्विसेज लेने के लिए प्ले स्टोर की फीस का भुगतान नहीं किया है। इस वजह से इन्हें गूगल के Android ऐप मार्केटप्लेस से हटाया जा रहा है। कुछ कंपनियों ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिकाएं दाखिल कर गूगल के प्ले स्टोर की बिलिंग पॉलिसी को चुनौती दी थी। इन कंपनियों की दलील है कि गूगल अपनी सर्विसेज के लिए भारी फीस वसूलती है। गूगल की ओर से किसी पेड ऐप के प्रति डाउनलोड पर 11 फीसदी से 26 फीसदी तक सर्विस फीस लगाई जाती है। इसके अतिरिक्त ऐप में की गई खरीदारी पर भी फीस ली जाती है।
इन कंपनियों में Unacademy, Kuku FM और Info Edge शामिल हैं। NDTV Profit की रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय ने इस अपील को खारिज कर दिया था। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने इन कंपनियों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करने की सहमति दी थी। उच्चतम न्यायालय ने प्ले स्टोर से इन कंपनियों की ऐप्स को डीलिस्ट न करने के लिए गूगल को कोई इंटरिम ऑर्डर देने से इनकार कर दिया था। इन कंपनियों ने गूगल को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय के 19 मार्च को विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई करने तक ऐप्स को डीलिस्ट नहीं करने का अनुरोध किया था। गूगल का बोलना है, “वर्षों से किसी न्यायालय या रेगुलेटर ने गूगल के प्ले स्टोर की सर्विस के लिए फीस लेने के अधिकार को इंकार नहीं किया है। उच्चतम न्यायालय ने भी 9 फरवरी को ऐसा करने के हमारे अधिकार में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था। इनमें से कुछ ऐप डिवेलपर्स ने हमारे बिजनेस मॉडल और इकोसिस्टम में मुनासिब ढंग से हिस्सा लेना प्रारम्भ कर दिया है। हालांकि, कुछ अन्य ऐसा नहीं करने के ढंग खोज रहे हैं।” गूगल ने कहा है कि राष्ट्र में सिर्फ़ 60 ऐप डिवेलपर्स ने 15 फीसदी से अधिक फीस ली जा रही है।